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Trump makes another claim on India-Pakistan conflict, threatens BRICS again
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भारत-पाकिस्तान संघर्ष पर ट्रंप का एक और दावा, BRICS को फिर दी धमकी
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 19 Jul 2025 10:35 AM IST
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का झूठा श्रेय लेने की कोशिश में लगे हैं। उन्होंने शुक्रवार को बयान देकर दोहराया कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति को उन्होंने रोका, जबकि भारत सरकार पहले दिन से साफ कहती आई है कि यह संघर्ष विराम पाकिस्तान की गिड़गिड़ाहट और भारत की रणनीतिक मजबूती का परिणाम था, न कि किसी बाहरी दबाव का।
यह पहला मौका नहीं है जब ट्रंप ने इस मुद्दे पर बयान दिया हो, लेकिन इस बार उन्होंने इसे वैश्विक मंच पर ब्रिक्स देशों को धमकाते हुए जोड़ दिया, जिससे मामला और भी गरमा गया है।
अपने हालिया बयान में ट्रंप ने कहा,
“हमने कई युद्ध रोके हैं। भारत और पाकिस्तान में जो चल रहा था, उसमें विमान गिराए जा रहे थे। मुझे लगता है, पांच जेट मार गिराए गए थे। ये दो परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं। हमने इस युद्ध को व्यापार के जरिए रोका।”
ट्रंप के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि वे भारत-पाक के बीच हुई सैन्य तनातनी को कमतर आंकते हुए खुद को ‘शांति निर्माता’ के रूप में पेश करना चाहते हैं। उन्होंने यहां तक दावा किया कि अमेरिका ने दोनों देशों पर व्यापार समझौते के बहाने दबाव बनाया और संघर्ष विराम कराया।
भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने ट्रंप के दावे को “पूरी तरह निराधार” बताया है। अधिकारियों के मुताबिक, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारत ने इसलिए रोका, क्योंकि पाकिस्तान भारी नुकसान के बाद खुद संघर्ष विराम की गुहार लगाने को मजबूर हो गया था। भारत ने न तो किसी मध्यस्थता को स्वीकार किया और न ही किसी देश की शर्तों पर अपनी सुरक्षा नीति बदली।
भारत-पाक मुद्दे पर बयान देने के साथ ही ट्रंप ने एक और बड़ा विवाद छेड़ दिया। उन्होंने ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) जैसे विकासशील देशों के समूह को चेतावनी दी कि अगर वे अमेरिका विरोधी रुख अपनाते हैं, तो उन पर 10% आयात शुल्क लगाया जाएगा।
“अगर ब्रिक्स कभी सार्थक रूप में भी बनता है, तो वह ज्यादा दिन नहीं टिकेगा, हम किसी को भी हमारे साथ व्यापारिक खिलवाड़ करने नहीं देंगे।” ट्रंप ने कहा।
हालांकि ट्रंप ने किसी देश का नाम नहीं लिया, लेकिन संकेत साफ हैं कि उनका निशाना भारत, चीन और ब्राजील की नई साझेदारियों पर था।
ट्रंप के इन बयानों के बाद ब्रिक्स देशों के नेताओं ने ट्रंप के आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि यह समूह किसी के विरोध में नहीं, बल्कि स्थायी आर्थिक सहयोग और विकास के लिए बना है।
ब्राजील ने भी स्पष्ट किया कि वह अमेरिका के साथ मजबूत रिश्तों का इच्छुक है, लेकिन समूह की प्राथमिकताएं स्थानीय मुद्राओं में व्यापार और भुगतान की प्रणाली विकसित करना है, जिसका नाम है ‘ब्रिक्स पे’।
ब्रिक्स समूह ने हाल ही में ‘ब्रिक्स पे’ नामक एक सीमा-पार डिजिटल भुगतान प्रणाली विकसित करने पर काम शुरू किया है, जिससे सदस्य देश आपस में स्थानीय मुद्रा में व्यापार कर सकें। इस पहल को डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने वाला कदम माना जा रहा है, जिससे अमेरिका की नाराजगी स्वाभाविक है।
बता दें कि इस साल ब्रिक्स का विस्तार कर ईरान और इंडोनेशिया जैसे देशों को भी इसमें शामिल किया गया है, जिससे यह समूह अब अमेरिकी दबाव के खिलाफ एक सशक्त आवाज के रूप में उभर रहा है।
ट्रंप ने इस दौरान ब्राजील को सीधा निशाना बनाया और ऐलान किया कि 1 अगस्त से उसके आयात पर 50% टैरिफ लगाया जाएगा। अमेरिका का आरोप है कि ब्राजील ब्रिक्स के भीतर अमेरिका विरोधी आर्थिक रणनीति को बढ़ावा दे रहा है।
विश्लेषकों का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप इस तरह के बयान देकर आगामी अमेरिकी चुनावों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते हैं। भारत-पाक संघर्ष विराम में भूमिका का दावा हो या ब्रिक्स को चेतावनी—यह सब उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत लोकप्रियता बटोरने की रणनीति है।
लेकिन भारत समेत ब्रिक्स देश अब इन बयानों पर कूटनीतिक चुप्पी या जवाबी बयान के ज़रिए ट्रंप के दावों की वास्तविकता को उजागर कर रहे हैं। साफ है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अब ट्रंप की ‘शब्दों की तलवार’ उतनी असरदार नहीं रही, जितनी वे समझते हैं।
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