फिल्मों में अक्सर देखा जाता है कि किसी हादसे में याददाश्त खो जाती है और वर्षों बाद अचानक लौट आती है। ऐसे ही एक सच्चे किस्से ने हिमाचल के सिरमौर जिले में सभी को हैरान कर दिया। नाड़ी गांव के निवासी रिखी राम करीब 45 साल बाद अपने घर लौट आए। परिवार में खुशी का माहौल है।
रिखी राम वर्ष 1980 में मात्र 16 वर्ष की उम्र में लापता हो गए थे। काम तलाशने के लिए वे हरियाणा के यमुनानगर गए थे, जहां एक होटल में नौकरी करने लगे। एक दिन सहकर्मी के साथ अंबाला जाते समय सड़क हादसे में उनके सिर पर गंभीर चोट लगी और उनकी याददाश्त पूरी तरह चली गई। इसके बाद उनका अपने गांव और परिवार से संपर्क हमेशा के लिए टूट गया।
उस समय संचार के साधन भी सीमित थे और न ही कोई परिचित ऐसा था जो उन्हें घर पहुंचा सके। इसी दौरान उनके साथी ने उनका नाम बदलकर ‘रवि चौधरी’ रख दिया, और इसी पहचान के साथ उन्होंने नई जिंदगी शुरू कर दी। बाद में वे मुंबई चले गए और फिर नांदेड़ के एक कॉलेज में नौकरी मिलने के बाद वहीं बस गए। 1994 में उनकी शादी संतोषी से हुई और आज उनके दो बेटियां व एक बेटा है।
कई वर्षों बाद मुंबई में लगी एक और चोट के बाद उनकी याददाश्त धीरे-धीरे लौटने लगी। पुरानी बातें याद आते ही उन्होंने अपने परिवार को खोजने की कोशिश शुरू की। खोजबीन के दौरान उन्हें सतौन के एक कैफे का नंबर मिला, जहां से नाड़ी गांव के रुद्र प्रकाश का नंबर मिला। रिखी राम ने अपनी पूरी कहानी उन्हें सुनाई, लेकिन शुरू में रुद्र प्रकाश ने इसे धोखाधड़ी की आशंका मानकर नजरअंदाज कर दिया।
बाद में सभी तथ्यों की पुष्टि होने पर रिखी राम अपनी पत्नी और बच्चों के साथ नाड़ी गांव पहुंचे। गांव में उनके भाई दुर्गा राम, चंद्र मोहन, चंद्रमणि और बहनें कौशल्या देवी, कला देवी, सुमित्रा देवी सहित ग्रामीणों ने फूल-मालाओं और बैंड-बाजे के साथ उनका स्वागत किया।
45 वर्षों बाद घर वापसी का यह क्षण पूरे गांव के लिए भावुक कर देने वाला था।