{"_id":"6734cac860ee89888f05a112","slug":"video-preparations-started-in-both-the-gurudwaras-for-the-festival-of-lights-in-charkhi-dadri","type":"video","status":"publish","title_hn":"VIDEO : चरखी दादरी में प्रकाश उत्सव के लिए दोनों गुरुद्वारों में शुरू हुईं तैयारियां","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
VIDEO : चरखी दादरी में प्रकाश उत्सव के लिए दोनों गुरुद्वारों में शुरू हुईं तैयारियां
चरखी दादरी में गुरु नानक देव का प्रकाश उत्सव मनाने को लेकर शहर के दोनों गुरुद्वारों में तैयारियां शुरू हो गई हैं। गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के पदाधिकारी पिछले 15 दिनों से प्रकाश उत्सव मनाने की तैयारियों में लगे हुए हैं और वीरवार सुबह तक सभी तैयारियों के अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
प्रकाश उत्सव के लिए गुरुद्वारों में शब्द वाणी के लिए रागियों को निमंत्रण दिया गया है, जो सिख श्रद्धालुओं को गुरु कीर्तन के माध्यम से धर्म की महिमा का बखान करेंगे। बता दें कि गुरु नानक देव का 555वां प्रकाश उत्सव श्री गुरुद्वारा साहिब व गुरुद्वारा सिंह सभा की ओर से दोनों गुरुद्वारों में मनाया जाएगा। पर्व की तैयारियों में संगत दिवाली के बाद ही जुट जाती है। सुभाष चौक स्थित श्री गुरुद्वारा साहिब के कार्यवाहक प्रधान राकेश अरोड़ा ने बताया कि गुरुद्वारे में श्री सप्ताह पाठ शनिवार से प्रारंभ किया जा चुका है।
वहीं, प्रभात फेरी भी निकाल चुके हैं और वीरवार को पुराना बस स्टैंड पर लंगर वितरण किया जाएगा। कार्यक्रम के अंतिम दिन शुक्रवार को श्री सप्ताह भोग सुबह 9 बजे, गुरु वाणी कीर्तन सुबह 10 से 1 बजे तक, लंगर प्रसाद दोपहर 1:30 बजे शुरू किया जाएगा।
वहीं, रेलवे रोड पर बने गुरुद्वारा में सिंह सभा ने तीन दिवसीय आयोजन का शुभारंभ अखंड पाठ के साथ किया गया है। गुरुद्वारे में गुरु नानक प्रकाश पर्व पर पंजाब के अमृतसर से रागी आएंगे जो कीर्तन करेंगे। इसके बाद दोपहर को लंगर लगाया जाएगा।
मदरसे की जगह खाली कर बनाया गुरुद्वारा
भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद पाकिस्तान से भारत आए सहजधारियों ने जब मत्था टेकने के लिए गुरुद्वारे की जरूरत महसूस हुई तो सहज व साथ लगते पुराने मदरसे में रह रहे रिजू राम को यहां गुरुद्वारा बनाने के लिए कहा था। तब उन्होंने सहज ही अपना मकान खाली कर दूसरे मकान में रहना शुरू कर दिया था। उस दौरान परिवार के साथ आए 83 वर्षीय प्रेमप्रकाश राही ने बताया कि श्री गुरुद्वारा साहिब की स्थापना वर्ष 1950 में की गई थी। उस समय रेलवे रोड गुरुद्वारे तक पहुंचने के लिए घोर जंगल के बीच से गुजरना पड़ता था।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।