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Attack on Iran's nuclear sites, talks with Canada... what kind of claim did Trump make!
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ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला, कनाडा से बातचीत... ट्रंप ने किया कैसा दावा!
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Mon, 30 Jun 2025 09:24 AM IST
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सनसनीखेज दावा करते हुए कहा है कि अमेरिका ने 22 जून को ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर गुप्त रूप से हमला किया।
उन्होंने बताया कि अमेरिका के बी-2 स्टील्थ बमवर्षक विमानों ने बंकर बस्टर बमों की मदद से ईरान के सबसे गोपनीय परमाणु केंद्र “फोर्डो” को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। ट्रंप के मुताबिक, ये बम फोर्डो की सुरंगनुमा रचना में “मक्खन की तरह घुस गए” और ईरान का वर्षों पुराना परमाणु कार्यक्रम कुछ ही मिनटों में तबाह हो गया।
ईरान का फोर्डो परमाणु ठिकाना वर्षों से पश्चिमी दुनिया की आंख की किरकिरी बना हुआ था। यह ठिकाना पहाड़ के नीचे इस तरह से बनाया गया था कि दुश्मनों के हमले को झेल सके।
लेकिन ट्रंप के मुताबिक, अमेरिका के अत्याधुनिक GBU-57 बंकर बस्टर बमों ने इस किले को चट्टानों के ढेर में बदल दिया। ट्रंप ने कहा – “ईरान ने फोर्डो के प्रवेश द्वार को बंद करने की कोशिश की थी, लेकिन हमारे बम उस दरवाजे से ऐसे घुसे जैसे मक्खन में छुरी।”
ट्रंप ने बताया कि इस ऑपरेशन का नाम था “मिडनाइट हैमर”। इसका उद्देश्य था – ईरान के यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को एक झटके में खत्म कर देना।
22 जून की रात को अमेरिका ने तीन ठिकानों – फोर्डो, नतांज और इस्फहान – पर एकसाथ हमला किया। इस दौरान अमेरिका ने GBU-57 के अलावा टॉमहॉक क्रूज़ मिसाइलें भी दागीं।
ट्रंप ने कहा – “हमने ये हमला बेहद चुपचाप किया ताकि ईरान को भनक तक न लगे। जब तक उन्हें समझ में आया, तब तक सब खत्म हो चुका था।”
ट्रंप ने दावा किया कि हमला होने से पहले परमाणु साइट्स से यूरेनियम हटाया नहीं गया था। उन्होंने यह भी कहा कि इस्राइली खुफिया सूत्रों ने न्यूयॉर्क टाइम्स को यह जानकारी दी थी।
इसका मतलब यह है कि हमला और भी ज्यादा प्रभावी रहा और ईरान का संवर्धन कार्यक्रम लंबे समय तक बाधित रहेगा।
यह ऑपरेशन ऐसे समय में हुआ, जब 13 जून से ईरान और इस्राइल के बीच लगातार संघर्ष जारी है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए हैं।
अमेरिका ने पहले ही ईरान को यूरेनियम संवर्धन रोकने के लिए अल्टीमेटम दिया था। ट्रंप ने कहा कि ईरान ने चेतावनी को नजरअंदाज किया, इसलिए मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ी।
हमले के अगले ही दिन ट्रंप ने कहा – “ईरान का परमाणु कार्यक्रम अब दशकों पीछे चला गया है। हमने जो सोचा था, उससे कहीं ज्यादा सफलता मिली।”
हालांकि, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने इस दावे को पूरी तरह खारिज नहीं किया, लेकिन कहा – “ईरान के पास इतना तकनीकी ज्ञान है कि वह कुछ ही महीनों में फिर से यूरेनियम बनाना शुरू कर सकता है।”
इस इंटरव्यू के दौरान ट्रंप ने कनाडा के साथ चल रही व्यापार वार्ता पर भी बात की। उन्होंने कहा कि जब तक कनाडा कुछ करों को कम नहीं करता, तब तक अमेरिका इस वार्ता को रोक कर रखेगा।
ट्रंप ने कनाडा के “एकतरफा व्यापार रवैये” की आलोचना करते हुए कहा – “हम अब और नुकसान सहन नहीं कर सकते।”
इसी बातचीत में ट्रंप ने टिकटॉक को लेकर भी बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि टिकटॉक को खरीदने के लिए एक समूह तैयार हो गया है।
अगले दो हफ्तों में खरीदारों के नाम सार्वजनिक कर दिए जाएंगे। ट्रंप ने इतना जरूर कहा कि “ये लोग बहुत अमीर हैं और अमेरिका के हितों को सुरक्षित रखेंगे।”
डोनाल्ड ट्रंप के इन खुलासों ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है। जहां एक ओर अमेरिका समर्थक इस ऑपरेशन को बड़ी रणनीतिक जीत मान रहे हैं, वहीं आलोचकों का मानना है कि यह ट्रंप का एक चुनावी स्टंट हो सकता है।
लेकिन अगर ट्रंप के दावे सही हैं, तो यह हमला केवल ईरान ही नहीं, पूरी दुनिया की परमाणु कूटनीति को नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है।
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