UP: एक हजार साल प्राचीन आकृति पर शिवलिंग बनाम बुद्ध का विवाद, काशी में मिली थी दुर्लभ मूर्ति; जानें खास बातें
Varanasi News: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जीन विज्ञानी प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे और उनके गांव के ग्रामीणों ने एक दाह संस्कार में सम्मिलित होने के दौरान वाराणसी के उत्तर दिशा में गंगा नदी के किनारे एक दुर्लभ एकमुखी शिवलिंग की खोज की थी।
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चौबेपुर में मिली एक हजार साल प्राचीन आकृति एकमुखी शिवलिंग है या गौतम बुद्ध की प्रतिमा, सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। एक ओर बीएचयू के विशेषज्ञों का दावा है कि यह गुर्जर-प्रतिहार काल यानी लगभग आठवीं से दसवीं शताब्दी ईस्वी में निर्मित एकमुखी शिवलिंग है।
जटा-मुकुट, चंद्रमा और डमरू कभी भी बुद्ध से नहीं जुड़े हैं। जबकि सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि इस शैली में बनी प्रतिमा सिर्फ बुद्ध की ही हो सकती है। कभी भी शिव पर इतनी नक्काशी नहीं हुई। एक सप्ताह पहले शहर से 20 किमी दूर गंगा के किनारे दाह संस्कार के दौरान पहुंचे लोगों को ये आकृति दिखी थी।
उन्होंने इसकी फोटो सोशल मीडिया पर साझा की जिसके बाद ये वायरल हो गई। अब सोशल मीडिया पर शिव बनाम बुद्ध की बहस छिड़ने के बाद राखीगढ़ी मैन प्रो. वसंत शिंदे, जीन वैज्ञानिक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे और पुराविद डॉ. सचिन ने तुलनात्मक अध्ययन किया है। इस प्रतिमा में सिर पर जटा और मुकुट है।
ऐसे मिली थी मूर्ति
माथे पर चंद्रमा और बाईं ओर जटाओं में डमरू उकेरा गया है। ये तीनों पहचान भगवान शिव के हैं। बुद्ध से इनका कभी भी कोई संबंध नहीं रहा है। एकमुखी शिवलिंग में शिव का चेहरा शांत भाव में दिखाया जाता है। दूसरी ओर बुद्ध की मूर्तियों में चेहरा हमेशा ध्यानमग्न और करुणा से भरा होता है।
बुद्ध को साधु के रूप में दिखाया जाता है, जबकि इस प्रतिमा में कानों में कुंडल हैं। यह किसी संन्यासी का नहीं बल्कि भगवान शिव का रूप है। पुरातात्विक प्रमाण बताते हैं कि ऐसे एकमुखी लिंग गुर्जर-प्रतिहार काल में बालू पत्थर से बनाए जाते थे और इनमें शिव की अलंकरणपूर्ण विशेषताएं प्रमुख होती थीं।
बुद्ध की मूर्तियां लिंगाकार नहीं होतीं। वे या तो पद्मासन में बैठी होती हैं या खड़ी मुद्रा में। यहां योनिपीठ वाला शिवलिंग स्पष्ट दिख रहा है जो कि केवल शैव उपासना में इस्तेमाल होता है। अगर यह बुद्ध की मूर्ति होती तो धर्मचक्र, कमल या भिक्षापात्र जैसे बौद्ध प्रतीक मिलते। इनके बजाय आधार पर जल निकास मार्ग बना है जो अभिषेक के लिए उपयोग होता है।
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