दौसा क्षेत्रवासियों के लिए निर्दलीय प्रत्याशी विप्र गोयल ने बताया कि उन्होंने देश-विदेश के भामाशाहों को दौसा क्षेत्र में पानी, बिजली और रोजगार में आत्मनिर्भरता हेतु प्रति परिवार औसतन 11 लाख रुपये की व्यवस्था की है। इस रुपये से क्षेत्रवासियों के साथ किसानों के साथ रहकर ही हर खेत के लिए बारामासी पानी की व्यवस्था, सोलर पंप की व्यवस्था, ड्रिप और फव्वारा सिंचाई सिस्टम की व्यवस्था, कम से कम एक-एक व्यापारिक फसल की व्यवस्था से लेकर कच्चे माल के प्रोसेसिंग व बिक्री की पुख्ता कार्यनीति तैयार की है। साथ ही दौसा विधानसभा में ही क्षेत्रीय किसान भाइयों, नवयुवकों, वयस्कों के स्वामित्व और प्रबंधन में देश के सबसे पहले तीन तरह के संयंत्र स्थापित होंगे, जिसमें एक दुग्ध प्रोसेसिंग, एक फ़ूड प्रोसेसिंग और एक बायोगैस-बायोफर्टीलाजर-बायोकीटनाशक ट्रॉम्बो संयंत्र हैं।
विप्र ने दौसावासियों को बताया कि दौसा क्षेत्र में उक्त कार्यों की पुख्ता कार्यनीति को क्रियान्वित करना है। कार्यनीति के मार्ग में क्षेत्रीय शासन प्रशासन संबंधित किसी भी प्रकार की कोई अवांछित अड़चन या देरी न आए, इस हेतु उन्हें एक राजनैतिक हस्ताक्षर की भी आवश्यकता थी। इस हेतु वे दौसा से विधानसभा सीट से खड़े हुए हैं। अब आप जनता को सम्मिलित रूप में जागरुक होना है। आपको अपनी पानी-बिजली-रोजगार की समस्या से बाहर निकल कर आत्मनिर्भर होना है।
जनता का इस समय का निर्णय उनके ही आने वाले भविष्य का निर्णय होना है। जनता को यह मालूम रहना होगा कि जनता द्वारा चुने जाने के प्रथम दिन से ही दौसा में कार्यों का होना प्रारम्भ हो जाएगा। विप्र ने बताया कि उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से शिक्षा भले ही अभी वर्ष 2021 में ही पाई हो, भले ही अभी वे 25 वर्ष के ही हों, लेकिन पिछले 11-12 वर्षों से वे अपनी मां डॉ. नीलम गोयल (भारत की परमाणु सहेली) के जन-कल्याण सम्बंधित कार्यों में तकनीकी रूप में सीधे रूप में संलग्न थे। उसका उदाहरण है कि छारेड़ा में 300 जलखेतों का निर्माण संभव हुआ है।
उधर कई सरकारी प्रोजेक्टों में जमीन अधिग्रहण में किसानों को तीन लाख रुपये के स्थान पर 17-17 लाख रुपये की राशि दिलवाई है। तकरीबन 5,000 अरब रुपये के बराबर के विकास वाले रूके हुए प्रोजेक्टों का उद्घाटन करवाया। इन सरकारी प्रोजेक्टों से कई हजार यहां तक कि लाखों लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगारों की व्यवस्था मुनासिब हो पाई है। विप्र ने कहा कि उनके वैज्ञानिक माता-पिता ने उन्हें दौसा, राजस्थान और समूचे देश में हर घर हर खेत पर पानी-बिजली-रोजगार की आत्मनिर्भरता का कर्म दिया है और वे अब इस जिम्मेदारी को अपने जीवन का उद्देश्य मान चुके हैं। लेकिन ये सभी कार्य सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने के लिए पांच सूत्रों (निष्पक्षता, जागरुकता, तकनीकि कौशलता, जनसहभागिता व सतर्कता) के साथ-साथ एक राजनैतिक पद/हस्ताक्षर की भी परम आवश्यकता होती है। अन्यथा पांच सूत्र भी नाकाम हो जाते हैं।
यही इस युग का अकाट्य सत्य है। हिरण सच्चा होता है वह किसी को भी नहीं सताता। लेकिन शेर फिर भी उसे खा जाता है, कोई भगवान उसकी सहायता के लिए नहीं आता। माने सभी को अपने-अपने विकास के लिए स्वयं ही जागरुक होना होगा और फिर एक सच्चे कार्मिक पथ पर विप्र के साथ-साथ चल देना होगा। पानी-बिजली-रोजगार का कोई जाति या धर्म नहीं होता है। ठीक इसी प्रकार परिवार-किसान-दुकानदार-उद्योगपति इनमें से किसी की भी कोई जाती नहीं है। ये हैं तो हैं और अपने-अपने कार्यों से सामर्थ्य से हैं। लेकिन ये सभी एक दूसरे पर निर्भर हैं। एक उत्पादक यदि आवश्यक माल का उत्पादन नहीं करेगा तो एक विक्रेता क्या बेचेगा। आज के समय में हमें एक दूसरे का सम्मान करते हुए यही देखना है कि आपकी अपनी-अपनी समस्याओं का निराकरण कैसे होना है। इस हेतु मैं आप सभी को जागरुक भी बनाऊंगा और आपके करने योग्य कर्मों के लिए हर प्रकार की सक्षमता के साथ-साथ धन सहयोग को भी लेकर आऊंगा।