सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Varanasi News ›   purnima shraddh did not reach Yajman silence on ghat ban on public events in Pitripaksh in varanasi

वाराणसी: पूर्णिमा श्राद्ध पर नहीं पहुंचे यजमान, पसरा सन्नाटा, पितृपक्ष में सार्वजनिक आयोजनों पर लगी है पाबंदी

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वाराणसी Published by: गीतार्जुन गौतम Updated Wed, 02 Sep 2020 12:44 PM IST
विज्ञापन
purnima shraddh did not reach Yajman silence on ghat ban on public events in Pitripaksh in varanasi
घाट पर पसरा रहा सन्नाटा। - फोटो : अमर उजाला
loader

वाराणसी में श्राद्ध पूर्णिमा पर पिशाचमोचन कुंड पर पहली बार कोई यजमान नहीं पहुंचा। जहां सैकड़ों की भीड़ हुआ करती थी, वहां मंगलवार को गिने-चुने लोग ही नजर आए। पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मुक्ति दिलाने वाले पिशाचमोचन कुंड पर पहली बार पितृपक्ष में सन्नाटा रहेगा। तीर्थ पुरोहित समाज के चेहरे पर भी मायूसी छाई हुई है।

Trending Videos

पितृपक्ष के इतिहास में पहली बार गया तीर्थ की मान्यता वाले पिशाचमोचन पर न तो यजमान होंगे न ही पुरोहित। मंगलवार को तीर्थ पुरोहित समाज की बैठक में भी प्रशासन के निर्देशों के पालन पर सहमति बनी। हालांकि पुरोहित समाज ने प्रशासन से मांग की है कि वह सोशल डिस्टेंसिंग के साथ श्राद्ध कराने की अनुमति प्रदान करें।
विज्ञापन
विज्ञापन



तीर्थ पुरोहित समाज के राजेश मिश्रा ने बताया कि पिशाच मोचन कुंड पर पितृपक्ष के दौरान सभी आयोजन निरस्त कर दिए गए हैं। पितृपक्ष के दौरान होने वाले विधि-विधान व त्रिपिंडी श्राद्ध पिशाचमोचन कुंड पर आयोजित करने का आदेश नहीं है।

purnima shraddh did not reach Yajman silence on ghat ban on public events in Pitripaksh in varanasi
पिंडदान करने इक्का-दुक्का लोग पहुंच रहे। - फोटो : अमर उजाला
मिलती है प्रेत-बाधा से मुक्ति 
मान्यता है कि पिशाचमोचन कुंड पर त्रिपिंडी श्राद्ध करने से पितरों को प्रेत बाधा और अकाल मृत्यु से मरने के बाद व्याधियों से मुक्ति मिल जाती है। इसीलिए पितृ पक्ष के दिनों में पिशाच मोचन कुंड पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है। श्राद्ध की इस विधि और पिशाच मोचन तीर्थस्थली का वर्णन गरुण पुराण में भी मिलता है।

ऑनलाइन होगा तर्पण 
पिशाचमोचन पर पितृ पक्ष में हर साल हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है। इस बार तीर्थ पुरोहितों ने पितृपक्ष में सामूहिक त्रिपिंडी श्राद्ध ऑनलाइन कराने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि तीर्थ पुरोहित श्राद्ध को अपने-अपने घरों से ही कराएंगे। तीर्थपुरोहित पं. जगदीश मिश्र ने स्थानीय लोगों से भी अनुरोध किया है कि वह घर पर ही रहकर श्राद्ध और तर्पण करें।

purnima shraddh did not reach Yajman silence on ghat ban on public events in Pitripaksh in varanasi
बैठाई जाती हैं अतृप्त आत्माएं
कुंड के पास एक पीपल का पेड़ है। इसको लेकर मान्यता है कि इस पर अतृप्त आत्माओं को बैठाया जाता है। इसके लिए पेड़ पर सिक्का रखवाया जाता है ताकि पितरों का सभी उधार चुकता हो जाए और पितर सभी बाधाओं से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकें और यजमान भी पितृ ऋण से मुक्ति पा सकें। पितरों के लिए 15 दिन स्वर्ग का दरवाजा खोल दिया जाता है। यहां के पूजा-पाठ और पिंड दान करने के बाद ही लोग गया के लिए जाते हैं। 

क्या न करें 
श्राद्ध कृत्य में लोहे का बर्तन इस्तेमाल करना वर्जित है। भोजन में अरहर, मसूर, कद्दू, बैगन, गाजर, शलजम, सिंघाड़ा, जामुन, अलसी, चना आदि का प्रयोग नहीं किया जाता है। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सात्विक भोजन ग्रहण करें। श्राद्ध पक्ष में कोई भी नया कार्य आरंभ नहीं करना चाहिए। श्राद्धपक्ष में अपने परिवार के अतिरिक्त अन्यत्र भोजन आदि कुछ भी ग्रहण नहीं करना चाहिए। 

