{"_id":"6872874e746ed8146b0d2f40","slug":"why-is-rjd-in-danger-due-to-tej-pratap-s-public-meeting-in-mahua-2025-07-12","type":"video","status":"publish","title_hn":"तेज प्रताप के महुआ में जनसभा से क्यों खतरे में आई राजद?","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
तेज प्रताप के महुआ में जनसभा से क्यों खतरे में आई राजद?
वीडियो डेस्क अमर उजाला डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Sat, 12 Jul 2025 09:33 PM IST
बिहार की राजनीति में एक बार फिर बगावत की पटकथा लिखी जा रही है और इस बार यह किसी बाहरी साजिश का परिणाम नहीं, बल्कि लालू परिवार के भीतर से फूटते विद्रोह की आहट है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने गुरुवार को जो कदम उठाया, उससे यह बात लगभग साफ हो गई कि अब वे पार्टी और परिवार से अलग अपने राजनीतिक रास्ते पर बढ़ चुके हैं।
महुआ की सड़कों पर जब तेज प्रताप यादव का काफिला गुजरा, तो लोगों की नजरें उनकी गाड़ी के ऊपर लगे झंडे पर टिक गईं। वर्षों से तेज प्रताप की गाड़ी पर RJD का लाल-हरे रंग का झंडा लहराता था, लेकिन इस बार वह गायब था। उसकी जगह अब एक नया झंडा था — ‘टीम तेज प्रताप यादव’ का झंडा — हरे और सफेद रंग का प्रतीक, जो इस बात का खुला इशारा था कि तेज प्रताप अब आरजेडी की छांव में नहीं, बल्कि अपनी अलग पहचान के साथ राजनीति की नई राह पकड़ने की तैयारी में हैं।
तेज प्रताप यादव का यह बदला हुआ रूप किसी तात्कालिक भावनात्मक प्रतिक्रिया का परिणाम नहीं लगता, बल्कि इसके पीछे एक लंबी रणनीति और गंभीर तैयारी नजर आ रही है। ‘टीम तेज प्रताप यादव’ के झंडे के साथ उन्होंने ना सिर्फ आरजेडी से अपनी दूरी दिखा दी है, बल्कि अपने समर्थकों के जरिए यह भी जताया कि वे अब पार्टी की सीमाओं में बंधे नहीं रहेंगे।
महुआ में हुए उनके रोड शो में RJD का कोई झंडा, पोस्टर या प्रचार सामग्री नदारद थी। इसके बजाय ‘टीम तेज प्रताप’ के नारे, बैनर और झंडे छाए रहे। तेज प्रताप ने खुद को जनता के हितैषी नेता के रूप में प्रस्तुत किया ऐसा नेता जो विकास की बात करता है, मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज की योजना लेकर आता है, और युवाओं को एक नई दिशा देने का दावा करता है।
इस प्रकरण के बाद खुसुर फुसुर होने क्या है की क्या बन सकती है तेज प्रताप की नई पार्टी?
तेज प्रताप यादव के इस कदम को देखकर बिहार की राजनीति में यह सवाल गूंजने लगा है कि क्या वे जल्द ही अपनी नई पार्टी का ऐलान कर सकते हैं? अभी तक उन्होंने इस बारे में कोई सीधी घोषणा नहीं की है, लेकिन जो दृश्य महुआ में देखने को मिला, वह इसी ओर इशारा करता है।
‘टीम तेज प्रताप यादव’ फिलहाल एक स्वतंत्र संगठन के रूप में सामने आई है, लेकिन यह संगठन जल्द ही एक राजनीतिक दल का रूप ले सकता है। यह संगठन तेज प्रताप को बिहार के युवाओं, छात्रों और ग्रामीण वोटरों के बीच एक अलग छवि गढ़ने का अवसर देगा खासकर तब जब वे बार-बार ‘विकास’ और ‘वादे पूरे करने’ की बात कर रहे हैं।
ऐसे में ये बात उठना लाजमी है की क्या राजद के वोट बैंक में सेंधमारी तय है?
