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Harda: The marriage of Lord Shaligram and Tulsi will take place on Devuthani Gyaras, know the story behind it
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Harda : देवउठनी ग्यारस पर होगा भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह, जानें क्या है इसके पीछे की कथा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, हरदा Published by: हरदा ब्यूरो Updated Tue, 12 Nov 2024 05:25 PM IST
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देशभर में आज देवउठनी ग्यारस का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस पर्व पर परंपरा के अनुसार गन्ने की झोपड़ी में भगवान शालीग्राम से तुलसी विवाह करवाया जाएगा, जिसके बाद पटाखे फोड़कर देवउठनी ग्यारस का पर्व मनेगा। हरदा जिले में शहर समेत ग्रामीण अंचलों में भी सवेरे से ही बाजारों में गन्ने की दुकानें सज गई हैं, जिसके बाद अब देर शाम घरों में तुलसी विवाह का आयोजन करवाया जाएगा और घर-घर दीये जलाए जाएंगे।
देवउठनी ग्यारस के चलते सोमवार से ही बाजारों में चहल-पहल देखी जा रही है, मंगलवार को भी सुबह से ही श्रद्धालु गन्ने की दुकानों पर खरीददारी करते दिखाई दिए। हालांकि नगर में चल रहे सड़क निर्माण के कारण लोगों को गलियों से घूमकर आवागमन करना पड़ रहा है।
क्या है तुलसी विवाह की कथा
कहानी के अनुसार अत्याचारी जलंधर अपनी पत्नी वृंदा के पतिव्रत के कारण अजेय था और उसे मार पाना देवताओं के लिए बहुत मुश्किल था। इसी बात को लेकर देवताओं ने भगवान विष्णु से अपनी समस्या बताई। भगवान विष्णु ने जलंधर का रूप लेकर वृंदा को स्पर्श कर दिया, जिससे उसका पतिव्रत धर्म टूट गया और उसके बाद भगवान शिव ने जलंधर का वध कर दिया। जब वृंदा को इस छल का पता चला तो उसने भगवान विष्णु को श्राप देकर पाषाण का कर दिया। इससे चिंतित होकर मां लक्ष्मी ने वृंदा से भगवान को श्रापमुक्त करने की प्रार्थना की। इसके बाद वृंदा ने भगवान शालिग्राम को श्रापमुक्त तो कर दिया लेकिन अपना पतिव्रत धर्म निभाते हुए आत्मदाह कर लिया, जिससे निकली राख में एक पौधा उगा और उसे ही तुलसी नाम दिया गया। भगवान विष्णु ने उस पौधे को वरदान दिया कि सदैव शालीग्राम के साथ तुलसी की पूजा होगी। इसलिए देवउठनी ग्यारस के दिन तुलसी का विवाह भगवान शालीग्राम से कराया जाता है।
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