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हिसार के 70 अस्पताल आयुष्मान कार्ड पर कल रात से उपचार बंद करेंगे
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े निजी अस्पताल के चिकित्सकों ने आयुष्मान योजना में भुगतान न होने पर 7 अगस्त आयुष्मान कार्ड पर उपचार बंद करने का एलान किया है। आईएमए की जिला प्रधान डॉ. रेनू छाबड़ा भाटिया ने कहा कि पूरे प्रदेश में सभी 675 अस्पताल आयुष्मान की सेवाओं को बंद करेंगे। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में करीब 600 करोड़ रुपये के बिल सरकार की ओर बकाया है। हिसार जिले के 70 अस्पतालों का करीब 200 करोड़ का भुगतान नहीं किया जा रहा। कुछ अस्पतालों का वर्ष 2020-21 तक का भुगतान भी अभी नहीं किया गया है।
मीडिया से बातचीत करते हुए डॉ. रेणु छाबड़ा भाटिया ने कहा कि आयुष्मान लागू करते समय जो एमओयू हुआ था उसे लागू नहीं किया जा रहा। हमें 15 दिन में भुगतान का वादा किया गया था। मार्च 2025 के बाद किसी अस्पताल को भुगतान नहीं किया गया है। प्रदेश सरकार की ओर से क्लेम की राशि में बिना कारण कटौती की जा रही है।
पोर्टल की खामियों के कारण अस्पताल समय पर इंट्री न कर पाएं तो उन क्लेम को रिजेक्ट कर दिया जाता है। सरकार की ओर से उपचार के रेट भी बेहद कम तय किए गए हैं। एक मरीज को दोबारा उपचार की जरूरत हो उसे स्कीम से बाहर कर दिया जाता है। डॉ. रेणु छाबड़ा भाटिया ने बताया कि पहले आयुष्मान में 1.80 लाख से कम आय वाले लोग शामिल थे। तक करीब 1200 करोड़ का बजट था। बाद में प्रदेश सरकार ने चिरायु योजना लागू कर इसे बढ़ाकर 3 लाख रुपये की आय तक वाले लोगों पर लागू कर दिया। जिसके बाद लाभार्थियों की संख्या बढ़ गई लेकिन सरकार ने बजट कम कर 700-800 करोड़ कर दिया। नियम के अनुसार अगर 15 दिन में भुगतान नहीं किया जाए तो सरकार की ओर से उस पेमेंट पर ब्याज भी देना है। अब चार पांच साल तक भुगतान अटकाया जा रहा है। इस मौके पर डॉ. साहिल पोपली, डॉ. मृदुल शर्मा , कोषाध्यक्ष डॉ. मेघा जैन, उपाध्यक्ष डॉ. कमल किशोर, डॉ. पूजा भुटानी, डॉ. राज सिंह, डॉ. विवेक , डॉ. मनोज अग्रवाल सहित अन्य उपस्थित रहे।आईएमए महासचिव डॉ. अर्चना सोनी ने कहा कि केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार दोनों को इस इश्यू का समाधान कराना चाहिए।
डॉ. तरूण सपरा ने कहा कि आयुष्मान को लेकर सरकार के साथ जो एमओयू हुआ उसे लागू नहीं किया जा रहा। अस्पतालों को समय भुगतान नहीं किया जा रहा। भुगतान में देरी होने पर जो ब्याज देना चाहिए वह नहीं किया जा रहा।बिना कारण बिलों में कटौती की जा रही है। हम जनता को परेशान नहीं करना चाहते। बार बार सरकार से गुहार लगाने पर भी समाधान नहीं हुआ तो आखिर में हमें मजबूरी में यह फैसला लेना पड़ा ।
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