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Kishtwar Cloudburst Updates: Subhash, who survived the Kishtwar accident, told how the devastation happened in
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Kishtwar Cloudburst Updates: किश्तवाड़ हादसे में जिंदा बचे सुभाष ने बताया कैसे चंद पलों में आई तबाही
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Sat, 16 Aug 2025 06:45 AM IST
किश्तवाड़ ज़िले के चशोती इलाके में 14 अगस्त को आई बाढ़ में जीवित बचे सुभाष चंदर कहते हैं, "मैं 1994 से नियमित रूप से मचैल माता यात्रा पर जाता रहा हूँ और यह हमेशा सुरक्षित रही है... हम चार-पाँच लोग पास के एक हॉल (ब्लॉक) में लंगर सेवा कर रहे थे, तभी अचानक हमें एक तेज़ आवाज़ सुनाई दी। उस समय बारिश ज़्यादा नहीं हो रही थी, लेकिन बादल फटने के कारण, कुछ ही सेकंड में मिट्टी, पत्थर और पेड़ों का एक बड़ा ढेर इमारत पर गिर पड़ा। अगर हम इमारत से बाहर नहीं भागते, तो हम बच नहीं पाते... दूसरी इमारत पर मौजूद 2-3 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मैं लगभग 6 घंटे तक मलबे में फँसा रहा। एक घंटे तक कोई नहीं आया, लेकिन उसके बाद सेना और स्थानीय लोग हमें बचाने पहुँच गए
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में गुरुवार को बड़ी तबाही आई. किश्तवाड़ के सुदूर पहाड़ी गांव चशोती में गुरुवार दोपहर बादल फटने से चीख-पुकार मच गई. किश्तवाड़ में उस जगह बादल फटा, जहां मचैल माता मंदिर जाने का रास्ता है. चशोती गांव में बादल फटने से अब तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है. अभी मृतकों का आंकड़ा और बढ़ सकता है. मरने वालों में सीआईएसएफ के दो जवान भी शामिल हैं, जबकि कई अब भी फंसे हैं. मलबों से जिंदगियों को बचाने की कोशिश जारी है. गुरुवार को चशोती गांव में सूर्यास्त होने तक बचावकर्मियों ने कड़ी मेहनत से मलबे के ढेर से 167 लोगों को बाहर निकाला. इनमें से 38 की हालत गंभीर है. जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, मृतकों की संख्या लगातार बढ़ती गई और आशंका है कि यह और बढ़ सकती है. दरअसल, किश्तवाड़ के मचैल माता मंदिर जाने वाले रास्ते के चशोती गांव में यह आपदा दोपहर 12 बजे से एक बजे के बीच आई. हादसे के समय मचैल माता यात्रा के लिए बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हुए थे. साढ़े नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित मचैल माता मंदिर तक जाने के लिए श्रद्धालु चशोती गांव तक वाहन से पहुंच सकते हैं, उसके बाद उन्हें 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है. कुछ लोगों का कहना है कि सैकड़ों यात्री उस वक्त उस गांव में मौजूद थे, जहां बादल फटा.
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