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Upendra Kushwaha: Upendra Kushwaha's big attack on the opposition regarding delimitation, said- injustice with
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Upendra Kushwaha:परिसीमन को लेकर उपेंद्र कुशवाहा का विपक्ष पर बड़ा हमला, बोले- बिहार के साथ अन्याय...
Video Published by: ज्योति चौरसिया Updated Mon, 23 Jun 2025 10:39 AM IST
राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा एक दिवसीय दौरे पर गया जी पहुंचे। उनके आगमन को लेकर गया परिसदन भवन के सभागार में एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बिहार में हम कुछ चुने हुए जगहों पर बड़ी रैली करेंगे और उस रैली में विशेष एजेंडा के माध्यम से लोगों को अवगत कराने का काम करेंगे। वह है परिसीमन का विषय है। परिसीमन का मतलब की लोकसभा क्षेत्रो की संख्या, विधानसभा क्षेत्रों की संख्या विभिन्न राज्यो में इसका निर्धारण और इस काम के लिए हमारे देश के संविधान में व्यवस्था की गई प्रारंभ में कि हर दस साल पर जनगणना होगी और जनगणना के उपरांत जितनी आबादी उस वक्त की होगी उसके अनुरूप लोकसभा क्षेत्रो की संख्या भी बढ़ेगी और राज्य वार विधानसभा क्षेत्रों की संख्या भी बढ़ेगी, संविधान की इस व्यवस्था के अनुसार सबसे पहली बार 1951 मे आजादी के बाद कि जनगणना के आधार पर परिसीमन हुआ,1961 के जनगणना के आधार पर परिसीमन हुआ, 1971 के जनगणना के आधार पर परिसीमन हुआ,51 में लोकसभा सीट 494 परिसीमन के बाद तय किया गया और 61 में 494 से बढ़कर 522 हो गया, 71 में 522 से बढ़कर 543 हो गई और उसी व्यवस्था के अनुसार आगे भी परिसीमन होना चाहिए था लेकिन 1976 में जब आपात काल देश मे लागू था उस वक्त संविधान में परिवर्तन कर दिया गया और परिसीमन के काम को रोक दिया गया जो अभी तक रुका हुआ है, और रुकने से नुकसान बिहार का और बिहार के अगल बगल कुछ राज्यों का भी बहुत ही हो रहा है।अगर पुरानी व्यवस्था के हिसाब से 2011 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन हुआ रहता तो अभी 40 लोकसभा क्षेत्रो की संख्या के जगह कम से कम 60 हो गई होती,विधानसभा क्षेत्र की संख्या भी उसके अनुरूप बढ़ती लेकिन नही हुआ और रोक दिया गया।50 वर्षों से रुका हुआ है तो इसका बहुत बड़ा नुकसान हम बिहार के लोगों का हो रहा है अभी तक जो संविधान की जो व्यवस्था है उसके अनुसार 2026 में रोक की सीमा समाप्त हो रही है।2026 में अगर वर्तमान संविधान की रोक समाप्त हो गई तो हमारी संख्या बढ़ेगी लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र मे और बिहार के अगल बगल के राज्यों में लेकिन एक कोशिश फिर से शुरू हो गई है कि 2026 में भी परिसीमन का काम न हो और संविधान की जो व्यवस्था है उस व्यवस्था में रोक की सीमा को और आगे बढ़ दी जाए। मुख्य रूप से जो दक्षिण राज्य के कुछ नेता है उनलोगों ने मिलकर एक संगठन बना लिया है और उस संगठन के माध्यम से लोकसभा और राज्यसभा में भी इस बात को लेकर अभियान चला रहे है।एक तरफ परिसीमन नही हो इसके लिए अभियान चल रहा है देश मे और दूसरी ओर परिसीमन हो इससे फायदा हमारा हो इस बात को लेकर कंही से कोई आवाज नही उठ रही थी इस लिए हमारी पार्टी ने तय किया कि एकतरफा लोगो के बीच जो बात जा रही है यह बात नही जाए क्योंकि इससे हमारा नुकसान है बिहार के साथ हक मारी है इस हक मारी के खिलाफ अभियान हम चलाए और इस बात को ध्यान में रहते हुए कि आम लोगों को इस बात की जानकारी ही ठीक से नही है कि परिसीमन के हक से हम वंचित है, हमारा नुकसान हो रहा है,तो पहले लोगो को बताया जाए, लोगों को इस बात की जानकारी दी जाए, इस मकसद से रैली का आयोजन करने का फैसला हमने लिया और दो रैली हमारी हो चुकी है पहले शाहबाद में और एक मुजफ्फरपुर में और तीसरी रैली 29 जून को गया में हमने रखी है। इस रैली का नाम है संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार इस रैली के माध्यम से हम लोगों को अवगत कराएंगे की बिहार का हक कैसे मारा जा रहा है लोग ताकि लोग जागरूक हो सके और एक तरफ जो लोग विरोध में है उनकी आवाज को भी हम काउंटर कर पाए और भारत की सरकार से हम उम्मीद करते हैं भारत की सरकार संविधान की व्यवस्था जो जो 25 साल से बंद है उसको फिर से लागू करेगी और परिसीमन का काम होगा बिहार के साथ में जो हो रहा है अन्याय उस अन्याय को हम रोक पाएंगे।
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