मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के छैगांव माखन ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम सिलोदा के ग्रामीणों ने एक बार फिर गांव की सरपंच के खिलाफ आवाज बुलंद की है। इसको लेकर सैकड़ों किसान परिवार और ग्रामीण जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे और सरपंच की कार्यशैली पर विरोध जताया। ग्रामीणों ने सरपंच और पुलिस प्रशासन की एकतरफा कार्रवाई पर भी सवाल उठाए। पुलिस के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की गई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि लगातार भ्रष्टाचार की शिकायतें करने के बावजूद सरपंच पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। इसके चलते उन्होंने अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग की।
सरपंच के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन
ग्राम पंचायत सिलोदा में सरपंच आरती पगारे की कथित तानाशाही और कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ लगभग 500 से अधिक ग्रामीण किसान, महिला और पुरुष लामबंद होकर विरोध प्रदर्शन करते हुए जिला मुख्यालय पहुंचे। ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच आरती पगारे के नेतृत्व में पंचायत के विकास कार्यों में अनियमितताएं हो रही हैं और प्रशासनिक कार्यों में तानाशाही रवैया अपनाया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि सरपंच उनकी शिकायतों के जवाब में एससी-एसटी एक्ट के तहत झूठी एफआईआर दर्ज करवा देती हैं और पुलिस भी उनकी बात सुनने के बजाय सरपंच का पक्ष लेती है। ग्रामीणों ने मांग की है कि या तो उनकी ओर से भी एफआईआर दर्ज की जाए या सरपंच द्वारा दर्ज की गई झूठी एफआईआर को रद्द किया जाए।
गांव की पंचायत को भयमुक्त करें
ग्रामीणों ने सरपंच के पति नरेंद्र पटेल और किशोरीलाल, निवासी कावेरी स्टेट, खंडवा के खिलाफ भी नाराजगी जाहिर की। उनका कहना है कि इन लोगों की हठधर्मिता के कारण पंचायत की योजनाओं का लाभ ग्रामीणों को सही तरीके से नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि सरपंच को गांव की पंचायत से हटाया जाए और भयमुक्त वातावरण में गांव की जनता को राहत दी जाए। प्रशासन ने ग्रामीणों के विरोध को गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।
जांच से बचने के लिए झूठी एफआईआर
ग्राम सिलोदा के वार्ड क्रमांक 2 के पंच अनिल पटेल ने बताया कि सरपंच आरती पगारे पर भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं, जिनकी शिकायत उन्होंने सीओ मैडम से की थी। लेकिन सरपंच के खिलाफ जांच न हो, इसलिए उन्होंने ग्रामीणों के खिलाफ झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी। अनिल पटेल ने कहा कि पुलिस को दिए गए वीडियो में वे दिख नहीं रहे हैं, फिर भी उनके खिलाफ एफआईआर हो गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरपंच के पति ने गांव का पानी का टैंकर बेच दिया है, लेकिन इस मामले में भी कोई जांच नहीं हुई। इसके अलावा, स्ट्रीट लाइट, नाली निर्माण और सड़क के पैसों का गबन भी किया गया है।
अधिकारियों पर भी भ्रष्टाचार का आरोप
अनिल पटेल ने कहा कि मीडिया में भ्रष्टाचार की खबरें आने के बावजूद सरपंच पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है, जिससे यह संदेह होता है कि अधिकारी भी इसमें शामिल हैं। कोई भी अधिकारी ग्रामीणों की बात सुनने को तैयार नहीं है। अब तो ग्रामीण सरपंच की गली में जाने से भी डरते हैं कि कहीं उन पर झूठे आरोप लगाकर मामला दर्ज न करवा दिया जाए। सरपंच ने पहले भी कुछ ग्रामीणों को झूठे आरोपों में फंसाकर जेल भिजवा दिया है। पुलिस हमारी कोई सुनवाई नहीं करती। पहले भी हमें झूठे आश्वासन देकर भगा दिया गया था। ग्रामीणों ने निष्पक्ष जांच और न्याय की मांग की है।