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दुद्धी में शिष्य ने ढहाया विजय का किला, पहली बार खिला कमल

Varanasi Bureau वाराणसी ब्यूरो
Updated Fri, 11 Mar 2022 12:40 AM IST
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Disciple demolished the fort of victory in Duddhi, lotus blossomed for the first time
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सोनभद्र। जिले की चार सीटों में से दुद्धी सीट पर जीत भाजपा के लिए बेहद खास है। उत्तर प्रदेश की यह अंतिम विधानसभा सीट भाजपा के लिए हमेशा से चुनौती रही है। यह पहली सीट है जहां आज तक भाजपा कमल खिलाने में नाकाम रही है। इस बार शिष्य पर ही दांव लगाकर भाजपा ने न सिर्फ विजय का किला ढहा दिया बल्कि बरसों से बनी जीत न मिलने की टीस भी खत्म की है।
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दुद्धी जिले की सबसे पुरानी सीट रही है। इससे पहले हुए 17 चुनावों में सिर्फ एक बार यह सीट जनसंघ के पाले में रही। अन्य सभी चुनाव कांग्रेस, सपा और बसपा ने ही जीते। भाजपा के लिए यह विडंबना ही रही कि जिस सीट पर निर्दल उम्मीदवार भी परचम लहराने में कामयाब रहा हो, वहां भी वह कमल नहीं खिला पाई थी। वर्ष 2017 में सत्ताधारी दल ने जीत का स्वाद भी चखा तो चुनाव निशान अपना दल-एस का कप-प्लेट था। इस बार हर हाल में दुद्धी को जीतने के लिए पार्टी ने पहले ही योजना बना ली थी। सात बार विधायक रहे आदिवासी नेता व पूर्व राज्य मंत्री विजय सिंह गोंड के गढ़ को भेदने के लिए उन्हीं के शिष्य रामदुलार पर दांव लगाया। कभी विजय सिंह के बेहद करीबी रहे रामदुलार उनके हर दांव से भली-भांति वाकिफ थे। विजय सिंह के कई चुनावों का तो रामदुलार ने ही संचालन भी किया। अब मौका मिलते ही रामदुलार ने वही दांव लगाकर गुरु को ही पटखनी दे दी।
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