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Una A grand Hindu conference was organized in Dhusara Panchayat, with special emphasis placed on Sanatan values and social change
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Una: धुसाड़ा पंचायत में विराट हिंदू सम्मेलन का भव्य आयोजन, सनातन मूल्यों और सामाजिक परिवर्तन पर दिया गया विशेष जोर
उपमंडल अंब के अंतर्गत धुसाड़ा पंचायत स्थित सरगम पैलेस में सकल हिंदू समाज द्वारा विराट हिंदू सम्मेलन का भव्य एवं गरिमामय आयोजन किया गया। सम्मेलन में क्षेत्र के विभिन्न गांवों से बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लेकर सनातन धर्म और सामाजिक चेतना के प्रति अपनी आस्था और सहभागिता का परिचय दिया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सनातन धर्म के मूल सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार करना तथा वर्तमान समय में हिंदू समाज के समक्ष राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्पन्न हो रही चुनौतियों पर गंभीर चिंतन करना रहा। सम्मेलन में प्रमुख धर्माचार्यों आचार्य शिव शास्त्री जी एवं आचार्य कन्हैया जोशी जी ने अपने ओजस्वी संबोधनों में सनातन धर्म की महत्ता को विस्तार से रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म केवल पूजा-पाठ या धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संपूर्ण जीवन पद्धति है, जो मानव को सत्य, अहिंसा, करुणा, संयम और कर्तव्यबोध के मार्ग पर अग्रसर करती है। उन्होंने विशेष रूप से युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति, परंपराओं और संस्कारों को अपनाकर ही समाज और राष्ट्र का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित किया जा सकता है। इस अवसर पर समाजसेवी सतीश शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने सम्मेलन के सफल आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन समाज को एक सूत्र में पिरोने, सांस्कृतिक चेतना को जागृत करने और राष्ट्रप्रेम की भावना को सुदृढ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने समाज के प्रत्येक वर्ग से धर्म, संस्कृति और राष्ट्रहित से जुड़े कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेने का आह्वान किया। सम्मेलन के मुख्य वक्ता जिला संघ चालक डॉ. हेमराज रहे। उन्होंने अपने प्रेरणादायक और विचारोत्तेजक संबोधन में समाज में आवश्यक पांच प्रमुख परिवर्तनों पर विशेष बल दिया। इनमें सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वयं का बोध तथा नागरिक कर्तव्य प्रमुख रूप से शामिल रहे। डॉ. हेमराज ने कहा कि जब तक समाज का प्रत्येक व्यक्ति इन पांच मूलभूत बातों को अपने जीवन में आचरण के रूप में नहीं अपनाता, तब तक समग्र सामाजिक उत्थान संभव नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सामाजिक समरसता से आपसी भाईचारा और सौहार्द बढ़ता है, कुटुंब प्रबोधन से परिवार संस्था सशक्त होती है, पर्यावरण संरक्षण से भावी पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित होता है, स्वयं का बोध आत्मनिर्भर, जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनाता है, जबकि नागरिक कर्तव्य देश के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का बोध कराता है। डॉ. हेमराज ने विश्वास व्यक्त किया कि यदि समाज इन मूल्यों को आत्मसात कर ले, तो भारत पुनः विश्वगुरु के गौरवपूर्ण स्थान पर स्थापित हो सकता है। सम्मेलन के दौरान उपस्थित जनसमूह ने वक्ताओं के विचारों को गंभीरता से सुना और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के अंत में आयोजकों द्वारा सभी अतिथियों, वक्ताओं और उपस्थित जनसमुदाय का आभार व्यक्त किया गया तथा समाजहित में इस प्रकार के प्रेरणादायक आयोजनों को भविष्य में भी निरंतर जारी रखने का संकल्प दोहराया गया।
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