{"_id":"6924b62a58f308954a07c8eb","slug":"40-followers-performed-puja-shravasti-news-c-104-1-slko1011-115945-2025-11-25","type":"story","status":"publish","title_hn":"Shravasti News: 40 अनुयायियों ने की पूजा-अर्चना","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Shravasti News: 40 अनुयायियों ने की पूजा-अर्चना
संवाद न्यूज एजेंसी, श्रावस्ती
Updated Tue, 25 Nov 2025 01:16 AM IST
विज्ञापन
तपोस्थली में पूजा करते अनुयायी।- संवाद
विज्ञापन
कटरा। कंबोडिया के अनुयायियों का 40 सदस्यीय दल सोमवार को दर्शन-पूजन के लिए बौद्ध तपोस्थली श्रावस्ती पहुंचा। सभी ने बौद्ध भिक्षु देवानंद के नेतृत्व में पारंपरिक रीति-रिवाज से कौशाम कुटी पर दर्शन-पूजन किया। इस दौरान बौद्ध सभा का भी आयोजन किया गया।
बौद्ध सभा को संबोधित करते हुए भिक्षु देवानंद ने बताया कि हीनयान का अर्थ होता है संकुचित मार्ग और महायान का अर्थ श्रेष्ठ मार्ग होता है। भगवान बुद्ध जब निर्वाण प्राप्त करने वाले थे, तब उन्होंने सभी शिष्यों को बुलाया और उपदेश दिया। महायान ने बोधिसत्व को अपना लक्ष्य बनाया, जिसका आधार करुणा, दया और समाज कल्याण है।
आगे बताया कि महायान का मानना है कि गौतम बुद्ध अलग-अलग अवतार में तब तक जन्म लेते रहेंगे, जब तक विश्व का कल्याण नहीं हो जाता है। गौतम बुद्ध का मानना था कि जहां पहले ही रोशनी हो, वहां ज्ञान फैलाने का कोई फायदा नहीं है। जहां अंधेरा है, लोग दुख और कष्ट में हैं, वहीं हमें ज्ञान की रोशनी जलानी है।
सभी के बाद अनुयायियों ने गंध कुटी, बोधि वृक्ष, सभा मंडप, सूर्यकुंड, कच्ची कुटी-पक्की कुटी आदि का भ्रमण कर उसके इतिहास की जानकारी दी। इस दौरान बौद्ध भिक्षु आनंद सागर, ज्ञान सागर, नाग ज्योति, नाग सागर, भंवरानंद, आनंद व निर्मल सागर आदि मौजूद रहे।
Trending Videos
बौद्ध सभा को संबोधित करते हुए भिक्षु देवानंद ने बताया कि हीनयान का अर्थ होता है संकुचित मार्ग और महायान का अर्थ श्रेष्ठ मार्ग होता है। भगवान बुद्ध जब निर्वाण प्राप्त करने वाले थे, तब उन्होंने सभी शिष्यों को बुलाया और उपदेश दिया। महायान ने बोधिसत्व को अपना लक्ष्य बनाया, जिसका आधार करुणा, दया और समाज कल्याण है।
विज्ञापन
विज्ञापन
आगे बताया कि महायान का मानना है कि गौतम बुद्ध अलग-अलग अवतार में तब तक जन्म लेते रहेंगे, जब तक विश्व का कल्याण नहीं हो जाता है। गौतम बुद्ध का मानना था कि जहां पहले ही रोशनी हो, वहां ज्ञान फैलाने का कोई फायदा नहीं है। जहां अंधेरा है, लोग दुख और कष्ट में हैं, वहीं हमें ज्ञान की रोशनी जलानी है।
सभी के बाद अनुयायियों ने गंध कुटी, बोधि वृक्ष, सभा मंडप, सूर्यकुंड, कच्ची कुटी-पक्की कुटी आदि का भ्रमण कर उसके इतिहास की जानकारी दी। इस दौरान बौद्ध भिक्षु आनंद सागर, ज्ञान सागर, नाग ज्योति, नाग सागर, भंवरानंद, आनंद व निर्मल सागर आदि मौजूद रहे।