मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले के आदिम जाति कल्याण विभाग के एक चपरासी बबन शेलके ने ट्रेन के सामने कूद कर आत्महत्या कर ली, जिसके बाद मृतक के परिजनों ने इसको लेकर विभाग की प्रभारी सहायक आयुक्त सुवर्णा खर्चे पर प्रताड़ना के गंभीर आरोप लगाए हैं। बताया जा रहा है कि मृतक कर्मचारी का 20 दिन पहले ही बहादरपुर के छात्रावास में ट्रांसफर किया गया था।
वहीं उसका कुछ माह पूर्व सिंधी बस्ती स्थित बालक छात्रावास में भी ट्रांसफर किया गया था। इसी के चलते बार-बार के तबादलों से तंग आकर उसने यह कदम उठाया है और इसको लेकर उसने एडीएम सहित अन्य अफसरों से न्याय की गुहार भी लगाई थी। लेकिन उचित कार्रवाई नहीं होने के चलते मानसिक तनाव में आकर उसने आत्महत्या कर ली। हालांकि, अधिकारियों के अनुसार उनके द्वारा प्रताड़ित नहीं किया गया था, बल्कि सिर्फ मृतक को उसके मूल पद स्थापना स्थल पर सेवाएं देने के लिए कहा गया था। फिलहाल, पुलिस के द्वारा मर्ग कायम कर मामले की जांच की जा रही है।
वहीं, इस मामले में परिजनों के गम्भीर आरोपों पर सफाई देते हुए आदिम जाति विभाग की प्रभारी सहायक आयुक्त सुवर्णा खर्चे ने बताया कि बहादुरपुर में जहां बबन की मूल नियुक्ति थी, वहां एक अंशकालीन कर्मचारी अतिरिक्त काम कर रहा था और बबन यहां पर अटैच था। ऐसे में अंशकालीन कर्मचारी का वेतन देने में परेशानी हो रही थी, जिसके चलते उसको 30 अक्तूबर को कार्य मुक्त किया था, और बबन को बहादरपुर में अटैच किया था। बावजूद इसके वह इसी कार्यालय में कार्य पर आ रहा था, जिसके चलते आज सुबह उसे इस बात को लेकर मेरे द्वारा सिर्फ इतना कहा गया था कि आपको बहादुरपुर के लिए कार्यमुक्त किया है, आप वहां गए क्यों नहीं और इसके अलावा मेरी उससे कोई बात नहीं हुई थी और अभी मुझे दूसरे कर्मचारियों से मालूम चला कि उसने आत्महत्या कर ली है।
उस संस्था में चले जा, केवल इतनी सी बात थी
वहीं इस मामले में आदिम जाति विभाग के सहायक आयुक्त गणेश भाबर ने बताया कि वे जिस समय कार्यालय आए थे उनके सामने तो वह कर्मचारी नहीं आया था, लेकिन बाद में उन्हें मालूम चला कि उस कर्मचारी ने आत्महत्या कर ली है। उनका मामला यह ठगा कि वे यहां अतिशेष में थे, जिसके चलते उन्हें उनकी मूल संस्था के लिए आर्डर किया था। लेकिन वह वहां नहीं गया था, जिस पर आज उसे सिर्फ इतना कहा गया था कि उस संस्था में चले जा। बस इतनी बात थी इसके अलावा कुछ नहीं था।