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अनंत चतुर्दशी: चिंतामणि गणेश का फूल और पत्तियों से हुआ शृंगार, कलाकारों ने लगाई हाजिरी; बही भजनों की रसधार
अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी।
Published by: प्रगति चंद
Updated Sun, 07 Sep 2025 12:06 AM IST
सार
Anant Chaturdashi 2025 : अनंत चतुर्दशी पर चिंतामणि गणेश का फूल और पत्तियों से शृंगार हुआ। इस दौरान परिसर में भजनों की रसधार बही। कलाकारों की प्रस्तुति ने लोगों का मन मोह लिया।
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अनंत चतुर्दशी पर चिंतामणि गणेश का हुआ फूल और पत्तियों से शृंगार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
अनंत चतुर्दशी पर शनिवार को श्री चिंतामणि गणेश मंदिर में वार्षिक शृंगार और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। पूरे मंदिर परिसर को फूल और पत्तियों से सजाया गया था। इस अवसर पर शहर के छह अलग-अलग विधा के लोगों को सम्मानित भी किया गया।
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शनिवार को संगीत संध्या की शुरुआत मोहनलाल के शहनाई वादन से हुई। दूसरी प्रस्तुति में अर्चना म्हस्कर के गायन की रही। तबले पर श्रीकांत मिश्र एवं हारमोनियम पर मोहित साहनी ने संगत की। तीसरी प्रस्तुति पं. देवब्रत मिश्र एवं कृष्णा मिश्रा के सितार युगलबंदी की रही। अगली प्रस्तुति में पं. रविशंकर मिश्र एवं डॉ. ममता टंडन के कथक की युगलबंदी हुई। तबले पर पं. भोलानाथ मिश्र व गायन में गौरव मिश्र ने संगत की। इसके बाद शिल्पा राय का कथक, डॉ. अंबरीश चंचल का गायन, प्रो. प्रवीण उद्धव व श्रुतिशील उद्धव की तबला युगलबंदी रही।
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विदुषी वर्मा ने प्रणमामि चिंतामणि... से भगवान गणेश की आराधना की। समापन भजन जय गणेश गणनाथ से किया। इसके बाद तेजस्विनी वर्णेकर एवं मानसी श्रीवास्तव का गायन हुआ। सम्मान समारोह में बीएचयू के प्रो. माधव जनार्दन रटाटे, प्रो. संगीता पंडित, चिकित्सक डॉ. शालिनी टंडन, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र, प्रांच प्रचारक रमेश और मुख्य अभियंता राकेश कुमार पांडेय को सम्मानित किया गया। संयोजन एवं धन्यवाद ज्ञापन मंदिर के महंत चल्ला सुब्बा राव शास्त्री ने किया।
अनंत सूत्र में 14 गांठ बांधकर भगवान विष्णु की पूजा की
अनंत चतुर्दशी पर शनिवार को श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा की। एक-दूसरे को अनंत सूत्र बांधा। विष्णु मंदिरों में दर्शन-पूजन के लिए भीड़ रही। अनंत चतुर्दशी पर भगवान अनंत (विष्णु) की पूजा का विधान है। श्रद्धालुओं ने व्रत रखकर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल की कामना के लिए विविध नैवेद्य अर्पित कर सविधि पूजा की। उन्होंने कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत की स्थापना की। एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार कर इसमें 14 गांठें बांधकर भगवान विष्णु की तस्वीर के सामने रखकर अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा की। पुरुष दाएं हाथ में और महिलाओं ने बाएं हाथ में अनंत सूत्र बांधा। व्रतियों ने भगवान विष्णु की लोक कथाएं भी सुनीं।