16 दिन का होगा श्राद्ध
पितृपक्ष की शुरुआत 2 सितंबर से हो रही है जो कि 17 तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के अनुसार इस बार तिथियों की घट-बढ़ के बावजूद पितरों की पूजा के लिए 16 दिन मिल रहे हैं। आमतौर पर पितृपक्ष खत्म होते ही अगले दिन से नवरात्रि शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार 19 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब पितृपक्ष के खत्म होने के एक महीने बाद नवरात्र शुरू होंगे। अधिकमास के कारण ऐसी स्थिति बनी है।

purnima shraddh did not reach Yajman silence on ghat ban on public events in Pitripaksh in varanasi
ऐसे करें घर पर श्राद्ध 
दिन का आठवें  मुहूर्त 48 मिनट की कुतप संज्ञा है जो दिन में लगभग 12 बजे के आसपास आता है। इस काल में पितृकर्म अक्षय होता है। स्नान करके तिलक लगाकर प्रथम दाहिनी अनामिका के मध्य पोर में दो कुशा और बायीं अनामिका में तीन कुशों की पवित्री धारण करना चाहिए। फिर हाथ में त्रिकुश, यव, अक्षत और जल लेकर संकल्प करें। अद्य श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलप्राप्त्यर्थं पितृतर्पणं करिष्ये। इसके बाद तांबे के पात्र में जल और चावल डालकर त्रिकुश को पूर्वाग्र रखकर उस पात्र को दाएं हाथ में लेकर बायें हाथ से ढककर पितरों का आवाहन करें। 

यह बातें ध्यान रखें -
  • दक्षिण दिशा की ओर मुंह करें। 
  • अपसव्य होकर बैठना चाहिये अर्थात जनेऊ को दाहिने कंधे पर रखकर बायें हाथ के नीचे ले जाएं 
  • गमछे को भी दाहिने कंधे पर रखें 
  • बायां घुटना जमीन पर लगाकर बैठें 
  • अघ्रयपात्र में काला तिल छोड़ें 
  • कुशों के बीच से मोड़कर उनकी जड़ और अग्रभाग को दाहिने हाथ में तर्जनी और अंगूठे के बीच में रखें। 
  • अंगूठे और तर्जनी के मध्यभाग को पितृ तीर्थ कहते हैं। पितृतीर्थ से ही पितरों को जलाज्ञलि देनी चाहिये। 
 

श्राद्धपक्ष में वायु रूप में आते हैं पितृ 
ब्रह्म पुराण के अनुसार श्राद्धपक्ष के 16 दिनों में पितृ वंशजों के घर वायु रूप में आते हैं। इसलिए उनकी तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोजन और पूजा-पाठ करने का विधान है। 

जरूरतमंद लोगों को कराएं भोजन 
पितरों की तृप्ति के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए। पितरों को जलांजलि दी जानी चाहिए। इन 16 दिनों में जरूरतमंदों को भोजन बांटना चाहिए। इसके परिणाम स्वरूप कुल और वंश का विकास होता है। परिवार के सदस्यों को लगे रोग और कष्टों दूर होते हैं। 

सर्वपितृ अमावस्या 17 सितंबर को 
पितृपक्ष का आखिरी दिन सर्वपितृ अमावस्या होती है। इस दिन परिवार के उन मृतक सदस्यों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा या चतुर्दशी तिथि को हुई हो। अगर कोई सभी तिथियों पर श्राद्ध नहीं कर पाता तो सिर्फ अमावस्या तिथि पर श्राद्ध भी कर सकता है। इस बार सर्वपितृ अमावस्या 17 सितंबर को है। 

पूर्णिमा श्राद्ध- 1 सितंबर 
प्रतिपदा श्राद्ध 2 सितंबर 
द्वितीय श्राद्ध 3 सितंबर 
तृतीया श्राद्ध 4 सितंबर 
चतुर्थी श्राद्ध 6 सितंबर 
पंचमी श्राद्ध 7 सितंबर 
षष्ठी श्राद्ध 8 सितंबर 
सप्तमी श्राद्ध 9 सितंबर 
अष्टमी श्राद्ध 10 सितंबर 
नवमी श्राद्ध 11 सितंबर 
दशमी श्राद्ध 12 सितंबर 
एकादशी श्राद्ध  13 सितंबर 
द्वादशी श्राद्ध 14 सितंबर 
त्रयोदशी श्राद्ध  15 सितंबर 
चतुर्दशी श्राद्ध 16 सितंबर 
अमावस्या श्राद्ध 17 सितंबर
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed