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Una: किसानों को गेहूं का दो हजार क्विंटल बीज उपलब्ध करवाएगा कृषि विभाग
विकास खंड अंब में किसानों के लिए कृषि विभाग की तरफ से दो हजार क्विंटल गेहूं का बीज वितरित किया जाएगा। जिसमें से विभाग की तरफ से दीपावली के बाद दो किस्तों में अभी तक लगभग दो सौ साठ क्विंटल गेहूं का बीज वितरित किया जा चुका है। गेहूं के बीज की चालीस किलो पैकिंग वाले 560 बैग कृषि विभाग के अंब स्थित स्टोर में आते ही किसानों ने हाथों हाथ उठा लिए। विकास खंड के तहत लगभग दस हजार हैक्टेयर कृषि योग्य भूमि में से लगभग पांच हजार हैक्टेयर भूमि पर किसानों की तरफ से गेहूं कि खेती की जाती है। जिसके लिए सिंचित और असिंचत क्षेत्र के किसानों की तरफ से गेहूं की बिजाई के लिए खेत तैयार कर लिए हैं और इसे देखते हुए बीज की मांग भी बढ़ गई है। इसी कड़ी के तहत बुधवार को अंब में विभाग की तरफ से चालीस किलोग्राम पैकिंग वाले साढ़े चार सौ बैग बीज वितरित किया। जोकि दोपहर तक खत्म हो गया। टकारला तथा आसपास के किसानों की सुविधा के लिए विभाग की तरफ से वीरवार से शनिवार तक सीड ग्रेडिंग सेंटर टकारला स्थित गोदाम में किसानों को बीज उपलब्ध करवाया जाएगा। क्षेत्र में भूमि की किस्म को देखते हुए कौन सी किस्म की गेहूं बीजी जानी चाहिए। इसे लेकर ज्यादातर किसान जागरूक नहीं हैं। इसके साथ ही बिजाई के तरीके को लेकर भी किसानों की तरफ से लापरवाही के कारण उन्हें अधिक बीज की आवश्यकता पड़ती है। कृषि विभाग विकास खंड अंब के विषयवाद विशेषज्ञ लेखराज संधू ने बताया कि किसान को गेहूं के बीज की वैरायटी की ज्यादा जानकारी नहीं होती है। लेकिन ऐरिया की देखते हुए विभाग की तरफ से डीवीडब्ल्यू 303, डीवीडब्ल्यू 327, डीवीडब्ल्यू 187, पीबीडब्ल्यू 550 और पीबीडब्ल्यू 343 किस्म के बीज उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने किसानों को सुझाव दिया कि गेहूं की फसल की बिजाई लाईन सोईंग(कतारबद्ध) तरीके से करें। जिससे बीज की लागत कम आएगी और किसानों को इससे बेहतर फसल के साथ साथ बीज की लागत में कमी का फायदा मिलेगा। छिट्टा देकर बिजाई करने में किसानों को अधिक मात्रा में बीज डालना पड़ता है। जिससे बिजाई की लागत बढ़ जाती है। छिट्टा देने से बिजाई के लिए प्रति कनाल पांच से छ: किलो बीज लगता है। जोकि किसान के लिए मंहगा साबित होता है। जबकि लाईन सोईंग(कतारबद्ध बिजाई) में ळगभग चार किलो प्रति कनाल बीज लगता है। इसलिए छिट्टा देने के बजाय कतारबद्ध बिजाई करें। जिससे प्रति कनाल लगभग दो किलो तब बीज की बचत होती है। गेहूं के अलावा रवि की अन्य फसलों में किसानों की तरफ से बरसीन और जंवी(जौं), प्याज, लहसुन, पालक, मूली और शलगम की मांग रहती है। जिसका बीज विभाग की तरफ से किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा।
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