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अद्भुत है रामनगर की काली पूजा: प्रसाद के रूप में ले जाते हैं ईंट-मिट्टी और खर पतवार, दशकों से चली आ रही परंपरा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी Published by: किरन रौतेला Updated Tue, 14 Nov 2023 02:16 PM IST
सार

ईंट के बदले उसकी कीमत समिति के पास जमा कर दी जाती है जिसे समिति अन्य कामों में इस्तेमाल कर लेती है। यह पूजा गंगा जमुनी तहजीब की जीती जागती मिसाल है। पूजा आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विपिन सिंह बताते हैं कि पूजा में मुस्लिम भाई भी सहयोगी की भूमिका निभाते हैं।

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Kali Puja of Ramnagar is amazing: Bricks, soil and weeds are taken as Prasad, a tradition going on for decades
अद्भुत है रामनगर की काली पूजा - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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करीब तीन दशक से हो रही रामनगर की काली पूजा विरल और अद्भुत है। तड़क-भड़क से दूर स्वाभाविक से लगने वाले पंडाल, पूजा मंडप और आडंबर से बहुत दूर की साज सज्जा इस पूजा को दिव्य और खास बना देती है। खास बात ये कि इस पूजा के प्रसाद के रूप में लोग यहां के मंडप में लगने वाली ईंट और मिट्टी ले जाते हैं।

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काली पूजा समिति की ओर से इस काली पूजा का आयोजन रामनगर चौक में होता है। इस पूजा का सबसे खास आकर्षण यहां का पूजा मंडप है। ईंट और मिट्टी के साथ साथ खर पतवार से यह मंडप बनता है। मंडप बनाने में दो हजार नई ईंटों का इस्तेमाल होता है। ईंटों का बेस बनाकर उसमें मिट्टी भरकर पूजा मंच बनाया जाता है। फिर गोबर से लेप कर दिया जाता है। इसके चारों तरफ खर पतवार से घेर कर मंडप तैयार किया जाता है। इसी स्वाभाविक मंडप में रविवार की रात मां काली की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा की गई। दो दिवसीय पूजा समारोह के लिए रामनगर चौक को विद्युत झालरों से सजाया गया। पूजा समापन के बाद इस मंडप में लगे ईंट, मिट्टी या अन्य सारे सामान लोग प्रसाद के रूप में ले जाते हैं।
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जमा कराई जाती है ईंट की कीमत
ईंट के बदले उसकी कीमत समिति के पास जमा कर दी जाती है जिसे समिति अन्य कामों में इस्तेमाल कर लेती है। यह पूजा गंगा जमुनी तहजीब की जीती जागती मिसाल है। पूजा आयोजन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले विपिन सिंह बताते हैं कि पूजा में मुस्लिम भाई भी सहयोगी की भूमिका निभाते हैं। हमारा उद्देश्य तीस साल से चली आ रही परंपराओं को निभाना है। तड़क-भड़क से दूर रहकर पूजा को भव्य रूप प्रदान करने में हर कोई अपनी भागीदारी निभाता है। समारोह आयोजन में मूलचंद यादव, विपिन सिंह, अनिल पांडेय, नारायण झा, बैकुंठ केसरी, पप्पू खान, अनिल सिंह, भानु प्रताप सिंह आदि ने सक्रिय भागीदारी की।

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