मध्यप्रदेश के राज्यपाल महामहिम मंगूभाई पटेल गुरुवार को विश्व सिकलसेल दिवस के एक कार्यक्रम में बड़वानी जिले के ग्राम तलून पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने आने वाली पीढ़ी के लिए सिकलसेल से जुड़ी जनजागरूकता के साथ ही बच्चों के विवाह के पूर्व कुंडली मिलाने के साथ साथ सिकलसेल के जेनेटिक कार्ड को भी मिलाए जाने पर बल दिया। उन्होंने जनजागरूकता एवं संकल्प से ही इस बीमारी को नियंत्रित किए जाने की बात कही।
बता दें कि, इस कार्यक्रम में पहले राष्ट्रपति भी आने वाली थीं। हालांकि मौसम खराब होने के चलते सुरक्षा कारणों से उनका दौरा निरस्त हो गया। वहीं भोपाल से कार्यक्रम में शामिल होने आ रहे मुख्यमंत्री मोहन यादव को भी खराब मौसम के चलते इंदौर से ही इस कार्यक्रम में वर्चुअली शामिल होना पड़ा।
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सिकलसेल की जागरूकता को लेकर हुए इस कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि पूरे विश्व में जहां पर भी सिकलसेल के रोगी हैं, वहां इस कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। बड़ी संख्या में रोगी एवं वाहक होने से बड़वानी जिले को कार्यक्रम के आयोजन हेतु चुना गया है। इससे कि इस जिले के वासी जागरूक होकर इस बीमारी से स्वयं को, अपने परिवार को और अपनी आने वाली पीढ़ी को इससे बचाएं। रोगी एवं वाहक दोनों ही अपनी जांच कराएं, एवं सही उपचार सही समय पर लें। सही उपचार से काफी हद तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। बता दें कि, कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने गर्भवती महिलाओं के लिए सिकल सेल रोग के संपूर्ण प्रबंधन के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाई गई मार्गदर्शिका का विमोचन भी किया।
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विवाह पूर्व कुंडली के साथ जेनेटिक कार्ड भी मिलाएं
कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय समाज में सिकलसेल बीमारी आनुवांशिक होकर लोगों को जकड़ रही है। जनजातीय समाज को इस बीमारी से मुक्ति दिलाने एवं आने वाली पीढ़ी के बच्चों को इस बीमारी के कुचक्र से बचाने के लिए जनजागरूकता जरूरी है। जनजागरूकता के लिए यह आवश्यक है कि लोग स्वयं अपनी स्क्रीनिंग कराए साथ ही विवाह के पूर्व कुंडली मिलाने के साथ-साथ सिकलसेल के जेनेटिक कार्ड का भी मिलान करें। क्योंकि अगर माता-पिता को सिकलसेल है तो बच्चों में अनिवार्य रूप से होगा।
सीएम ने कार्यक्रम में किया वर्चुअल संबोधन
प्रदेश के मुखिया डाॅ. मोहन यादव इस कार्यक्रम में इन्दौर से वर्चुअल रूप से जुड़े। इस दौरान सीएम ने कहा कि सिकलसेल बीमारी में ऑक्सीजन प्रवाह बाधित होता है, और मरीज को अत्यंत शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसे यह बीमारी होती है, वह ही इस बीमारी की पीड़ा को समझ सकता है। इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते। सही समय पर सही उपचार से ही इस बीमारी से होने वाली पीड़ा से बचा जा सकता है। इसको लेकर प्रदेश की सरकार ने संकल्प लिया है कि इस बीमारी से ग्रसित लोगों को स्वास्थ्य एवं आयुष विभाग की दवाइयों के माध्यम से इस बीमारी के कुचक्र से बचाना है। बड़वानी जिले के वासियों से यह अपील है कि वे दृढ़ संकल्प लें एवं इस बीमारी को अपनी आने वाली पीढ़ी को न होने दें।
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