{"_id":"68bacab2192f15854f0dee21","slug":"video-with-time-age-is-also-gradually-increasing-year-by-year-towards-its-final-stage-2025-09-05","type":"video","status":"publish","title_hn":"घाटी के सुरों का आखिरी संरक्षक; गुलाम मोहम्मद जज को है एक सच्चे वारिस की तलाश","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
घाटी के सुरों का आखिरी संरक्षक; गुलाम मोहम्मद जज को है एक सच्चे वारिस की तलाश
समय के साथ उम्र भी साल दर साल रफ्ता-रफ्ता आखिरी पड़ाव की ओर बढ़ती जा रही है। 84 वर्ष का हो गया हूं लेकिन यादें आज भी वैसे ही हैं जैसे घाटी की सदियों पुरानी विरासत, संस्कृति और खूबसूरती को सजोए अपने अंदाज में खड़े मनमोहक चिनार के पेड़। आज भी ऐसा लगता है कि दादा रहमान जू जज और पिता अब्दुल अहद ज़ज़ की गोद में खेल रहा हूं। और वो अपने खानदानी पेशा संतूर बनाने में मशगूल हैं।
खुशनसीब हूं कि मैं अपने कुनबे की आठवीं पीढ़ी हूं जो इस विरासत को संभाले हुए हूं। लेकिन अफसोस भी है कि आखिर मेरे बाद इस बेमिसाल साज ए सुर के इल्म और धरोहर को काैन जिंदा रखेगा। काश! मेरे पास भी अर्जुन जैसा कोई शिष्य होता तो मैं इस जहां से बेफिक्र होकर रुखसत करता। ऊपर जाकर अपने पुरखों को बताता कि गिला मत करिए आपकी विरासत और धरोहर धरती के जन्नत कश्मीर की वादियों में जिंदा है।
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Next Article
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।