कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत का मामला तेज है। कई राज्यों में इस मामलें के सामने आने के बाद से ही कुछ खास ब्रांड के कफ सिरप पर पाबंदी लगा दी गई है। मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से मामला समाने आया तो कोल्ड्रिफ कफ सिरप के इस्तेमाल को लेकर चर्चा तेज हुई जिसके कारण बाद 14 बच्चों की मौत की खबरों के बीच, नागपुर के कलर्स अस्पताल के निदेशक रितेश अग्रवाल ने बयान दिया उन्होंने इस मामले पर साफ किया है कि छिंदवाड़ा में कफ सिरप का सेवन करने वाले बच्चों में किडनी की जटिलताओं के मुख्य कारण की पहचान नहीं की गई है। नागपुर रेफर किए गए कुछ बच्चों के बारे में अग्रवाल ने कहा कि अस्पताल में भर्ती बच्चे की हालत गंभीर थी, क्योंकि उसे गुर्दे की गंभीर समस्याएं हो गई थीं। वहीं दूसरी तरफ बुखार और 24 घंटे तक पेशाब करने में दिक्कत के बाद इनमें सूजन और उच्च क्रिएटिनिन स्तर मिले थे। बच्चों को छिंदवाड़ा और नागपुर के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, वहीं कुछ का अब भी डायलिसिस सहित उपचार चल रहा है। खबरों की मानें तो नागपुर के कलर्स अस्पताल के निदेशक रितेश अग्रवाल ने कहा, है कि "हमारे पास आने वाले मरीज छिंदवाड़ा से हैं, और उनमें से एक बच्चा यहां भर्ती है। शिकायत यह थी कि बच्चे को 2-3 दिन पहले बुखार आया था, और उसके बाद, बच्चे ने 24 घंटे तक पेशाब नहीं किया । उस शिकायत के आधार पर, बच्चे को छिंदवाड़ा में भर्ती कराया गया था। लेकिन वहां प्राथमिक उपचार के बाद भी, बच्चे ने पेशाब नहीं किया, इसलिए डॉक्टर ने जांच की और बच्चे के गुर्दे में सूजन मिला। उसके बाद, बच्चे को नागपुर भेज दिया गया। बच्चा गंभीर हालत में यहां पहुंचा। हमने रक्त परीक्षण किए और पाया कि बच्चे का क्रिएटिनिन और यूरिया का स्तर काफी बढ़ा हुआ था।