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सिमट रही है नैनी झील
अमर उजाला ब्यूरो, नैनीताल
Updated Tue, 19 Apr 2016 12:07 AM IST
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नैनी झील
- फोटो : अमर उजाला
नैनीताल। अप्रैल का पहला पखवाड़ा बीत चुका है। सरोवर नगरी में पर्यटक सीजन धीरे धीरे बढ़ रहा है। माल रोड हो या फिर इससे लगे होटल और मल्लीताल स्थित फ्लैट्स, हर जगह सीजन की चहलकदमी शुरू हो चुकी है लेकिन पर्यटन व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों कारोबारियों के चेहरों से वह रौनक गायब है जो पिछले साल तक सीजन शुरू होने के समय नजर आती थी। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार नैनीझील का जल स्तर जिस तेजी से घट रहा है वह पर्यटन व्यवसायियों के साथ साथ सैलानियों के लिए भी चिंता का कारण बना हुआ है। संभवत: अप्रैल के महीने में नैनी झील को इस रूप में शायद ही किसी ने कभी पहले देखा होगा।
पिछले वर्षों तक अप्रैल में नैनी झील लबालब रहती थी। मई-जून में झील का जल स्तर कम होता था लेकिन झील में हमेशा इतना पानी रहता था कि झील यहां आने वाले सैलानियों को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर लेती थी लेकिन इस बार नजारा इसके एकदम उलट है। अप्रैल का महीना शुरू होने के साथ ही झील का जल स्तर घटने लगा था। वर्तमान में झील का पानी अपने प्राकृतिक स्वरूप से कई मीटर नीचे सरक गया है। जिसके चलते तल्लीताल दर्शन घर पार्क के समीप, फांसी गधेरे के पास, माल रोड में पुस्तकालय के समीप, तल्लीताल में झील नियंत्रण कक्ष के समीप, मल्लीताल में बोट स्टेंड के पास और नैना देवी मंदिर के पास डेल्टा बन गए हैं।
लोनिवि के झील नियंत्रण कक्ष के मुताबिक नैनी झील जब अपने प्राकृतिक स्वरूप में होती है तब झील में अधिकतम 12 फुट पानी रहता है। जबकि नियंत्रण कक्ष द्वारा इस माह 11 अप्रैल को जब जलस्तर जांचा गया तो नैनीझील में माइनस तीन (-3) फुट ही पानी रह गया था। जिसके चलते नैनीझील अपने वास्तविक स्वरूप को पूरी तरह खो चुकी है। ऐसे में जहां एक ओर झील सैलानियों के मन को नहीं भा रही है वहीं दूसरी ओर इसका सीधा असर पर्यटन व्यवसाय पर पड़ने की आशंका के चलते पर्यटन व्यवसायी खासे परेशान हैं। नैनीताल होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रवक्ता कमल जगाती कहते हैं कि झील का जलस्तर कम होने से पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित होगा और सैलानी यहां रुकने के बजाए आसपास के क्षेत्रों में रुकना ज्यादा पसंद करेंगे क्योंकि वहां उन्हें झीलें अपने प्राकृतिक स्वरूप में नजर आएंगी।
...आखिर कहां जा रहा है झील का पानी
नैनीताल। नैनीझील से पानी नहीं छोड़ा जा रहा है और इसके बाद भी झील का जल स्तर लगातार घट रहा है। वहीं दूसरी ओर भीमताल, नौकुचियाताल और सातताल की झीलें लबालब हैं। ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं कि नैनीझील का पानी आखिर इतनी तेजी से कहां जा रहा है। लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों को इस बात की जांच करानी चाहिए कि जब पानी छोड़ा ही नहीं जा रहा है तो फिर पानी जा कहां रहा है।
झील का स्वामित्व किसका
नैनीताल। नैनीझील पर किस विभाग का स्वामित्व है। यह बात शायद ही कभी किसी के समझ में आए। ऐसा इसलिए क्योंकि झीलों के संरक्षण के लिए झील विकास प्राधिकरण गठित है। झील में नौकाओं का लाइसेंस देने का जिम्मा नगर पालिका के पास है। झील का पानी और झील के सौंदर्यीकरण का जिम्मा भी सिंचाई विभाग का ही है। जबकि झील नियंत्रण कक्ष लोक निर्माण विभाग के अधीन है। ऐसे में जब कभी झील को लेकर सवाल उठते हैं तो हर विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोपते नजर आते हैं।
धीमी गति से चल रहा है डेल्टा सफाई का काम
