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Cough Syrup: कफ सिरप की खरीद-बिक्री में काशी की 102 फर्म शामिल, 26 के लाइसेंस होंगे निरस्त

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: प्रगति चंद Updated Mon, 17 Nov 2025 01:28 PM IST
सार

प्रतिबंधित कफ सिरप मामले को लेकर वाराणसी में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की ओर से जांच की जा रही है। पांच दिन में इसका रिपोर्ट देना है। सत्यापन के दौरान पता चला है कि कफ सिरप की खरीद-बिक्री में काशी की 102 फर्म शामिल हैं। 

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Varanasi 102 firms involved in purchase and sale of cough syrup licenses of 26 will be cancelled
कफ सिरप (सांकेतिक) - फोटो : संवाद
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विस्तार
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कोडीन युक्त प्रतिबंधित कफ सिरप की खरीद-बिक्री में काशी की 102 फर्म भी शामिल हैं। इन सबके दस्तावेज, खरीद-बिक्री के रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। भूमिका खराब मिलने पर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। 

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खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन 76 फर्मों का सत्यापन करा रहा है। इसके लिए तीन ड्रग इंस्पेक्टरों को अतिरिक्त तैनाती दी गई है। पांच दिन में जांच पूरी करके रिपोर्ट देनी है। दूसरी तरफ, जिन 26 फर्मों के खिलाफ शनिवार को कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया गया था उनके लाइसेंस निरस्त होंगे। इसका नोटिस होलसेल फार्मा कंपनियों को दिया जा चुका है। 
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खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की आयुक्त रोशन जैकब ने कोडीन युक्त कफ सिरप की खरीद-बिक्री में धांधली पकड़ी और शनिवार को कोतवाली में 26 फर्मों के 28 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। अब इस खेल में शामिल दूसरी फर्मों की भूमिका की जांच की जा रही है। 

विभागीय जांच रिपोर्ट के मुताबिक, कोडीन युक्त सिरप की फर्जी बिलिंग के लिए ही फर्मों का पंजीकरण कराया गया है। इन फर्मों के कार्यालय में एक कुर्सी और एक मेज रखी गई है। कफ सिरप को छोड़ दें तो, किसी दूसरी दवा का सैंपल तक नहीं रखा गया है। दवाएं रखने के लिए गोदाम नहीं है। सत्यापन के दौरान दवाओं का स्टॉक भी नहीं मिला।

डीएसए और महाकाल फर्म के कार्यालय एक ही जगह पाए गए। फर्जीवाड़े में मुख्य भूमिका भोला प्रसाद जायसवाल और उसके बेटे शुभम जायसवाल की मिली है। भोला प्रसाद के नाम से ही झारखंड की बंद फैक्टरी से 100 करोड़ रुपये का प्रतिबंधित कफ सिरप खरीदा गया था। शुभम का मददगार देवेश जायसवाल है।

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हिमाचल, उत्तराखंड, झारखंड से मिली जानकारी से फर्जीवाड़े का खुलासा

प्रतिबंधित कफ सिरप की खरीद-बिक्री में गड़बड़ी का खुलासा तब हुआ जब औषधि प्रशासन की टीम ने दवा बनाने वाली हिमाचल प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड की कंपनियों से संपर्क साधा। दवा उत्पादन के साथ खरीद-बिक्री का ब्योरा तलब किया था। साथ ही ड्रग कंट्रोलर से सप्लाई की जानकारी मांगी। इससे पता चला कि 26 फर्म ऐसी हैं जहां कोडीन युक्त सिरप की तीन लाख शीशी मंगाई गई है इसीलिए सत्यापन कराया गया।

इन फर्मों के निरस्त होंगे लाइसेंस
मेसर्स श्री आरएस फार्मास्यूटिकल्स, जीडी इंटरप्राइजेज, न्यू पीएल फार्मा, सिंडिकेट इंटरप्राइजेज, जीआरएस मेडिकल एजेंसीज, दिनेश मेडिकल एजेंसी, शिल्पी फॉर्मा, श्रीलोकेश फार्मा, खन्ना फार्मा, श्री वर्षा मेडिकल एजेंसी, उर्मिला फार्मास्यूटिकल्स, जीटी इंटरप्राइजेज, हर्ष फार्मा, शिवम फार्मा, श्रीएससी फार्मा, डीएसए फार्मा, देवनाथ फार्मेसी, आशा डिस्ट्रीब्यूटर्स, महाकाल मेडिकल स्टोर, निशांत फार्मा, हरिओम फार्मा, मां संकठा मेडिकल, अनविनय मेडिकल एजेंसी, श्रीबालाजी मेडिकल, वीपीएम मेडिकल एजेंसी और जायसवाल मेडिकल्स।

पूर्व ड्रग अधिकारियों ने शुभम को बनाया गिरोह का कप्तान
कोडिन युक्त कफ सिरप की खरीद-बिक्री में शुभम जायसवाल को गिरोह का कप्तान बनाने में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के पूर्व अधिकारियों का अहम रोल रहा। विभागीय सूत्रों के अनुसार सप्तसागर दवा मंडी के 150 स्टॉकिस्टों पर दवाव बनाकर बिलिंग कराई जाती थी। दाम से महज 10 रुपये अधिक स्टॉकिस्टों के पास जाता था और गोदाम में माल पहुंचने से पहले डिपो से माल शुभम के गोदाम तक पहुंच जाता था। कोतवाली थाना प्रभारी दया शंकर सिंह ने बताया कि शुभम समेत 28 आरोपियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे की जांच की जा रही है।

तीन पार्टनर के बीच शिवपुर में होती थी डील
अब तक की जांच में सामने आया कि शिवपुर स्थित चुंगी के पास एक अपार्टमेंट में शुभम जायसवाल और उसके दो पार्टनर के बीच रुपये के लेनदेन की बैठक होती थी। शिवपुर थाना क्षेत्र के एक हिस्ट्रीशीटर को चार पहिया वाहन भी शुभम ने फाइनेंस कराया और उसके एवज में पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ कारोबारियों से शुभम का हाथ मिलवाया।
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