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MP News: सेना के जवानों की ट्रेन ट्रैक पर डेटोनेटर लगाने के मामले में गैंगमैन पर केस, सियासत भी शुरू
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बुरहानपुर Published by: खंडवा ब्यूरो Updated Mon, 23 Sep 2024 04:11 PM IST
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में बीते दिनों भारतीय रेल के साथ-साथ भारतीय सेना की सुरक्षा में चूक से जुड़ी एक घटना ने देशभर में सुर्खियां बटोरी थीं। मामले में गैंगमैन पर केस दर्ज कर लिया गया है।
बता दें कि बुधवार को जिले के सागफाटा रेलवे स्टेशन स्थित दिल्ली मुंबई रेलवे ट्रैक से गुजर रही भारतीय सेना की एक विशेष ट्रेन के नीचे विस्फोटक डेटोनेटर लगाए जाने का मामला सामने आया था। इसके बाद से ही मामले की गंभीरता को देखते हुए रेलवे बल और पुलिस के साथ ही सुरक्षा एजेंसियां इस मामले की जांच में लगी हुई हैं। इस मामले में आरपीएफ ने सागफ़ाटा रेलवे स्टेशन पर गैंगमैन का काम करने वाले एक कर्मचारी को हिरासत में लेकर उस पर यात्रियों की सुरक्षा को खतरे में डालने, सहित रेलवे संपत्ति की चोरी से जुड़ा मुकदमा दर्ज किया है।
कांग्रेस पर साधा निशाना
सोमवार को इस पर बुरहानपुर पहुंचे मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने इसे संवेदनशील मुद्दा बताते हुए, जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कह पाने, और कांग्रेस सहित विपक्ष का इसको लेकर राजनीतिक रोटी सेकने की बात कही है। इधर खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने भी फिलहाल इसे आतंकवादी घटना मानने से इनकार करते हुए जांच रिपोर्ट का इंतजार करने की बात कही है। रविवार देर शाम इस मामले में रेलवे ने बयान जारी कर बताया था कि घटना में इस्तेमाल डेटोनेटर रेलवे के ही थे, लेकिन उनका इस्तेमाल क्यों और किसके द्वारा किया गया इसकी जांच की जा रही है।
रेलवे संपत्ति की चोरी और यात्रियों की सुरक्षा से जुड़ा केस दर्ज
इधर खंडवा आरपीएफ थाना प्रभारी संजीव कुमार ने बताया कि इस मामले में 6 / 2024 अंडर सेक्शन 3 आरपीयूपी एक्ट 1966 एमेंडमेंट 2012 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसमें साबिर पिता शब्बीर जो कि गैंग नंबर 14 सागफटा का था, वह उस दिन ड्यूटी से अनुपस्थित था, और घटना वाले दिन ड्यूटी पर उपलब्ध नहीं था। यह रेल संपत्ति की चोरी का मामला है, और इसमें आरोपी ने रेल संपत्ति की चोरी की है। इस मामले में वह सामग्री जो उसका उस समय जिम्मेदार था, उसके पास होनी चाहिए थी, जिसको वह लीगल यूज के लिए दी गई हो। हालांकि यह साबिर को भी दी जा सकती थी, लेकिन उस समय यह सामग्री उसे नहीं दी गई थी। इसलिए उसके द्वारा इसका इस्तेमाल करना गैरकानूनी इस्तेमाल था। साथ ही इसमें 153 रेलवे एक्ट के तहत जानबूझकर रेल में सफर कर रहे किसी यात्री की सुरक्षा को खतरे में डालना से जुड़ा केस भी दर्ज हुआ है।
आतंकवादी घटना कहना ठीक नहीं
इधर खंडवा सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने इस मामले को लेकर कहा कि, उनकी रेलवे के अधिकारियों और भुसावल मंडल की डीआरएम मैडम से बात हुई है। इसमें जो डेटोनेटर की बात हो रही है, तो रेलवे की जो गैंग चलती है, उसके पास इसकी व्यवस्था रहती है। लेकिन उन्हें अधिकारियों ने बताया है कि जो डेटोनेटर थे वह अनुपयोगी थे। इसको लेकर अब रेलवे की पूरी टीम लगी हुई है। इसके चलते जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती है, और उसकी रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक कुछ भी कह पाना संभव नहीं है। तो रिपोर्ट आने तक हम सब ने इंतजार करना चाहिए, और इसे एकदम से आतंकवादी घटना कहना या इस तरह की कोई बड़ी घटना कहना एकदम से ठीक नहीं होगा।
कमलनाथ और विपक्ष सेक रहे राजनीतिक रोटी
इधर बुरहानपुर पहुंचे मंत्री विश्वास सारंग ने इस घटना पर कहा कि यह मामला अभी संज्ञान में आया है, इसकी जांच हो रही है और क्योंकि यह संवेदनशील मामला है। इसलिए इस मामले में जांच के पहले कुछ भी बोलना उचित नहीं होगा। हालांकि उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित है कि जांच पूरी होने के बाद जो रिपोर्ट आएगी, और उसके बाद जांच में जो तथ्य आएंगे उसके बाद ही किसी तरह की कार्रवाई या उस पर टिप्पणी की जा सकती है। वहीं कमलनाथ के बयान पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष केवल अपनी राजनीतिक रोटी सेकने के लिए बगैर तथ्यों के बयान देते हैं। कमलनाथ तो बहुत सीनियर लीडर हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे, और केंद्र में कई बार मंत्री रहे हैं। ऐसे में मुझे ऐसा लगता है कि ऐसे संवेदनशील मामले जो कि दलगत राजनीति से ऊपर होना चाहिए और इस पर बहुत टिप्पणी नहीं की जाना चाहिए।
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