Dev Deepawali: काशी में पहली बार 40 साल पहले मनाई गई थी देव दीपावली, पंचगंगा घाट पर जले थे 15 हजार दीये
Dev Deepawali in Varanasi: काशी में देव दीपावली की शुरुआत 40 साल पहले हुई थी। पंचगंगा घाट पर 1985 में 15 हजार दीप जलाए गए थे।
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वर्ष 1985 में तीन उत्सवों को मिलाकर देव दीपावली की शुरुआत काशी के पंचगंगा घाट पर की थी। दिन रविवार था और एक दिन पहले त्रिपुरोत्सव (त्रिपुरारी पूर्णिमा) मनाया जा रहा था। यह कहना है मंगलागौरी मंदिर के महंत पंडित नारायण गुरु का। उनसे खास बात की गई।
महंत पंडित नारायण गुरु ने बताया कि 40 वर्ष पहले पंचगंगा घाट पर दीप जलाए गए थे। यहां पांच नदियां (गंगा, यमुना, सरस्वती, किरण और धूतपापा) और पांच घाट (बालाघाट, केदारघाट, दुर्गा बिंदु माधव, गढ़वा और पुनिया) हैं। उस दिन ऊपर आकाशदीप और नीचे देवताओं के लिए दीये जल रहे थे। लगातार हो रहे इस आयोजन को देखते हुए 1995 में केंद्रीय देव दीपावली नामक एक संस्था भी बनाई गई।
दुर्गाघाट पर पहले मुक्केबाजी प्रतियोगिता होती थी। 1984 में इसे देखने गया था। यहां सीढ़ियों पर दीये जल रहे थे। यह नजारा विहंगम और आकर्षक लगा। पूर्णिमा के एक दिन पहले त्रिपुरोत्सव मनाया जाता है। 1992 तक करीब 25 घाटों पर दिव्य-भव्य आयोजन होने लगे। संकट मोचन और अन्नपूर्णा मंदिर के महंतों ने भरपूर सहयोग दिया।
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नारायण गुरु ने बताया कि उस समय तेल और घी दान करने की अपील पर्ची बांटकर की थी। 10-10 दीये मांगे गए थे। 1986 में इस पुनीत कार्य में पहले काशी के राजा डॉ. विभूति नारायण का भी सहयोग मिला था।
मंगला गौरी के महंत ने बताया कि पिछले 12 वर्षों से मध्य प्रदेश के नर्मदा नदी किनारे भी काशी की तरह ही देव दीपावली का आयोजन करवाया जा रहा है। अमर कंटक, हड़िया गांव और होशंगाबाद के घाटों पर नर्मदा जयंती के दिन यह आयोजन होता आ रहा है।