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Chhath Puja 2025 tradition of 'Bhikshatan Chhath' becomes center of attraction in Ramanujganj
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Chhath Puja 2025: रामानुजगंज में छठ पर्व का अद्भुत नजारा, ‘भिक्षाटन छठ’ परंपरा बनी आकर्षण का केंद्र
बलरामपुर रामानुजगंज (छत्तीसगढ़–झारखंड सीमा)। सीमावर्ती नगर रामानुजगंज में इस वर्ष भी छठ पर्व का भव्य और अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। सूर्य उपासना के इस महापर्व ने नगर की गलियों, घाटों और नदी तटों को भक्ति, श्रद्धा और लोक परंपराओं के रंगों से सराबोर कर दिया है। हजारों श्रद्धालु छठी मैया की आराधना में लीन हैं। इस वर्ष रामानुजगंज क्षेत्र में लगभग 10,000 से अधिक श्रद्धालु ‘भिक्षाटन छठ व्रत’ कर रहे हैं। यह परंपरा यहां की विशेष पहचान बन चुकी है, जो न केवल आस्था बल्कि सामाजिक समानता, सहयोग और विनम्रता का प्रतीक मानी जाती है। स्थानीय मान्यता के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की विशेष मन्नत पूरी होती है, तो वह भिक्षाटन कर छठ व्रत करता है। इस परंपरा में व्रती घर-घर जाकर भिक्षा में अन्न मांगते हैं और उसी अन्न से छठी मैया को अर्घ्य अर्पित करते हैं। कहा जाता है कि इस प्रक्रिया से व्यक्ति के भीतर का अहंकार समाप्त होता है और उसमें समर्पण व आत्मशुद्धि का भाव जागृत होता है। एक ओर जहां हजारों व्रती भिक्षाटन करते हुए अपने संकल्प को पूरा कर रहे हैं, वहीं सैकड़ों लोग इन व्रतियों की सहायता के लिए आगे आ रहे हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में सामुदायिक सहयोग और सद्भाव की अद्भुत मिसाल देखने को मिल रही है। स्थानीय बुजुर्गों का कहना है कि रामानुजगंज में छठ पर्व अब केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामूहिक एकता, भक्ति और लोकसंस्कृति का प्रतीक बन चुका है। “भिक्षाटन छठ” की इस अनूठी परंपरा ने रामानुजगंज को छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि पूरे सरगुजा अंचल में विशिष्ट पहचान दिलाई है। इस अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष रमन अग्रवाल ने कहा कि, “भिक्षाटन कर छठ पर्व करने की परंपरा दशकों पुरानी है। यह परंपरा समाज से ऊँच-नीच, भेदभाव और अहंकार जैसी बुराइयों को मिटाकर पवित्रता और समानता का संदेश देती है। इस पर्व की पवित्रता और भव्यता का जितना वर्णन किया जाए, वह कम है।”
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