तेज प्रताप यादव की इस बगावती चाल का सीधा असर राष्ट्रीय जनता दल पर पड़ सकता है। लालू प्रसाद यादव के ‘परिवारवाद’ की राजनीति में अगर खुद परिवार में ही दरार पड़ जाए, तो पार्टी की नींव हिलने लगती है। 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले अगर तेज प्रताप यादव अलग होकर चुनाव लड़ते हैं, तो RJD के वोट बैंक में निश्चित ही सेंध लगेगी।
तेज प्रताप यादव की सबसे बड़ी ताकत उनका पारंपरिक यादव वोटर है, जो अब कंफ्यूज हो सकता है कि वह तेजस्वी के साथ जाए या तेज प्रताप के। अगर यादव समुदाय का एक बड़ा हिस्सा तेज प्रताप के पक्ष में चला गया, तो यह RJD के लिए भारी नुकसान होगा खासकर उन सीटों पर जहां पार्टी का मुकाबला करीबी होता है।
अब सवाल ये उठता है की क्या तेज प्रताप महुआ से दोबारा चुनाव लड़ने की तैयारी?
तेज प्रताप यादव का महुआ में किया गया रोड शो भी इस बात का संकेत दे रहा है कि वे आने वाले चुनावों में यहीं से दोबारा किस्मत आजमाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “अगर जनता कहेगी, तो मुझे चुनाव लड़ना ही होगा।” यह बयान साफ तौर पर एक सियासी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें जनता की मर्जी के नाम पर वे खुद को उम्मीदवार के रूप में स्थापित कर रहे हैं।
महुआ विधानसभा सीट से तेज प्रताप 2015 में पहली बार विधायक बने थे। 2020 में उन्होंने हसनपुर से चुनाव लड़ा और जीते भी। लेकिन अब वे अपनी जड़ों की ओर लौटने की तैयारी में दिख रहे हैं। महुआ के मौजूदा विधायक मुकेश रोशन, जो तेजस्वी यादव के करीबी माने जाते हैं, उनकी स्थिति अब असहज हो गई है। अगर तेज प्रताप ने महुआ से चुनाव लड़ने की ठानी, तो यह आरजेडी के भीतर सीधा टकराव होगा।
राबड़ी देवी का हालिया बयान- “हर परिवार में भाइयों के बीच बंटवारा होता है”। इस पारिवारिक विभाजन की गवाही देता है। पहले तेज प्रताप और तेजस्वी के बीच मतभेदों की चर्चा सिर्फ कानाफूसी तक सीमित थी, लेकिन अब यह खुलेआम सड़कों पर आ गया है। लालू प्रसाद यादव का भी गुस्सा सार्वजनिक हो चुका है, जब उन्होंने अनुष्का प्रकरण के बाद तेज प्रताप को ‘पार्टी और परिवार से बाहर’ करने की बात कही थी।
इस पूरे घटनाक्रम ने बिहार की जनता को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या RJD अब पहले जैसी मजबूत पार्टी रह पाएगी, या फिर लालू परिवार की यह बगावत पार्टी की राजनीतिक ताकत को धीरे-धीरे कमजोर कर देगी।
क्या आने वाला चुनाव लालू परिवार के लिए अग्निपरीक्षा होगी?
तेज प्रताप यादव का यह नया झंडा सिर्फ एक कपड़े का टुकड़ा नहीं है — यह एक प्रतीक है, एक ऐलान है, एक चुनौती है। यह लालू प्रसाद यादव के परिवार में जारी सियासी घमासान की पराकाष्ठा है, जो अब सार्वजनिक मंचों तक पहुंच चुकी है।
अगर तेज प्रताप अपनी नई पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में उतरते हैं, तो यह 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को पूरी तरह से नया रंग दे देगा। यह न सिर्फ RJD के लिए एक बड़ा झटका होगा, बल्कि नीतीश कुमार, भाजपा और कांग्रेस जैसी दूसरी पार्टियों के समीकरणों को भी प्रभावित करेगा।
तेज प्रताप अब आरजेडी के ‘राजकुमार’ नहीं, बल्कि अपने रास्ते के ‘युवराज’ बनने की दिशा में हैं। और यह यात्रा कितनी लंबी चलेगी, इसका फैसला बिहार की जनता ही करेगी।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।