मध्य प्रदेश की गुना-शिवपुरी-अशोकनगर संसदीय सीट से पूर्व सांसद केपी यादव ने अपने एक बयान से सियासी हलचल बढ़ा दी है। जन्माष्टमी के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि "मुझे देखकर कई लोग उदास हो गए हैं। आप चिंता न करें। बंसीवाले पर भरोसा रखें। मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि टाइगर अभी जिंदा है।"
इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं। दरअसल, लोकसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद से ही केपी यादव के राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठ रहे हैं। 2019 में उन्होंने तब कांग्रेस के टिकट पर लड़े ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराकर बड़ी सियासी सफलता हासिल की थी। हालांकि, 2020 में सिंधिया के भाजप में आने के बाद हालात बदल गए। सिंधिया पहले राज्यसभा से संसद गए और केंद्रीय मंत्री बने। 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यादव का टिकट काटकर सिंधिया को दे दिया। सिंधिया के लिए चुनाव प्रचार करने आए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी मंच से कह चुके हैं कि आप लोगों को केपी यादव की चिंता करने की जरूरत नहीं है। पार्टी उनका ख्याल रखेगी।
इसके बाद अटकलें लग रही थी कि यादव को सिंधिया की जगह राज्यसभा भेजा जा सकता है। हालांकि, पार्टी ने केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन को राज्यसभा भेजा है। इसके बाद से यादव के राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगा हुआ है। इसी का जवाब यादव ने अशोकनगर के मुंगावली में जन्माष्टमी के कार्यक्रम में दिया। उन्होंने कहा कि "मुझे देखकर कुछ लोग कहीं न कहीं मुझे उदास लगे। उन्होंने कुछ कहा नहीं, लेकिन उनकी आंखें और उनका चेहरा मुझे उदास दिखा है। उनसे मैं यही कहूंगा कि आप चिंता न करें। बंसीवाले पर भरोसा रखें। मैं यही कहूंगा कि टाइगर अभी जिंदा है।
सिंधिया परिवार की सीट रही है गुना-शिवपुरी
2019 से पहले गुना-शिवपुरी सीट पर सिंधिया घराने का ही कब्जा रहा था। ज्योतिरादित्य की दादी विजयाराजे सिंधिया और पिता माधवराव सिंधिया ने भी संसद में गुना-शिवपुरी सीट का प्रतिनिधित्व किया था। डॉक्टर केपी यादव के परिवार की भी इस संसदीय क्षेत्र में लंबी-चौड़ी विरासत रही है। केपी के पिता रघुवीर सिंह यादव गुना जिले के चार बार जिला पंचायत अध्यक्ष रहे। 2004 में राजनीति में सक्रिय हुए केपी जिला पंचायत सदस्य बने थे। फिर सिंधिया के सांसद प्रतिनिधि भी रहे हैं। 2018 के विधानसभा चुनावों में मुंगावली से टिकट न मिलने पर उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली थी। हालांकि, उस समय बृजेंद्र प्रताप से हारे थे। भाजपा ने लोकसभा चुनावों में फिर उन्हें मौका दिया और कमाल हो गया। उन्होंने 2019 में मोदी लहर में कभी अपने नेता रहे सिंधिया को भी रिकॉर्ड मतों से हराया था।