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Shamli: बहिष्कार के बाद भी सोरम महापंचायत में पहुंचे चार थांबेदार, गठवाला खाप दो गुटों में बटी
अमर उजाला नेटवर्क, शामली
Published by: मोहम्मद मुस्तकीम
Updated Mon, 17 Nov 2025 10:54 AM IST
सार
सोरम महापंचायत: गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र मलिक के आवास पर हुई पंचायत में कहा गया था कि जो भी सोरम महापंचायत में जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद चार थांबेदारों का महापंचायत में जाना बिखराव का संकेत दे रहा है।
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सोरम की महापंचायत में पहुंचे खाप चौधरी।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सोरम में आयोजित सर्वखाप महापंचायत को लेकर गठवाला खाप दो खेमों में बंट गई है। चौधरी राजेंद्र मलिक द्वारा सर्वखाप महापंचायत के बहिष्कार की अपील के बाद भी गठवाला खाप के चार थांबेदार लांक, फुगाना, सोहजनी और हसनपुर सोरम में हुई सर्वखाप महापंचायत में पहुंच गए। इसके बाद खाप में अंदरूनी मतभेद खुलकर सामने आ गए।
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बताया गया कि बालियान खाप द्वारा पिछले छह महीनों से इस सर्वखाप महापंचायत की तैयारियां की जा रही थीं। इसी बीच पिछले सप्ताह गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र मलिक और बहावड़ी थांबेदार श्याम सिंह मलिक ने सर्वखाप के चौधरियों पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए महापंचायत के पूर्ण बहिष्कार की घोषणा की थी।
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शनिवार को लिसाढ़ में राजेंद्र मलिक के आवास पर गठवाला खाप की पंचायत हुई थी, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया कि जो भी व्यक्ति रविवार को सोरम सर्वखाप पंचायत में जाएगा, उसके खिलाफ 15 दिसंबर को होने वाली लिसाढ़ पंचायत में कार्रवाई तय होगी।
इसके विपरीत तीन दिन पूर्व चूनसा गांव के किसान नेता और पूर्व सैनिक विदेश मलिक ने मुंडेट कला में बैठक कर सर्वखाप पंचायत के समर्थन में भारी संख्या में पहुंचने की अपील की थी। रविवार को सर्वखाप पंचायत शुरू होते ही गठवाला खाप के चार थांबेदार और बड़ी संख्या में लोग सोरम पहुंच गए। सोरम में हुई पहले दिन की सर्वखाप पंचायत की खास बात यह रही कि लिसाढ़ गांव के ब्राह्मण समाज के सतेंद्र कुमार ने अध्यक्षता की।
विदेश मलिक बोले- गठवाला खाप का फरमान सिर आंखों पर, लेकिन समाजहित सर्वोपरि
चूनसा के पूर्व सैनिक विदेश मलिक ने कहा कि लिसाढ़ की पंचायत भाकियू अराजनीतिक संगठन की थी और उसका संचालन खाप के प्रतिनिधियों द्वारा नहीं कराया गया। उन्होंने कहा कि वे समाज के अच्छे कार्य के लिए सोरम पंचायत में शामिल हुए हैं। कहा कि अगर अच्छे काम में शामिल होने पर चौधरी हमें सजा देना चाहते हैं तो उनका फरमान सिर माथे पर। उन्होंने बताया कि लिसाढ़ पंचायत में दो थांबेदार थे, जबकि सोरम में चार थांबेदार पहुंचे।
चूनसा के पूर्व सैनिक विदेश मलिक ने कहा कि लिसाढ़ की पंचायत भाकियू अराजनीतिक संगठन की थी और उसका संचालन खाप के प्रतिनिधियों द्वारा नहीं कराया गया। उन्होंने कहा कि वे समाज के अच्छे कार्य के लिए सोरम पंचायत में शामिल हुए हैं। कहा कि अगर अच्छे काम में शामिल होने पर चौधरी हमें सजा देना चाहते हैं तो उनका फरमान सिर माथे पर। उन्होंने बताया कि लिसाढ़ पंचायत में दो थांबेदार थे, जबकि सोरम में चार थांबेदार पहुंचे।
बहिष्कार चौधरी राजेंद्र मलिक का व्यक्तिगत निर्णय
लांक के थांबेदार रविंद्र मलिक और सोहजनी के थांबेदार रविंद्र कुमार ने कहा कि शनिवार की पंचायत का उन्हें किसी तरह का न्योता नहीं मिला था। दोनों का कहना है कि सोरम पंचायत के बहिष्कार का निर्णय राजेंद्र मलिक का व्यक्तिगत निर्णय है, न कि पूरा गठवाला खाप का, इसलिए वे सर्वखाप पंचायत में गए।
लांक के थांबेदार रविंद्र मलिक और सोहजनी के थांबेदार रविंद्र कुमार ने कहा कि शनिवार की पंचायत का उन्हें किसी तरह का न्योता नहीं मिला था। दोनों का कहना है कि सोरम पंचायत के बहिष्कार का निर्णय राजेंद्र मलिक का व्यक्तिगत निर्णय है, न कि पूरा गठवाला खाप का, इसलिए वे सर्वखाप पंचायत में गए।
15 दिसंबर को गठवाला खाप में होगा अंतिम फैसला
गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र मलिक और बहावड़ी थांबेदार श्याम सिंह ने कहा कि सोरम जाकर बहिष्कार तोड़ने वालों पर कार्रवाई 15 दिसंबर की लिसाढ़ पंचायत में तय की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि हसनपुर उनका वास्तविक थाबा नहीं है, बल्कि यह लिसाढ़ से जुड़ा हुआ है। हसनपुर का थाबा बालियान खाप की ओर से खड़ा किया गया था।
गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र मलिक और बहावड़ी थांबेदार श्याम सिंह ने कहा कि सोरम जाकर बहिष्कार तोड़ने वालों पर कार्रवाई 15 दिसंबर की लिसाढ़ पंचायत में तय की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि हसनपुर उनका वास्तविक थाबा नहीं है, बल्कि यह लिसाढ़ से जुड़ा हुआ है। हसनपुर का थाबा बालियान खाप की ओर से खड़ा किया गया था।