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Damoh News: इस गांव में लकड़ी का जाला बनाकर नदी से आते-जाते हैं ग्रामीण, डेम के पानी से पुल डूबा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दमोह ब्यूरो Updated Sun, 27 Oct 2024 01:56 PM IST
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जनपद पंचायत दमोह के अंतर्गत आने वाले बहेरा गांव में सतधरू नदी पर बने डेम का बैकवाटर 15 किमी दूर तक पहुंच गया है। जिससे गांव जाने वाली सड़क पर बने 15 फीट ऊंचे पुल पर 3 से 4 फीट पानी भर गया है। इस कारण यहां के लोग बांस की लकड़ी से बने जाला पर खड़े होकर रस्सी के सहारे खींचते हुए एक तरफ से दूसरी तरफ जान जोखिम में डालकर आवागमन कर रहे हैं। 500 की आबादी वाले इस गांव में 9 महीने यही हालात बने रहते हैं, सिर्फ गर्मी के दिनों में पानी पुल से नीचे रहता है। कुछ लोग तो इस जाला पर बाइक भी रखकर ले जाते हैं। रस्सी भी इतनी पतली है कि कई बार टूट जाती है।
पुल पर पानी होने से पिछले तीन साल से गांव तक कोई भी एंबुलेंस या जननी सुरक्षा वाहन नहीं पहुंच पाता। जिससे गर्भवती महिलाओं को इसी लकड़ी के जाला पर बैठाकर पहले नदी पार करानी पड़ती है। इसके बाद दूसरे वाहन से मुख्य मार्ग पहुंचाया जाता है। दूसरी ओर 8वीं पास करने वाले अधिकांश बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी है। मात्र कुछ बच्चे ही गांव से 5 किमी दूर भीलमपुर हाईस्कूल में जाते हैं। दूसरा मार्ग है जो जंगल से होकर जाता है। वहां से मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए 12 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। ऐसे में लोग साल के 9 माह तक नदी के बीच से ही आवागमन करते हैं।
बीते शनिवार को कुछ स्कूली बच्चे एवं ग्रामीण लकड़ी के जाला के उपर से रस्सी खींचते हुए निकल रहे थे। उसके उपर बाइक भी रखी थी। इसी दौरान बहेरा गांव की तरफ से एक ट्रेक्टर ट्राली आई। जिसके आगे एक व्यक्ति पानी में डूबे पुल पर खड़ा हुआ और उसके पीछे पीछे ट्रेक्टर ट्राली आ रही थी। परेशानी की बात तो यह है कि यदि पानी में डूबे पुल से यदि ट्रेक्टर का टायर गलत जगह से निकल जाता तो कई लोगों की जान खतरे में पड़ सकती थी। ट्रेक्टर चालक ने प्रशांत लोधी ने बताया कि मजबूरी में पुल से निकलना पड़ता है। अपनी इस समस्या का भी वीडियो स्थानीय लोगों ने बनाकर सोशल मीडिया पर भी वायरल किया है।
नया पुल बन जाए तो आवागमन हो जाएगा सुलभ
स्थानीय ग्रामीण बलवंत सिंह लोधी ने बताया कि तीन साल पहले तक हम लोग पुराने पुल से आवागमन करते थे जो पानी में डूब गया है। हम लोग 9 माह ऐसे ही आवागमन करते हैं। अप्रेल से जून माह के बीच पुल से पानी उतरने के बाद ही आवागमन हो पाता है। दूसरा रास्ता जंगल से होकर जाता है। जिससे 12 किमी का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता है। छात्र राजेंद्र लोधी ने कहा कि अधिकांश छात्रों ने आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी है। मुझे पढ़ाई की लगन है, इसलिए लकड़ी के जाला से होकर स्कूल जाता हूं। नया पुल बन जाए तो अन्य बच्चे भी पढ़ाई के लिए आने लगेंगे।
टेंडर प्रक्रिया चल रही है
जल संसाधन विभाग के ईई शुभम अग्रवाल ने बताया तेजगढ़ से बहेरा जाने वाले मार्ग पर सतधरू नदी पर नया पुल बनवाने के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है। इसके पूर्ण होने पर संबंधित एजेंसी द्वारा पुल बनाने का काम चालू किया जाएगा।
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