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Now, upon entering the Sri Krishna Museum complex in Kurukshetra, one will be able to witness the bravery of the brave warriors.
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कुरुक्षेत्र में अब श्रीकृष्ण संग्रहालय परिसर में प्रवेश करते ही होगा वीर योद्धाओं की बहादुरी का साहस
श्रीकृष्ण के जीवन, कुरुक्षेत्र और महाभारत विषय पर दुनिया का एकमात्र संग्रहालय माने जाने वाले श्रीकृष्ण संग्रहालय परिसर में प्रवेश करते ही अब पर्यटक न केवल रोमांचित हो उठेंगे बल्कि उन्हें वीर योद्धाओं की बहादुरी का एहसास भी होगा। इसके लिए परिसर को अनोखा स्वरूप दिया जा रहा है।
परिसर में जहां अर्जुन को गीता संदेश देते भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित की गई तो वहीं महाभारत युद्ध में शामिल रहे द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह:, कर्ण, अर्जुन, दुर्योधन, कृपा चार्य, जयद्रथ जैसे योद्धाओं के ध्वज स्थापित किए जाएंगे।
विशेष फाइबर से ये ध्वज तैयार किए गए हैं। ये ध्वज न केवल योद्धाओं की पहचान बल्कि युद्ध के समय का एहसास भी कराएंगे। इन ध्वजों के साथ संबंधित योद्धा व ध्वज के बारे में पटिकाएं भी लगाई जाएंगी। एक सप्ताह तक इस कार्य को पूरा कर लिया जाएगा।
श्रीकृष्ण अर्जुन रथ बना बड़ा आर्कषण
संग्रहालय परिसर में श्रीकृष्ण अर्जुन रथ की खास प्रतिमा स्थापित की गई है। खास फाइबर व अन्य सामग्री से बनाई इस प्रतिमा पर भले ही श्रीकृष्ण अर्जुन को नहीं दर्शाया गया लेकिन यह युद्ध में जाते श्रीकृष्ण अर्जुन के प्रसंग को जीवंत करता है। इस पर सारथी के साथ पीछे योद्धा के तौर पर भी पर्यटक अपनी सेल्फी ले सकते हैं।
पर्यटक सीख सेंकेंगे धनुर्विद्या, तैनात रहेगा प्रशिक्षक
संग्रहालय परिसर में ही अब पर्यटकों व रूची रखने वाले लोगों को धनुर्विद्या सीखने को भी मिलेगी। इसके लिए खास तैयारी की जा रही है तो यहां हर समय प्रशिक्षक भी तैनात रहेगा। इसके लिए अन्य तैयारियां भी की जा रही है। इससे लुप्त होती जा रही इस विद्या को संजीवनी मिल पाएगी।
जल्द पूरे कर लिए जाएंगे कार्य, बदल जाएगा परिसर का स्वरूप : बलवान सिंह
संग्रहालय प्रभारी बलवान सिंह का कहना है कि श्रीकृष्ण संग्रहालय भारतीय संस्कृति और पुरातन धरोहर का जीवंत केंद्र है। इसके परिसर में कई ऐसे कार्य करवाए जा रहे हैं, जिससे यहां आने वाले पर्यटकों में रोमांच पैदा होगा। इन सभी कार्यों को जल्द पूरा कर लिया जाएगा, जिसके बाद परिसर का स्वरूप खास संदेश देने वाला होगा। इससे यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।
1987 में हुई थी संग्रहालय की स्थापना
प्रभारी बलवान सिंह बताते हैं कि वर्ष 1987 में भगवान श्रीकृष्ण के विचारों एवं आर्दशों से लोगों को नैतिक एवं सांस्कृतिक रूप से जाग्रत करने के उद्देश्य से भारत रत्न गुलजारी लाल नंदा के अथक प्रयासों से संग्रहालय की स्थापना की गई थी। वर्ष 1991 में इसे संग्रहालय के प्रथम खंड में स्थापित किया गया था, जिसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकटरमन द्वारा किया गया था।
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