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Siddharthnagar News: डेढ़ माह तक जिंदगी की जंग लड़ता रहा, आखिरकार सांसों ने छोड़ा साथ
संवाद न्यूज एजेंसी, सिद्धार्थनगर
Updated Wed, 26 Nov 2025 12:38 AM IST
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त्रिलोकपुर क्षेत्र के उजैनियां गांव में रोते बिलखते परिजन। संवाद
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भनवापुर। त्रिलोकपुर थाना क्षेत्र के उजैनियां गांव निवासी सुखराम चौरसिया के घर का इकलौता चिराग राजू चौरसिया (20) डेढ़ माह तक जिंदगी के लिए जंग लड़ते हुए बुझ गया। रविवार को इलाज के दौरान राजू ने आखिरी सांस ली। छह बहनों में सबसे बड़े इकलौते भाई की अर्थी जब मंगलवार को उठी तो बहनों का करुण रुदन देख हर किसी की आंखें भर आईं।
त्रिलोकपुर थाना क्षेत्र के उजैनियां गांव निवासी सुखराम चौरसिया की छह बेटियों निशा, गुड़िया, सोनी, मोनी, संजू और हिमांशी के बीच सबसे बड़ा बेटा राजू चौरसिया (20) परिवार की उम्मीद था। पिता सुखराम ने बताया कि सोचा था बेटा बड़ा हो गया है। काम में हाथ बंटाएगा और बेटियों की शादी बड़े ही धूमधाम से करेगा। मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था। सड़क हादसे ने यह सपना एक झटके में चकनाचूर कर दिया।
इलाज के दौरान लखनऊ के एक निजी अस्पताल में राजू ने रविवार को आखिरी सांस ली। पोस्टमार्टम के बाद जब राजू का शव घर पहुंचा तो चीख-पुकार मच गई। अंतिम संस्कार के लिए जब अर्थी उठी तो मां किरन, 65 वर्षीय दादी चिनका के साथ ही बहनों के करुण रुदन देख हर किसी का दिल भारी और आंखें नम हो गईं।
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त्रिलोकपुर थाना क्षेत्र के उजैनियां गांव निवासी सुखराम चौरसिया की छह बेटियों निशा, गुड़िया, सोनी, मोनी, संजू और हिमांशी के बीच सबसे बड़ा बेटा राजू चौरसिया (20) परिवार की उम्मीद था। पिता सुखराम ने बताया कि सोचा था बेटा बड़ा हो गया है। काम में हाथ बंटाएगा और बेटियों की शादी बड़े ही धूमधाम से करेगा। मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था। सड़क हादसे ने यह सपना एक झटके में चकनाचूर कर दिया।
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इलाज के दौरान लखनऊ के एक निजी अस्पताल में राजू ने रविवार को आखिरी सांस ली। पोस्टमार्टम के बाद जब राजू का शव घर पहुंचा तो चीख-पुकार मच गई। अंतिम संस्कार के लिए जब अर्थी उठी तो मां किरन, 65 वर्षीय दादी चिनका के साथ ही बहनों के करुण रुदन देख हर किसी का दिल भारी और आंखें नम हो गईं।