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VIDEO : पानीपत में निमोनिया की चपेट में आ रहे शिशु, बढ़ी चिंता
ठंड के साथ अब निमोनिया का खतरा बढ़ गया है। बच्चों के लिए निमोनिया बेहद खतरनाक है। नवजात जल्द निमोनिया की जद में आते हैं। अब ठंड में बाल रोग संबंधी ओपीडी 150 से अधिक हो चुकी है। सिर्फ निमोनिया की ओपीडी 30 से अधिक है। सोमवार को बाल रोग संबंधी ओपीडी 153 हुई हैं। इनमें निमोनिया की ओपीडी 33 रही। जन्म के बाद 20 प्रतिशत शिशु निमोनिया की चपेट में आ रहे हैं। इनको जिल नागरिक अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में दाखिल किया जा रहा है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। स्वास्थ्य विभाग 28 फरवरी तक निमोनिया के खिलाफ सांस अभियान चला रहा है। जिसमें आशा कार्यकर्ता व एएनएम घर घर निमोनिया ग्रसत बच्चों को चिह्नित कर रही हैं। मेडिकल ऑफिसर के परामर्श से एमोक्सिसिलिन-जेंटामाइसिन की डोज दी जा रही है ।
बच्चों में निमोनिया की आसानी से पहचान
निमोनिया होने पर बच्चे की पसलियां चलना मुख्य लक्ष्ण। दो माह से एक वर्ष आयु तक के शिशुओं की श्वास की गति 50 प्रति मिनट से अधिक,एक से पांच साल के बच्चे की श्वास की गति 40 प्रति मिनट होना निमोनिया का लक्षण है। इसके अलावा
बच्चे का दूध नहीं पीना, सुस्त रहना, पसलियों का अंदर तक धंसना, बच्चों में बेचैनी एवं उत्तेजना का बढ़ जाना है।
बच्चों का ऐसे करें बचाव-
-सर्दी से बचाने के लिए गर्म कपड़े पहनाएं।
-ठंडी हवा से बचाव के लिये कानों को ढकें।
-पैरों में जुराब पहनाकर रखें।
-ठंडे पानी से बच्चे को दूर रखे।
-छह माह तक बच्चे को मां का दूध जरूरी।
टीकाकरण है जरूरी- डॉ शशि
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डाॅ.शशि गर्ग ने कहा कि निमोनिया से बचाव के लिए बच्चों को पीसीवी न्यूमोकोकल कन्जूगेट वैक्सीन (पीसीवी) का टीका लगवाना जरूरी है। पांच वर्ष तक के बच्चों में निमोनिया का खतरा रहता है। सर्दियों में निमोनिया की ओपीडी भी बढ़ जाती है। निमोनिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से पीसीवी टीकाकरण किया जा रहा है। निमोनिया रोधक पीसीवी वैक्सीन की पहली डोज डेढ़ माह पर, दूसरी डोज साढ़े तीन माह पर और बूस्टर डोज नौ माह पर लगाया जाता है। पांच वर्ष तक के बच्चों के अभिभावक सर्दी के मौसम में अपने बच्चों का विशेष ध्यान रखे। निमोनिया रोधक पीसीवी टीकाकरण करवाएं और निमोनिया के लक्षण होने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें।
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