वाराणसी: धान की बालियों से सजेगा मां अन्नपूर्णा का दरबार, 17 दिवसीय महाव्रत 24 नवंबर से होगा शुरू
माता अन्नपूर्णा के इस महाव्रत में भक्त 17 गांठ वाला पवित्र धागा धारण करते हैं। यह महाव्रत 17 वर्ष 17 महीने 17 दिन का होता है।

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अन्न-धन की देवी मां अन्नपूर्णा का 17 दिवसीय महाव्रत का अगहन माह के कृष्ण पक्ष के पंचमी तिथि 24 नवंबर से शुरू होगा। महाव्रत का उद्यापन अगहन माह के शुक्ल पक्ष नौ दिसंबर को होगा।

इस दिन मां का अनोखा श्रृंगार होगा। धान की बालियों से देवी का श्रृंगार किया जाएगा। पूरे पूर्वांचल से किसान अपनी धान की बालियों को देवी के श्रृंगार के लिए भेजते हैं।
मां अन्नपूर्णा का महाव्रत बुधवार से आरंभ होने जा रहा है। यह महाव्रत 17 वर्ष 17 महीने 17 दिन का होता है। परंपरा के अनुसार इस व्रत के प्रथम दिन प्रातः अन्नपूर्णा मंदिर के महंत स्वयं अपने हाथों से 17 गांठ के धागे भक्तों को देते हैं।
महाव्रत में अन्न का सेवन वर्जित
माता अन्नपूर्णा के इस महाव्रत में भक्त 17 गांठ वाला धागा धारण करते हैं। इसमें महिलाएं बाएं व पुरुष दाहिने हाथ में इसे धारण करते हैं। इसमें अन्न का सेवन वर्जित होता है। केवल एक वक्त फलाहार किया जाता है वह भी बिना नमक का। 17 दिन तक चलने वाले इस अनुष्ठान का उद्यापन नौ दिसंबर को होगा।
नहीं होती अन्न-धन और ऐश्वर्य की कमी
उद्यापन के दिन धान की बालियों से मां अन्नपूर्णा के गर्भ गृह समेत मंदिर परिसर को सजाया जाता है। प्रसाद स्वरूप धान की बाली आम भक्तों में वितरण किया जाता है। मान्यता है कि मां को धान की बाली अर्पित करने से फसल में बढ़ोत्तरी होती है।
प्रसाद स्वरूप मिले धान की बाली को दूसरी धान की फसल में मिला देते हैं। मंदिर के महंत शंकर पुरी ने कहा माता अन्नपूर्णा का व्रत-पूजन से दैविक, भौतिक सुख प्रदान करता है। अन्न-धन और ऐश्वर्य की कमी नहीं होती है।