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Siddharthnagar News: शिव धनुष टूटते ही मंगल गीतों से गुंजायमान हुआ पूरा पंडाल
संवाद न्यूज एजेंसी, सिद्धार्थनगर
Updated Wed, 26 Nov 2025 12:34 AM IST
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भनवापुर क्षेत्र के गागापुर में चल रहे श्रीरामलीला का मंचन करते कलाकार। संवाद
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भनवापुर। क्षेत्र के गागापुर गांव में रामलीला कार्यक्रम में चौथे दिन सोमवार की रात कलाकारों ने धनुष यज्ञ, परशुराम-लक्ष्मण संवाद की लीला का सजीव मंजन किया। राम के गले में सीता ने वरमाला डाली, जिस पर दर्शकों ने फूल बरसाए और महिलाओं ने मंगल गीत गाकर खुशी का इजहार किया। पूरा पंडाल मंगल गीतों से गूंज उठा।
कलाकारों की ओर से किए गए मंचन में धनुष यज्ञ, परशुराम-लक्ष्मण संवाद दर्शकों का केंद्र रहा। धनुष यज्ञ और राम सीता विवाह की मनमोहक प्रस्तुति से श्रद्धालु भावविभोर हो गए। मंचन के दौरान कलाकारों ने दिखाया कि गुरु विश्वामित्र राम लक्ष्मण को लेकर सीता स्वयंवर के लिए जनकपुर पहुंचते है, जहां उनका यथोचित आदर सत्कार होता है। राम-लक्ष्मण जनकपुर की शोभा देखकर प्रसन्न चित्त होते हैं। तब गुरु विश्वामित्र फूल लाने के लिए राम-लक्ष्मण को राजा जनक की फुलवारी में भेजते हैं। उसी समय जनक नंदनी गिरजा पूजन के लिए वहां आतीं हैं। राम सीता वहीं एक-दूसरे को देखते हैं। स्वयंवर में पहुंचे राम-लक्ष्मण का स्वरूप देखकर सीता सहित जनकपुर के नर नारी मोहित हो जाते हैं।
श्रीराम उपस्थित राजाओं सहित सबको नमन करते हुए धनुष को तोड़ देते हैं। चारों तरफ श्री राम जी की जय जयकार होने लगता है। इसी बीच सीता ने राम के गले में वरमाला डाल देती हैं। उधर धनुष टूटने की आवाज से परशुराम का ध्यान टूट जाता है। लक्ष्मण से काफी तीखी नोक-झोंके होती है। अंतोगत्वा रामचन्द्र का शक्ति परीक्षण कर परशुराम शांत होकर महेंद्र गिरी पर्वत पर लौट जाते हैं। इस दौरान आयोजक पूर्व प्रधान गजेंद्र शुक्ल, रामबरन जायसवाल, जगप्रसाद पांडेय, हरिप्रसाद यादव, दिनेश चंद मिश्र, मोनू शुक्ल आदि मौजूद रहे।
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कलाकारों की ओर से किए गए मंचन में धनुष यज्ञ, परशुराम-लक्ष्मण संवाद दर्शकों का केंद्र रहा। धनुष यज्ञ और राम सीता विवाह की मनमोहक प्रस्तुति से श्रद्धालु भावविभोर हो गए। मंचन के दौरान कलाकारों ने दिखाया कि गुरु विश्वामित्र राम लक्ष्मण को लेकर सीता स्वयंवर के लिए जनकपुर पहुंचते है, जहां उनका यथोचित आदर सत्कार होता है। राम-लक्ष्मण जनकपुर की शोभा देखकर प्रसन्न चित्त होते हैं। तब गुरु विश्वामित्र फूल लाने के लिए राम-लक्ष्मण को राजा जनक की फुलवारी में भेजते हैं। उसी समय जनक नंदनी गिरजा पूजन के लिए वहां आतीं हैं। राम सीता वहीं एक-दूसरे को देखते हैं। स्वयंवर में पहुंचे राम-लक्ष्मण का स्वरूप देखकर सीता सहित जनकपुर के नर नारी मोहित हो जाते हैं।
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श्रीराम उपस्थित राजाओं सहित सबको नमन करते हुए धनुष को तोड़ देते हैं। चारों तरफ श्री राम जी की जय जयकार होने लगता है। इसी बीच सीता ने राम के गले में वरमाला डाल देती हैं। उधर धनुष टूटने की आवाज से परशुराम का ध्यान टूट जाता है। लक्ष्मण से काफी तीखी नोक-झोंके होती है। अंतोगत्वा रामचन्द्र का शक्ति परीक्षण कर परशुराम शांत होकर महेंद्र गिरी पर्वत पर लौट जाते हैं। इस दौरान आयोजक पूर्व प्रधान गजेंद्र शुक्ल, रामबरन जायसवाल, जगप्रसाद पांडेय, हरिप्रसाद यादव, दिनेश चंद मिश्र, मोनू शुक्ल आदि मौजूद रहे।