सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चौरई में गुरुवार देर रात घोर लापरवाही का मामला सामने आया। प्रसव पीड़ा से चीखती-कराहती एक बहू को नर्स ने बार-बार नज़रअंदाज कर दिया। सास गुहार लगाती रही, लेकिन नर्स हर बार यही कहती रही— “अभी टाइम है” और फिर सो गई। इस बीच युवती का प्रसव दर्द इतना बढ़ गया कि सास उसे बाथरूम ले गई। वहां उसने बच्चे को जन्म दिया, लेकिन नवजात फर्श पर गिरते ही दम तोड़ बैठा। जिस घर में किलकारी गूंजनी थी, वहां मातम पसर गया।
ग्राम मंदरिया से सोना कहार को 108 एम्बुलेंस रात 2 बजे अस्पताल लाई थी। डॉक्टर मौजूद नहीं थे। नर्स ने जांच के बाद कहा— “डिलीवरी कल शाम होगी, सब नॉर्मल है।” कुछ देर बाद प्रसव पीड़ा तेज हुई तो सास तीन बार नर्स को जगाने गई, लेकिन हर बार जवाब मिला— “अभी बच्चा होने में टाइम है” और नर्स फिर सो गई।
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पेशाब के बहाने ले गई बाथरूम, वहीं हुआ प्रसव
दर्द असहनीय होने पर बहू ने पेशाब जाने की बात कही। सास उसे सहारा देकर बाथरूम ले गई। तभी बच्चा जन्मा और सीधे फर्श पर गिरा। मासूम ने कुछ सेकंड रोने के बाद दम तोड़ दिया।
अस्पताल बोला- बच्चा पहले ही मर चुका था
सुबह डॉक्टरों ने रिपोर्ट दी कि “बच्चा स्टिल बर्थ था, गर्भ में ही मौत हो चुकी थी।” लेकिन गायनिक विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भ में मौत की स्थिति में इतना तेज प्रसव दर्द नहीं होता और आमतौर पर ऑपरेशन कर भ्रूण बाहर निकाला जाता है। यानी अस्पताल की रिपोर्ट और हकीकत में बड़ा फर्क है।
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दिन में निरीक्षण, रात में हादसा
सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि घटना वाले दिन ही दोपहर में संभागीय कमिश्नर धनंजय सिंह और कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने अस्पताल का निरीक्षण कर व्यवस्थाएं सुधारने के निर्देश दिए थे। लेकिन कुछ ही घंटों बाद ऐसी लापरवाही सामने आ गई।
परिजनों ने सौंपा ज्ञापन
घटना के बाद परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए एसडीएम प्रभात मिश्रा को ज्ञापन सौंपा।
एसडीएम बोले कि जांच के निर्देश दिए हैं, दोषियों पर कार्रवाई होगी।
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