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VIDEO : सीवर का गंदा पानी फैला रहा बीमारियां, जिम्मेदार हैं बेखबर, तुगलपुर गांव में आयोजित अमर उजाला संवाद में लोग बोले
नोएडा ब्यूरो
Updated Wed, 19 Mar 2025 08:57 AM IST
शहर का मुख्य द्वार कहे जाने वाले परी चौक के पास स्थित तुगलपुर गांव का प्राधिकरण ने अधिग्रहण सबसे पहले कर आदर्श गांव दो दशक पहले भले ही घोषित कर दिया हो, लेकिन आज भी यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। यहां के लोगों का आरोप है कि गांव में होने वाली जलभराव की समस्या के साथ ही सीवर ओवर फ्लो और नालियों का सड़कों पर बहता गंदा पानी बीमारियां फैलाता है। कई बार प्राधिकरण के जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत भी की गई। अधिकारियों ने समस्याओं की ओर ध्यान देना ही उचित नहीं समझा। जिस कारण गांव के लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं हो सका है। ग्रेटर नोएडा के तुगलपुर गांव में मंगलवार को आयोजित अमर उजाला ग्रामीण संवाद में गांव के लोगों ने समस्याओं पर खुलकर चर्चा की। लोगों का आरोप है कि गांव में बीते 20 वर्षों से पानी की सही ढंग से सप्लाई नहीं शुरू सकी है। लोगों का आरोप है कि गांव में सप्लाई का आने वाले पानी में काफी गंदगी आती है। जिस कारण इसका प्रयोग करने के चलते कई बार लोग बीमार भी पड़ जाते हैं। लोगों का आरोप है कि गांंव में चारों तरफ फैली गंदगी के साथ ही नालियों का पानी और सीवर ओवर फ्लो होकर सड़कों पर बहा करता है। जिससे कई तरह की बीमारियां पनपा करती हैं। कई बार प्राधिकरण के अधिकारियों के कार्यालय जाकर शिकायत की गई है। अधिकारियों की ओर से सिर्फ आश्वासन दिया जाता है, लेकिन समस्या का निदान नहीं किया जाता है। जिस कारण लोग लगातार परेशानियों का सामना कर रहे हैं। लोगों का आरोप है कि गांव में प्राधिकरण की ओर से बनाए गए बारात घरों की स्थिति जर्जर हो चुकी है। कहीं पर स्ट्रीट लाइटें नहीं तो कहीं पर छत ही नहीं तो कहीं पर पानी की व्यवस्था ही नहीं है। लोगों का आरोप है हर जगह पर गंदगी फैली रहती है। कि ग्रामीणों ने बताया कि गांव में विद्युत पोलों पर लगी स्ट्रीट लाइटें शोपीस बनी हुई हैं। आधे पोल में तो लाइटें लगी हुई हैं। उनमें से भी करीब 70 फीसदी लाइटें जलती नहीं हैं। लोगों का आरोप है कि गांव की गलियों की सड़कों की स्थिति बहुत खराब हो गई है। आए दिन दो पहिया वाहन सवार हादसे का शिकार हुआ करते हैं। इसके बाद भी जिम्मेदार अनजान बने रहते हैं। गांव में खेल का मैदान होना चाहिए। जिससे बच्चे सरकारी भर्तियों के अलावा खेलों का अभ्यास कर सकें। गांव के लोगों का कहना है कि गांव में खेल का मैदान नहीं होने के कारण बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान बच्चों का अधिक समय के साथ ही अधिक रुपये की बर्बादी होती है।
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