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MP: बेसमेंट विवाद में कांग्रेस ने लगाए आयुक्त-महापौर पर आरोप, नेता प्रतिपक्ष शहर हित पर देते रहे गोलमोल जवाब
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, खंडवा Published by: खंडवा ब्यूरो Updated Thu, 21 Nov 2024 09:52 PM IST
खंडवा नगर निगम का लिया एक फैसला बीते दिनों से चर्चा में बना हुआ है, जिसमें निगम ने शहर के 28 भवन मालिकों को नोटिस जारी कर, उनकी बिल्डिंग में बने बेसमेंट के व्यवसायिक उपयोग को लेकर, कार्रवाई करने की बात कही थी, और इस पर उनके जवाब मांगे गए थे। हालांकि इस दौरान निगम ने 16 बेसमेंट को सील करने की कार्रवाई भी की थी, जिस पर शहर के व्यापारियों ने यह तो माना था कि उन्हें परमिशन पार्किंग की दी गई है। लेकिन वे अब अपने नुकसान से बचने के लिए निगम को कंपाउंडिंग अमाउंट देकर बेसमेंट को यथा स्थिति रखना चाहते थे। हालांकि निगम ने जब कार्रवाई की थी तो इससे शहर वासियों में निगम की छवि तो सुधरी ही थी, साथ ही आमजन को लगा था कि अब शहर में पार्किंग की समस्या से निजात मिलेगी।
निजी कार्यालय में ज्ञापन लेना है नियम विरुद्ध
हालांकि एक बार फिर से निगम ने व्यापारियों की बात मान कंपाउंडिंग का अमाउंट लेकर सील किए हुए बेसमेंट को खोलने की कार्रवाई शुरू कर दी है, जिससे शहर की पार्किंग व्यवस्था की समस्या जस की तरफ बनी हुई है। वहीं इसके बाद ही इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है। व्यापारियों ने इसको लेकर महापौर के निजी कार्यालय में जाकर आयुक्त एवं महापौर को संयुक्त रूप से एक ज्ञापन सौंपा था, जिस पर गुरुवार दोपहर निगम के नेता प्रतिपक्ष दीपक राठौड़ सहित कांग्रेस पार्षद आपत्ति लेते हुए जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने पहुंचे थे। उनका कहना था कि निगम आयुक्त महापौर के दबाव में काम कर रही हैं, और उनका महापौर के निजी कार्यालय में जाकर ज्ञापन लेना नियम विरुद्ध है।
350 नोटिस किये जायें सार्वजनिक
इधर, जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने पहुंचे निगम के नेता प्रतिपक्ष दीपक उर्फ मुल्लू राठौड़ ने बताया कि उन्होंने दो मामलों को लेकर जिला कलेक्टर से चर्चा की है। जिसमें पहले तो यह था की निगम की नई आयुक्त का व्यवहार कांग्रेस पार्षदों के साथ ही शहर के प्रति अच्छा नहीं है। वह हमारे पार्षद के साथ भेदभाव कर अपने पद का दुरुपयोग करती हैं, और जिस तरह से उन्होंने महापौर के निजी कार्यालय में जाकर ज्ञापन लिया, वह उनके पद का दुरुपयोग है, जिसकी शिकायत करने हम यहां आए थे। उन्होंने बताया कि दूसरा मामला यह था कि, निगम ने जो 350 नोटिस कंपाउंडिंग के भेजे हैं, वह सभी नोटिस सार्वजनिक किए जाएं, की निगम ने किन कारणों के चलते इस तरह के नोटिस जारी किए हैं।
महापौर आयुक्त मिलकर डरा धमका रहे व्यापारियों को
इनमें से जो 28 कम्पाउंडिंग के नोटिस भेजे गए हैं, तो जब निगम अधिनियम में स्पष्ट है कि जहां भी पार्किंग की परमिशन है, वहां की कंपाउंडिंग नहीं हो सकती है। ऐसे में हमें डर है कि आयुक्त और महापौर मिलकर जो व्यापारी उन्हें चुनावी चंदा देते हैं, उन्हें सत्ता मिलने के बाद चमकाते हैं, और उन्हें डरा धमका कर उनसे पैसा वसूल करते हैं। आज यदि इन 350 लोगों से डरा धमका कर एक-एक लाख रुपए भी लिए गए, तो कितना पैसा इकट्ठा हो सकता है। इसलिए जो न्याय संगत हो वही होना चाहिए और कंपाउंडिंग के नाम पर व्यापारियों को डराना धमकाना नहीं चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष को नहीं मालूम शहर हित किसमे है
यही नहीं, नेता प्रतिपक्ष राठौर ने कहा कि निगम को बेसमेंट सील करने का अधिकार नहीं है। पहले इन्हें नोटिस देना चाहिए था। तो इन्होंने किस बेस पर शहर में यह 28 नोटिस जारी किए हैं, इसकी कॉपी भी हम आरटीआई के जरिए मांगेंगे। हालांकि जब नेता प्रतिपक्ष से यह पूछा गया कि, वह निगम की इस कार्रवाई के साथ है या खिलाफ खड़े हैं। तब उन्होंने बातों को गोल घुमाते हुए कहा कि, हम तो शहर हित के लिए खड़े हैं, लेकिन वे यह नहीं बता सके कि शहर का हित बेसमेंट पर कार्रवाई करने से है, या कार्रवाई की मुखालिफत करने में है ।
नेता प्रतिपक्ष के गोलमोल करने वाले जवाब
ज्ञापन देने के बाद मीडिया से चर्चा के दौरान जब नेता प्रतिपक्ष दीपक राठौर से पूछा गया कि वे इस कार्रवाई के दौरान व्यापारियों के साथ खड़े होंगे, या व्यापारियों के खिलाफ खड़े होंगे, तब उन्होंने एक बार फिर से गोल-गोल जवाब देते हुए कहा कि वे शहर हित में ही खड़े रहेंगे, और शहर हित में जो गलत होगा हम उसका विरोध करेंगे। लेकिन वह एक बार फिर से नहीं बता सके की शहर हित में व्यापारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए या कार्रवाई रुकनी चाहिए। वहीं जब उनसे पूछा गया कि शहर में बने बेसमेंट में जो पार्किंग के लिए जगह दी है, उसका मिसयूज़ हो रहा है, इसको लेकर वह क्या कहते हैं। तब फिर से वह बातों को घुमाते हुए कह उठे की पार्किंग की जगह की कंपाउंडिंग नहीं हो सकती है, और यह नियम में है ही नहीं, की पार्किंग की जगह का कंपाउंडिंग का पैसा भरकर उस जगह से पार्किंग हटाई जा सके।
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