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Rain Havoc: 100 people died in Himachal Pradesh and Uttarakhand, rivers overflowed. Orange Alert
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Rain Havoc: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में गई 100 लोगों की जान, नदियां उफनाईं। Orange Alert
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: अभिलाषा पाठक Updated Mon, 21 Jul 2025 10:58 AM IST
इस साल जल्दी आने वाला मानसून देश के कई हिस्सों के लिए आफत लेकर आया है। 20 जुलाई तक देशभर में भारी वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन की कई घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें व्यापक जानमाल का नुकसान हुआ है। आगे भी मूसलाधार बारिश जारी रहने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) की रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में अब तक औसत से 6 फीसदी अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। हालांकि कुछ इलाकों में बारिश सामान्य से 40 फीसदी तक अधिक रही तो कहीं अभी भी सामान्य से काफी कम है जिससे असमानता और संकट दोनों की स्थिति बनी हुई है।इन राज्यों में सबसे अधिक नुकसान...सबसे अधिक नुकसान हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, असम, महाराष्ट्र और गुजरात में हुआ है।
हिमाचल और उत्तराखंड में लगातार भूस्खलन, बादल फटने और मूसलधार बारिश से सैकड़ों गांव प्रभावित हुए हैं, 100 से अधिक लोगों की जान गई है और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ है। असम में ब्रह्मपुत्र और इसकी सहायक नदियों के उफान के कारण लाखों लोग बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। महाराष्ट्र और गुजरात के कई जिलों विशेषकर कोल्हापुर, नासिक और सौराष्ट्र में भारी वर्षा और जलजमाव ने न केवल जनजीवन को ठप कर दिया है, बल्कि कृषि और बुनियादी ढांचे को भी व्यापक क्षति पहुंचाई है। गुजरात में सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्रों में जून महीने में ही सामान्य से 300 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है। इन राज्यों में अब तक राहत और बचाव कार्यों में एनडीआरएफ और सेना की मदद ली जा रही है।
बिहार और उत्तर प्रदेश में मानसून का असर असंतुलित रहा है। बिहार के सात जिलों में गंगा, कोसी और उनकी सहायक नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं जिससे पटना समेत कई जिलों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में सामान्य से 45 फीसदी कम वर्षा हुई है, जिससे खरीफ फसलों की बुआई और विकास पर बुरा असर पड़ा है। झारखंड और मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड जैसे क्षेत्र इस बार अतिवृष्टि की मार झेल रहे हैं। खेतों में जलजमाव से बुआई रुकी हुई है।देशभर में भारी बारिश के बावजूद कुछ इलाके पानी के लिए तरस रहे हैं। अब तक सबसे कम बारिश पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान के कुछ हिस्सों में दर्ज की गई है। विशेष रूप से हरियाणा के महेन्द्रगढ़, फतेहाबाद और रेवाड़ी जिलों में वर्षा सामान्य से 50 फीसदी से कम रही है। पंजाब के मालवा क्षेत्र और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, बागपत, शामली जैसे जिलों में भी अब तक की बारिश औसत से काफी कम है, जिससे धान व गन्ने की बुआई में भारी देरी हुई है। मौसम विभाग ने ताजे पूर्वानुमान में संकेत दिया है कि अगस्त और सितंबर में पूर्वी और दक्षिणी भारत में सामान्य से अधिक वर्षा हो सकती है।
दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा और पंजाब में जुलाई के अंतिम सप्ताह से भारी बारिश की चेतावनी भी जारी की गई है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से लगातार उत्पन्न हो रहे निम्न दबाव क्षेत्र मानसून को और अधिक तीव्र बना सकते हैं। आईएमडी के प्रमुख वैज्ञानिक मृत्युंजय महापात्र ने कहा है कि 2025 का मानसून अल नीनो से मुक्त है, लेकिन इसके चलते चरम मौसम की घटनाएं बढ़ सकती हैं।भारी बारिश के कारण राजस्थान के अजमेर समेत कई शहरों में जलभराव की स्थिति बनी हुई है। शनिवार को अजमेर में आनासागर झील उफान पर आ गई, जिससे जलभराव हो गया। इसके कारण बजरंग गढ़ को बाजार से जोड़ने वाला रास्ता बंद कर दिया गया है। जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में भी पानी भर गया था।पूर्वोत्तर भारतीय राज्य- अरुणाचल प्रदेश में पिछले कई दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने पूरे राज्य में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। भारी बारिश के चलते कई इलाकों में भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ ने भयावह तबाही मचाई है। प्रशासन की रिपोर्ट के मुताबिक जून से अब तक करीब 15 लोगों की मौत हो चुकी है।
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