काशी में पहुंचे 18 देशों के अनुयायी: स्वर्वेद में विहंगम योग के साथ पूजा, विश्व शांति की कामना; गूंजे महामंत्र
Varanasi News: विहंगम योग के सभी अनुयायी इसका अनुसरण कर अपने जीवन को कृतार्थ करें। सुरक्षा के लिए विहंगम दल के 500 स्वयं सेवकों के अलावा पुलिस, पीएसी तैनात की गई है।
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Swarved Mahamandir Dham: विहंगम योग के 102वें वार्षिकोत्सव के लिए स्वर्वेद महामंदिर धाम सज गया है। रंग-बिरंगी रोशनी से नहाए हुए मंदिर की भव्यता देखते ही बन रही है। भारत समेत 19 देशों के विहंगम योग अनुयायी समर्पण दीप अध्यात्म महोत्सव में हिस्सा लेने के लिए पहुंच रहे हैं। श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी रहा। विश्व शांति की कामना से 25 हजार यज्ञकुंडों में आहुतियां अर्पित की जाएंगी।
उमरहां स्थित स्वर्वेद महामंदिर धाम में वार्षिकोत्सव की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। पश्चिम बंगाल की आकर्षण रंग-बिरंगी रोशनी से स्वर्वेद महामंदिर को सजाया गया है। कार्यक्रम में भाग लेने के लिए अमेरिका, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, कनाडा, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया सहित 18 देश के अनुयायियों के अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, समेत कश्मीर से कन्याकुमारी तक के अनुयायी शामिल रहेंगे।
भक्त अ अंकित सफेद ध्वजा लिए जय सदगुरुदेव का नारा लगाते हुए महामंदिर धाम पहुंच रहे थे। महामंदिर धाम परिसर उमरहां बाजार से डुबकियां बाजार तक 3 किलोमीटर की परिधि में आकर्षक लाइटों से सजाया गया। सभी अतिथि गृहों की साज सज्जा की गई है।
कार्यक्रम की पूर्व संध्या पर सद्गुरु आचार्य स्वतंत्र देव महाराज द्वारा जय स्वर्वेद कथा का सांस्कृतिक पाठ कराया गया। इस मौके पर संत प्रवर विज्ञान देव महाराज ने कहा कि स्वर्वेद जीवन का मूल आधार है।
डेढ़ लाख अनुयायी देंगे आहुति
विहंगम योग के 102वें वार्षिकोत्सव की शुरुआत 25 नवंबर को प्रातः 8 बजे सतगुरु आचार्य स्वतंत्र देव महाराज के अ अंकित सफेद ध्वजा फहराकर किया जाएगा। इसी दिन शाम 6 बजे से रात्रि 9 तक संत प्रवर विज्ञान देव महाराज जय स्वर्वेद कथा का अमृत रसपान कराएंगे।
बुधवार की सुबह आठ बजे 25000 वैदिक महाकुंड में भारत समेत दुनिया के 19 देश के डेढ़ लाख अनुयायी हवन कुंड में आहुति देंगे। शाम पांच बजे से सद्गुरु आचार्य स्वतंत्र देव महाराज व संत प्रवर विज्ञान देव महाराज की दिव्य वाणी जय स्वर्वेद कथा का भक्त अनुसरण करेंगे। सांस्कृतिक कार्यक्रमों से क्ति की रसधार बहेगी।