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More than 1900 villages submerged due to floods in Punjab, 43 lives lost
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पंजाब में बाढ़ से 1900 से ज्यादा गांव जलमग्न, 43 जिंदगियां खत्म
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Fri, 05 Sep 2025 02:08 PM IST
पंजाब इस समय बाढ़ की विभीषिका से जूझ रहा है। सतलुज, रावी और ब्यास दरियाओं के उफान ने राज्य में तबाही मचा दी है। अब तक 43 लोगों की मौत हो चुकी है और 23 जिलों के 1902 गांवों में बाढ़ का पानी घुस चुका है। करीब 3.84 लाख लोग प्रभावित हैं। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने राहत एवं बचाव कार्यों को तेज करने के लिए प्रभावित गांवों में एक-एक गजटेड अफसर नियुक्त करने के आदेश दिए हैं, ताकि पीड़ित सीधे अपनी समस्याएं प्रशासन तक पहुंचा सकें।
लुधियाना जिले में बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है। पहले शनिगांव पानी में डूब गया था और अब सतलुज नदी किनारे स्थित ससराली कॉलोनी इलाके का बांध कमजोर पड़ गया है। स्थिति की गंभीरता देखते हुए कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह मुंडियां और डिप्टी कमिश्नर हिमांशु जैन मौके पर पहुंचे और तुरंत सेना को बुलाया गया।
सेना और एनडीआरएफ की टीम ने वहां मोर्चा संभाल लिया है और बांध को मजबूत करने का काम जारी है। प्रशासन ने किसी भी संभावित हादसे से बचने के लिए लोगों को ऊंचे स्थानों पर जाने की सलाह दी है। आसपास के गांवों को पहले ही अलर्ट कर दिया गया है।
डिप्टी कमिश्नर ने धुस्सी बांध का भी निरीक्षण किया और हालात पर करीबी नजर रखी जा रही है। अभी लुधियाना शहर में पानी नहीं घुसा है, लेकिन दरियाई इलाकों के गांवों में चिंता गहराई हुई है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर चल रहे हैं। हालांकि तबीयत खराब होने के कारण वे खुद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा नहीं कर पाए। उनकी जगह आप प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री अमन अरोड़ा ने केजरीवाल को पंजाब की बाढ़ की स्थिति से अवगत कराया।
सरकार ने बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लिए प्रशासन को पूरी ताकत से काम करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रभावित परिवारों को सुरक्षित ठिकानों तक ले जाया जा रहा है और भोजन, पानी तथा स्वास्थ्य सेवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है।
राज्य के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल और गुरमीत सिंह खुड्डियां ने बताया कि पंजाब सरकार ने केंद्र से 2 हजार करोड़ रुपये के विशेष राहत पैकेज की मांग की है। साथ ही, राज्य के बकाया 60 हजार करोड़ रुपये तुरंत जारी करने की भी मांग की गई है।
कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर बाढ़ प्रभावित चार लाख एकड़ कृषि भूमि के लिए किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे में बढ़ोतरी की मांग की। उन्होंने कहा कि पंजाब देश का अन्न भंडार है और यहां बाढ़ से फसल को हुए नुकसान की भरपाई केंद्र की मदद के बिना संभव नहीं है।
उधर, पठानकोट जिले में लगातार बारिश से पहाड़ दरकने लगे हैं। शाहपुरकंडी डैम साइड जुगियाल-धारकलां रोड पर भारी मलबा गिरने से यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। चक्की खड्ड के पास भी पहाड़ गिरने से खड्ड में कटाव बढ़ गया है। दूसरा डैम साइड रोड भी बंद हो गया है, जिससे ग्रामीणों और यात्रियों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को अमृतसर पहुंचकर बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें हालात का जायजा लेने के लिए पंजाब भेजा है। चौहान ने रावी दरिया से सटे अजनाला के घोनेवाला गांव में जाकर क्षति का निरीक्षण किया और बाढ़ पीड़ितों से मुलाकात की।
कृषि मंत्री ने खुद पानी में उतरकर स्थिति का आकलन किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब की स्थिति को लेकर चिंतित है और जल्द ही राहत पैकेज पर सकारात्मक फैसला लिया जाएगा।
पंजाब में बाढ़ का सबसे बड़ा असर कृषि पर पड़ा है। करीब चार लाख एकड़ कृषि भूमि पानी में डूब चुकी है। धान, मक्का, गन्ना और कपास जैसी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं। किसान अब मुआवजे और तत्काल वित्तीय सहायता की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
गुरमीत सिंह खुड्डियां ने कहा कि बाढ़ से किसानों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। कई इलाकों में पशुओं के लिए चारे की भी गंभीर समस्या खड़ी हो गई है। यदि तुरंत सहायता नहीं मिली तो किसानों की आर्थिक स्थिति और खराब हो जाएगी।
बाढ़ का असर सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं है। हजारों पशु भी बाढ़ में फंस गए हैं। कई इलाकों में लोगों ने अपने पशुओं को ऊंचे स्थानों पर पहुंचाने की कोशिश की है, लेकिन चारे और आश्रय की कमी से स्थिति बिगड़ रही है।
बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं बाढ़ राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। कई जगहों पर प्रशासन ने नावों और ट्रैक्टरों के जरिए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया है।
कुल मिलाकर, पंजाब इस समय महाबाढ़ की चपेट में है। लुधियाना के बांध से लेकर पठानकोट के पहाड़ों तक हालात गंभीर बने हुए हैं। लाखों लोग प्रभावित हैं, सैकड़ों गांव डूब चुके हैं और किसानों की फसलें बर्बादी की कगार पर हैं। केंद्र और राज्य सरकारें राहत कार्य में जुटी हैं, लेकिन जमीनी हालात यह बताते हैं कि पंजाब के सामने संकट अभी खत्म होने वाला नहीं है।
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