नैनीताल। जिला प्रशासन द्वारा पिछले कुछ समय से नैनीझील में बने डेल्टाओं की सफाई के लिए अभियान चलाया हुआ है। प्रशासन जेसीबी मशीन की मदद से डेल्टाओं की सफाई करा रहा है। अब तक तल्लीताल छोर में, मल्लीताल में नयना देवी मंदिर के समीप और मल्लीताल में बोट हाउस क्लब के पास डेल्टाओं की सफाई की जा चुकी है लेकिन उक्त कार्य धीमी गति से चल रहा है। जिसे लेकर भी पर्यटन व्यवसायी चिंतित हैं।
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पिछले वर्षों तक अप्रैल में नैनी झील लबालब रहती थी। मई-जून में झील का जल स्तर कम होता था लेकिन झील में हमेशा इतना पानी रहता था कि झील यहां आने वाले सैलानियों को बरबस अपनी ओर आकर्षित कर लेती थी लेकिन इस बार नजारा इसके एकदम उलट है। अप्रैल का महीना शुरू होने के साथ ही झील का जल स्तर घटने लगा था। वर्तमान में झील का पानी अपने प्राकृतिक स्वरूप से कई मीटर नीचे सरक गया है। जिसके चलते तल्लीताल दर्शन घर पार्क के समीप, फांसी गधेरे के पास, माल रोड में पुस्तकालय के समीप, तल्लीताल में झील नियंत्रण कक्ष के समीप, मल्लीताल में बोट स्टेंड के पास और नैना देवी मंदिर के पास डेल्टा बन गए हैं।
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लोनिवि के झील नियंत्रण कक्ष के मुताबिक नैनी झील जब अपने प्राकृतिक स्वरूप में होती है तब झील में अधिकतम 12 फुट पानी रहता है। जबकि नियंत्रण कक्ष द्वारा इस माह 11 अप्रैल को जब जलस्तर जांचा गया तो नैनीझील में माइनस तीन (-3) फुट ही पानी रह गया था। जिसके चलते नैनीझील अपने वास्तविक स्वरूप को पूरी तरह खो चुकी है। ऐसे में जहां एक ओर झील सैलानियों के मन को नहीं भा रही है वहीं दूसरी ओर इसका सीधा असर पर्यटन व्यवसाय पर पड़ने की आशंका के चलते पर्यटन व्यवसायी खासे परेशान हैं। नैनीताल होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के प्रवक्ता कमल जगाती कहते हैं कि झील का जलस्तर कम होने से पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित होगा और सैलानी यहां रुकने के बजाए आसपास के क्षेत्रों में रुकना ज्यादा पसंद करेंगे क्योंकि वहां उन्हें झीलें अपने प्राकृतिक स्वरूप में नजर आएंगी।
...आखिर कहां जा रहा है झील का पानी
नैनीताल। नैनीझील से पानी नहीं छोड़ा जा रहा है और इसके बाद भी झील का जल स्तर लगातार घट रहा है। वहीं दूसरी ओर भीमताल, नौकुचियाताल और सातताल की झीलें लबालब हैं। ऐसे में लोग सवाल कर रहे हैं कि नैनीझील का पानी आखिर इतनी तेजी से कहां जा रहा है। लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों को इस बात की जांच करानी चाहिए कि जब पानी छोड़ा ही नहीं जा रहा है तो फिर पानी जा कहां रहा है।
झील का स्वामित्व किसका
नैनीताल। नैनीझील पर किस विभाग का स्वामित्व है। यह बात शायद ही कभी किसी के समझ में आए। ऐसा इसलिए क्योंकि झीलों के संरक्षण के लिए झील विकास प्राधिकरण गठित है। झील में नौकाओं का लाइसेंस देने का जिम्मा नगर पालिका के पास है। झील का पानी और झील के सौंदर्यीकरण का जिम्मा भी सिंचाई विभाग का ही है। जबकि झील नियंत्रण कक्ष लोक निर्माण विभाग के अधीन है। ऐसे में जब कभी झील को लेकर सवाल उठते हैं तो हर विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी थोपते नजर आते हैं।
धीमी गति से चल रहा है डेल्टा सफाई का काम
नैनीताल। जिला प्रशासन द्वारा पिछले कुछ समय से नैनीझील में बने डेल्टाओं की सफाई के लिए अभियान चलाया हुआ है। प्रशासन जेसीबी मशीन की मदद से डेल्टाओं की सफाई करा रहा है। अब तक तल्लीताल छोर में, मल्लीताल में नयना देवी मंदिर के समीप और मल्लीताल में बोट हाउस क्लब के पास डेल्टाओं की सफाई की जा चुकी है लेकिन उक्त कार्य धीमी गति से चल रहा है। जिसे लेकर भी पर्यटन व्यवसायी चिंतित हैं।
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