आजादी के इतने दशक बाद भी बुनियादी सुविधाओं का आभाव है। एमपी के हरदा जिले से एक ऐसी ही तस्वीर सामने आई है, जहां सड़कों के अभाव में आदिवासी ग्रामीण परेशान हैं। यहां स्थानीय लोगों को मरीजों और गर्भवती महिलाओं को कपड़े की झोली या घाट पर इलाज के लिए लेकर जाना पड़ता है। सड़क न हो पाने की वजह से यहां गाड़ी नहीं पहुंच पाती है। ग्रामीण अंचल से आये इसके वीडियो ने सरकारी विकास के दावों की कलाई खोल कर रख दी है ।
यह वीडियो जिले के वनग्राम मनासा का बताया जा रहा
हरदा जिले की रहटगांव तहसील का एक वीडियो इस समय सोसल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। यह वीडियो जिले के वनग्राम मनासा का बताया जा रहा है, जिसमे सड़क की खराब स्थिति के चलते एक गर्भवती महिला को उसके परिजन, ग्रामीणों की मदद से कपड़े की झोली में डालकर खराब रास्तों को पार करवा रहे हैं। जिसके बाद में उसे बाइक की मदद से अस्पताल ले जाया गया । वीडियो सामने आने के बाद कई लोगों की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है, और आम लोगों के द्वारा इसे जिला प्रशासन और नेताओं की लापरवाही बताया जा रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स की मानें तो मध्य प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में ऐसी घटनाएं अब आम हो गई हैं, जहां सड़क की कमी या खराब स्थिति के कारण लोगों को इसी तरह से गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। इन गांवों में सड़कों की खराब स्थिति के चलते एंबुलेंस भी गांव तक नहीं पहुंच पाती, जिससे गर्भवती महिलाओं या अन्य मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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108 एंबुलेंस 15 किलोमीटर तक भी नहीं पहुंच पाती है
इधर इस वीडियो के सामने आने के बाद आदिवासी संगठन जयस के पूर्व जिलाध्यक्ष राकेश ककोडिया का कहना है कि, ग्राम मनासा की एक गर्भवती आदिवासी महिला ममता बाई पति अखिलेश सरियाम को डिलीवरी कराने के लिए, अस्पताल तक करीब 5 से 6 किलोमीटर के रास्ते ग्रामीणों के द्वारा झोली में डालकर ले जाया गया। उस क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की 108 एंबुलेंस 15 किलोमीटर तक भी नहीं पहुंच पाती है । और ऐसी तमाम घटनाओं की शिकायत जिला प्रशासन के संज्ञान में भी रहती हैं, लेकिन उन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इसलिए उन्होंने जिला प्रशासन से मांग भी की है कि ऐसे मामलों को तत्काल संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाए। नहीं तो सारा आदिवासी समाज मिलकर इसका जिले में कड़ा विरोध प्रदर्शन करेगा, जिसकी सारी जिम्मेदारी जिला प्रशासन की रहेगी।
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