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खदान हादसा : माइंस मैनेजर-पेटीदारों का दावा, हादसे वाले दिन घोषित था अवकाश
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सोनभद्र। ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली मारकुंडी में हुए खदान हादसे में गिरफ्तार माइंस मैनेजर सहित चार आरोपियों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। जमानत अर्जी में उन्होंने दावा किया है कि जिस दिन हादसा हुआ, उस दिन पहले से अवकाश घोषित था। मुख्यमंत्री के आगमन को देखते हुए 14 से 16 नवंबर तक खदान बंद की गई थी और डायरी में इसका जिक्र भी किया गया था। उनकी जानकारी के बिना खदान में कराया जा रहा था। ऐसे में हादसे में उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है।
माइंस मेठ बताए गए अजय कुमार ने खुद को ब्लास्टर होने का दावा किया है। न्यायालय में दाखिल अर्जी के जरिए कहा है कि खदान काफी समय से सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर संचालित की जा रही थी। डीजीएमएस ने इसकी रिपोर्ट भी दी थी। बावजूद स्थानीय प्रशासन ने इस पर सख्ती नहीं दिखाई।
सीएम के आगमन को देखते हुए 14 से 16 नवंबर तक संपूर्ण खनन गतिविधि पर रोक लगाई गई थी इस कारण वह 13 नवंबर के बाद खदान पर कार्य करने भी नहीं गया। वहीं माइंस मैनेजर अनिल कुमार झा, गौरव सिंह और चंद्रशेखर ने भी पूरे खनन क्षेत्र में तीन दिन अवकाश घोषित होने का जिक्र करते हुए कहा कि वह कामकाज के सिलसिले में बाहर चले गए थे।
हाजिरी रजिस्टर और फार्म डी में भी घटना की तिथि को अवकाश दर्ज है। गौरव ने हादसे के दिन घर के वैवाहिक कार्यक्रम के लिए खरीदारी के लिए बाहर जाने, चंद्रशेखर ने पिता के इलाज के लिए वाराणसी जाने, अनिल ने घटना के वक्त घर पर होने का दावा किया है।
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इन्होंने भी खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा :
प्रकरण में गौरव, चंद्रशेखर के अलावा फरार चल रहे पेटीदार मुस्तफा सिद्दीकी, राहुल तिवारी उर्फ अखिलेश कुमार, रवि कुमार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। संबंधित खदान के महत्वपूर्ण हिस्सेदार बताए जा रहे अभिषेक सिंह की तरफ से भी राहत के लिए याचिका दाखिल करने की बात सामने आई है। गौरव की याचिका पर सुनवाई के लिए सात जनवरी और मुस्तफा के मामले में सुनवाई के लिए 27 जनवरी तिथि तय की गई है। दोनों मामलों में सरकारी अधिवक्ता ने याचिका में विरोध दर्ज कराने के साथ ही पुलिस महकमे से निर्देश तलब किए हैं।
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मधुसूदन के बाद दिलीप की भी गिरफ्तारी पर लगी रोक :
उधर, खदान मालिक मधसूदन सिंह के बाद दिलीप कुमार केशरी को भी बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अचल सचदेव ने सुनवाई की। दलील दी गई कि दिलीप की भूमिका भी मधुसूदन के समान है जिन्हें प्रकरण में राहत दी गई है। समान मामले को देखते हुए बेंच ने दिलीप की भी गिरफ्तारी पर अगली सुनवाई/पुलिस रिपोर्ट जमा होने तक रोक लगा दी। पक्षकारों को तीन सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।
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माइंस मेठ बताए गए अजय कुमार ने खुद को ब्लास्टर होने का दावा किया है। न्यायालय में दाखिल अर्जी के जरिए कहा है कि खदान काफी समय से सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर संचालित की जा रही थी। डीजीएमएस ने इसकी रिपोर्ट भी दी थी। बावजूद स्थानीय प्रशासन ने इस पर सख्ती नहीं दिखाई।
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सीएम के आगमन को देखते हुए 14 से 16 नवंबर तक संपूर्ण खनन गतिविधि पर रोक लगाई गई थी इस कारण वह 13 नवंबर के बाद खदान पर कार्य करने भी नहीं गया। वहीं माइंस मैनेजर अनिल कुमार झा, गौरव सिंह और चंद्रशेखर ने भी पूरे खनन क्षेत्र में तीन दिन अवकाश घोषित होने का जिक्र करते हुए कहा कि वह कामकाज के सिलसिले में बाहर चले गए थे।
हाजिरी रजिस्टर और फार्म डी में भी घटना की तिथि को अवकाश दर्ज है। गौरव ने हादसे के दिन घर के वैवाहिक कार्यक्रम के लिए खरीदारी के लिए बाहर जाने, चंद्रशेखर ने पिता के इलाज के लिए वाराणसी जाने, अनिल ने घटना के वक्त घर पर होने का दावा किया है।
इन्होंने भी खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा :
प्रकरण में गौरव, चंद्रशेखर के अलावा फरार चल रहे पेटीदार मुस्तफा सिद्दीकी, राहुल तिवारी उर्फ अखिलेश कुमार, रवि कुमार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। संबंधित खदान के महत्वपूर्ण हिस्सेदार बताए जा रहे अभिषेक सिंह की तरफ से भी राहत के लिए याचिका दाखिल करने की बात सामने आई है। गौरव की याचिका पर सुनवाई के लिए सात जनवरी और मुस्तफा के मामले में सुनवाई के लिए 27 जनवरी तिथि तय की गई है। दोनों मामलों में सरकारी अधिवक्ता ने याचिका में विरोध दर्ज कराने के साथ ही पुलिस महकमे से निर्देश तलब किए हैं।
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मधुसूदन के बाद दिलीप की भी गिरफ्तारी पर लगी रोक :
उधर, खदान मालिक मधसूदन सिंह के बाद दिलीप कुमार केशरी को भी बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिल गई। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अचल सचदेव ने सुनवाई की। दलील दी गई कि दिलीप की भूमिका भी मधुसूदन के समान है जिन्हें प्रकरण में राहत दी गई है। समान मामले को देखते हुए बेंच ने दिलीप की भी गिरफ्तारी पर अगली सुनवाई/पुलिस रिपोर्ट जमा होने तक रोक लगा दी। पक्षकारों को तीन सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।
