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Sultanpur News: समितियों से डीएपी नदारद, निजी दुकानदार वसूल रहे 1700 रुपये
संवाद न्यूज एजेंसी, सुल्तानपुर
Updated Mon, 17 Nov 2025 11:48 PM IST
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सुल्तानपुर। जिले की अधिकांश साधन सहकारी समितियों पर रबी के सीजन में गेहूं की बोआई के लिए किसानों को डीएपी नहीं मिल पा रही है। किसान खाद के लिए एक से दूसरी समिति का चक्कर काट रहे हैं। नमी निकल जाने के डर से किसान 1700 रुपये में निजी दुकान पर डीएपी खरीदने को विवश हैं।
रबी फसल की बोआई के समय साधन सहकारी समितियों पर डीएपी खाद की भारी किल्लत से किसान परेशान हैं। कादीपुर, करौंदीकलां, दोस्तपुर, लंभुआ, प्रतापपुर कमैचा समेत अन्य जगहों पर डीएपी खाद किसानों को नहीं मिल रही है। धनपतगंज के सेमरौना, मायंग, देहली, जूड़ा पट्टी, पंडरे, कुट्टा और बिसावां समिति पर डीएपी का टोटा बना हुआ है। मायंग साधन सहकारी समिति के सचिव श्याम बहादुर ने बताया कि जितनी डीएपी आई थी, वह वितरित कर दी गई है। 500 बोरी डीएपी के लिए लिखापढ़ी की गई है। एक-दो दिन में डीएपी आने की उम्मीद है।
चकिया निवासी गंगासागर शुक्ला, कपिल दुबे, पाठक पुरवा के बजरंग आदि किसानों ने बताया कि समिति पर खाद कब आती है और कब बिक जाती है, इसकी कोई जानकारी नहीं होती। मजबूरन बाजार से महंगे दाम पर डीएपी खरीदनी पड़ रही है। राघवराम और विंदेश्वरी प्रसाद ने बताया कि खेत की नमी निकल जा रही थी। गेहूं की बोआई के लिए निजी दुकानदार के यहां 1700 रुपये में डीएपी खरीदनी पड़ी।
डीएपी नहीं मिलने से वापस लौट रहे किसान
चांदा। कोथरा, अमरुपुर सहित अन्य साधन सहकारी समितियों पर किसान सुबह होते ही डीएपी खाद की जानकारी लेने पहुंच जाते हैं। किसान अखिलेश प्रजापति, विमलेश सरोज और शिवकुमार वर्मा ने कहा कि समितियों पर डीएपी नहीं मिलने से निजी कंपनियों की महंगे दाम पर खाद खरीदनी पड़ रही है। जिला कृषि अधिकारी सदानंद चौधरी ने दावा किया कि जिले में खाद की कमी नहीं है। किसानों को एनपीके का भी इस्तेमाल करना चाहिए। मंगलवार तक 15,000 क्विंटल डीएपी और 7000 क्विंटल एनपीकेएस उर्वरक की रैक आने की संभावना है।
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रबी फसल की बोआई के समय साधन सहकारी समितियों पर डीएपी खाद की भारी किल्लत से किसान परेशान हैं। कादीपुर, करौंदीकलां, दोस्तपुर, लंभुआ, प्रतापपुर कमैचा समेत अन्य जगहों पर डीएपी खाद किसानों को नहीं मिल रही है। धनपतगंज के सेमरौना, मायंग, देहली, जूड़ा पट्टी, पंडरे, कुट्टा और बिसावां समिति पर डीएपी का टोटा बना हुआ है। मायंग साधन सहकारी समिति के सचिव श्याम बहादुर ने बताया कि जितनी डीएपी आई थी, वह वितरित कर दी गई है। 500 बोरी डीएपी के लिए लिखापढ़ी की गई है। एक-दो दिन में डीएपी आने की उम्मीद है।
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चकिया निवासी गंगासागर शुक्ला, कपिल दुबे, पाठक पुरवा के बजरंग आदि किसानों ने बताया कि समिति पर खाद कब आती है और कब बिक जाती है, इसकी कोई जानकारी नहीं होती। मजबूरन बाजार से महंगे दाम पर डीएपी खरीदनी पड़ रही है। राघवराम और विंदेश्वरी प्रसाद ने बताया कि खेत की नमी निकल जा रही थी। गेहूं की बोआई के लिए निजी दुकानदार के यहां 1700 रुपये में डीएपी खरीदनी पड़ी।
डीएपी नहीं मिलने से वापस लौट रहे किसान
चांदा। कोथरा, अमरुपुर सहित अन्य साधन सहकारी समितियों पर किसान सुबह होते ही डीएपी खाद की जानकारी लेने पहुंच जाते हैं। किसान अखिलेश प्रजापति, विमलेश सरोज और शिवकुमार वर्मा ने कहा कि समितियों पर डीएपी नहीं मिलने से निजी कंपनियों की महंगे दाम पर खाद खरीदनी पड़ रही है। जिला कृषि अधिकारी सदानंद चौधरी ने दावा किया कि जिले में खाद की कमी नहीं है। किसानों को एनपीके का भी इस्तेमाल करना चाहिए। मंगलवार तक 15,000 क्विंटल डीएपी और 7000 क्विंटल एनपीकेएस उर्वरक की रैक आने की संभावना है।