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ED tightens its grip on Changur's 'black business' hidden in Mumbai-Panama
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छांगुर के मुंबई-पनामा में छुपे 'काले कारोबार' पर ED ने कसा शिकंजा
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 19 Jul 2025 09:31 AM IST
अवैध धर्मांतरण के गंभीर आरोपों से घिरे जमालुद्दीन उर्फ छांगुर और उसके करीबी सहयोगियों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 15 ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच एजेंसी को छांगुर और उसके नेटवर्क के खातों से जुड़ी गतिविधियों की पड़ताल में लगभग 60 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। ये फंड कथित तौर पर विदेशी संस्थाओं से आए हैं और इनका इस्तेमाल संपत्तियों की खरीद और अवैध गतिविधियों में किया गया।
ईडी ने बताया कि इस अवैध फंडिंग के तार छांगुर, नवीन रोहरा और नीतू रोहरा से जुड़ते हैं। जांच में सामने आया है कि यूपी और महाराष्ट्र में खरीदी गई अधिकांश संपत्तियां नवीन और नीतू के नाम पर हैं, जो छांगुर के बेहद करीबी माने जाते हैं।
छांगुर के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने के लिए ईडी ने लखनऊ के सुभाषनगर स्थित ‘आसवी बुटीक कॉम्पलेक्स’ को सील कर दिया है। इस बुटीक को छांगुर अपने दस्तावेजों और लेनदेन की गतिविधियों के अड्डे के रूप में इस्तेमाल करता था। बुटीक से ईडी को कई अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं, जिनमें संपत्ति सौदों और विदेशी लेनदेन से जुड़े अभिलेख शामिल हैं।
ईडी ने बृहस्पतिवार को छांगुर, नवीन रोहरा और नीतू रोहरा से जुड़े मुंबई, लखनऊ और बलरामपुर के 15 ठिकानों पर छापा मारा। जांच शुक्रवार दोपहर तक चली। इस दौरान ईडी ने 22 बैंक खातों की पड़ताल की, जिनमें करोड़ों के लेनदेन के सबूत मिले। अधिकारियों का कहना है कि छांगुर को मिले फंड का प्रयोग मुंबई और यूपी में कई अचल संपत्तियां खरीदने में किया गया।
सबसे चौंकाने वाला पहलू यह है कि ईडी को छांगुर के सहयोगी नवीन रोहरा के पास पनामा की लोगोस मरीन कंपनी से जुड़े दस्तावेज मिले हैं। यह मध्य अमेरिकी देश पनामा, मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों के लिए पहले से बदनाम रहा है। साथ ही मुंबई में नवीन के एक और करीबी शहजाद शेख के मोबाइल में क्रोएशियाई मुद्रा ‘कुना’ की तस्वीर मिली है। ईडी अब शेख के मोबाइल डेटा का डिजिटल फॉरेंसिक विश्लेषण कर रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि धर्मांतरण के नेटवर्क में विदेशी मुद्रा की क्या भूमिका रही।
ईडी के अधिकारियों के अनुसार छापेमारी के दौरान अवैध धर्मांतरण सिंडिकेट से जुड़े कोई प्रत्यक्ष दस्तावेज नहीं मिले हैं क्योंकि एटीएस (Anti Terrorism Squad) पहले ही ये दस्तावेज जब्त कर चुकी थी। हालांकि, ईडी को छांगुर की विदेश यात्राओं, विदेशी खातों और बैंकों के लेनदेन से संबंधित कई अहम कागजात मिले हैं, जो मनी लॉन्ड्रिंग के नेटवर्क की परतें खोलते हैं।
छांगुर की मुंबई में रियल एस्टेट में भी गहरी पैठ थी। जांच में सामने आया कि उसने ‘रनवल ग्रींस’ नामक एक कॉम्प्लेक्स का सौदा किया था। यह सौदा किन फंड्स से हुआ, इस पर अभी जांच जारी है। इसके अलावा, ईडी को छांगुर के मुंबई के एक बड़े बिजनेसमैन नासिर से गहरे संबंधों के प्रमाण भी मिले हैं।
छांगुर और उसके नेटवर्क से जुड़े 22 बैंक खातों की जब ईडी ने गहनता से जांच की, तो यह खुलासा हुआ कि इन खातों से लगभग 60 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन किए गए हैं। इन खातों के ज़रिए विदेश से आए फंड को संपत्तियों में निवेश कर खपाया गया।
छांगुर पर कार्रवाई महज एक शुरुआत मानी जा रही है। ईडी अब विदेशी संस्थाओं से मिले फंड, विदेशी दौरे, क्रिप्टो करेंसी, और पनामा जैसे देशों के संपर्क की परतें खोलने में जुट गई है। धर्मांतरण के पीछे छिपे आर्थिक साम्राज्य की यह परछाई देश की सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने के लिए गंभीर खतरे का संकेत देती है।
ईडी का कहना है कि अब इस नेटवर्क से जुड़े और लोगों की पहचान की जाएगी, और विदेशी लिंक की जांच में इंटरनेशनल एजेंसियों की भी मदद ली जा सकती है।
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