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Trump Tariff on India: 250 करोड़ के बिजनेस को नुकसान! टैरिफ का बिहार पर वार
वीडियो डेस्क/ अमर उजाला डॉट कॉम Published by: पल्लवी कश्यप Updated Wed, 27 Aug 2025 03:21 PM IST
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अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ का असर पूरे भारत में दिखे या नहीं लेकिन बिहार में इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा है। बिहार के उद्योग को बड़ा झटका लगा है। ट्रंप प्रशासन ने अगस्त 2025 की शुरुआत में भारतीय उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाया, जिससे खास तौर पर बिहार का प्रमुख निर्यात—मखाना प्रभावित हुआ है। आपको याद होगा कि इसी साल फरवरी में बजट के दौरान बिहार में मखाना बोर्ड का गठन किया गया लेकिन अब इसी उद्योग को सबसे बड़ा झटका लग सकता है। बिहार भारत के कुल मखाना निर्यात में 25% से ज्यादा योगदान देता है। इस टैरिफ ने मखाना को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धी नहीं रहने दिया, जिससे निर्यातकारी और किसान दोनों प्रभावित हुए। ट्रंप द्वारा अमेरिका की ओर से लगाए गए 50% तक के हाइएस्ट टैरिफ ने जैसा कि आम तौर पर देश के लेबर-इंटेंसिव निर्यात क्षेत्रों को प्रभावित किया है, उसी का असर बिहार के मखाना उद्योग पर साफ दिखता है। अगर राज्य में अन्य निर्यात-आधारित उद्योग (जैसे कपड़ा, चमड़ा, हस्तशिल्प) हैं, तो वे भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो सकते हैं। दरअसल सालाना करीब 250 करोड़ रुपये का निर्यात प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है. इसमें सबसे बड़ा झटका मखाना, लीची, हल्दी, जर्दालु आम, भागलपुरी सिल्क, मधुबनी पेंटिंग और अन्य हस्तशिल्प उत्पादों को लग सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी बाजार में ये उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिसके चलते मांग में 30 प्रतिशत तक गिरावट संभव है. खासकर बिहार का मखाना, जो देश के कुल उत्पादन का 80% हिस्सा देता है, सबसे बड़ी मार झेल सकता है. वर्तमान में बिहार से हर साल करीब 600 टन मखाना का निर्यात होता है, जिसमें से 25% हिस्सा अमेरिका जाता है. अब यह व्यापार सीधे प्रभावित होगा. हाल के वर्षों में बिहार ने कृषि और कला उत्पादों के निर्यात को नए आयाम दिए हैं. बिहटा ड्राइपोर्ट से पहली बार हल्दी अमेरिका भेजी गई है. इसके अलावा मधुबनी पेंटिंग, मंजूषा कला, भागलपुरी सिल्क, लीची और आम की भी विदेशों में मांग बनी रहती है. अमेरिका को ही प्रतिवर्ष करीब 50 लाख से एक करोड़ रुपये की कला सामग्री Export की जाती है. टैरिफ बढ़ने के बाद यह खपत भी घटने की संभावना है.बिहार से मिथिला पेंटिंग, मंजूषा कला और अन्य समकालीन कलाओं का अच्छा-खासा निर्यात अमेरिका होता है. डाकघर निर्यात केंद्र में दर्जनभर से ज्यादा कलाकारों ने अपनी कला सामग्री के निर्यात के लिए रजिस्ट्रेशन करा रखा है. उनके मुताबिक, हर साल करीब 50 लाख रुपये की कला सामग्री अमेरिका भेजी जाती है. टैरिफ बढ़ने से जहां कला सामग्री महंगी होगी, वहीं कलाकारों की आय पर भी असर पड़ सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि मखाना का उत्पादन अभी भी वैश्विक मांग की तुलना में कम है. अमेरिका के अलावा खाड़ी देशों, यूरोप और एशिया के कई हिस्सों में इसकी भारी मांग रहती है. अगर अमेरिकी बाजार से ऑर्डर घटते हैं, तो बिहार के निर्यातक अन्य देशों की ओर रुख कर सकते हैं. यही वजह है कि अब निर्यातकों ने नए बाजारों की तलाश शुरू कर दी है. ट्रंप के टैरिफ से इनमें से खासकर मखाना, भागलपुरी सिल्क और हस्तशिल्प पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है, क्योंकि ये उच्च टैरिफ के दायरे में आ गए हैं।
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