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Khargone: पिरानपीर मेले में लुट गई करीब दो क्विंटल मीठे चावल की गर्मा-गर्म देग, परंपरा को जान रह जाएंगे हैरान
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, खरगोन Published by: खंडवा ब्यूरो Updated Tue, 31 Dec 2024 08:16 PM IST
मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के सनावद ब्लॉक में चल रहे पिरानपीर शीतला माता मेले में परम्परागत देग लुटाने का आयोजन हुआ। यहां बीते कई साल से मेले के दौरान गुड़, चावल, देशी घी और सूखे मेवों से बनी देग लुटाई जाती है, जिसका आयोजन जरदार अली बान अली परिवार के द्वारा परम्परागत रूप से किया जाता रहा है। मेले के आखिर में होने वाले इस आयोजन में दूर दूर से जायरीन और अकीदतमन्द शामिल होने सनावद पहुंचे थे।
बता दें कि मीठे चावल के साथ ही चांदी के सिक्के भी इस देग में डाले जाते हैं। इस साल भी करीब दो दर्जन से अधिक चांदी के सिक्के इस मन्नत वाली देग में डाले गये थे। माना जाता है कि देग लूटने वालों के लिए ये एक बरकती सिक्का होता है और जिसे भी यह मिलता है, वह इसे बड़े ही सम्भाल कर रखता है।
वहीं, स्थानीय युवा इस देग से बड़े ही उत्साह और जोश के साथ लोहे की बाल्टी से गर्म और उबलते हुए चावल निकालते हैं, जिसे वे अपने मित्रों और परिजनों के साथ मिल बांटकर खाते हैं। पिरानपीर बाबा की दरगाह की तलहटी में प्राचीन लोहे की देग में प्रतिवर्ष दरगाह खादिम कमेटी, नगर पालिका परिषद, सहित कई अन्य लोग इस देग का आयोजन करते हैं। बता दें कि देश में अजमेर शरीफ के ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के बाद निमाड़ के सनावद में ही इस तरह का आयोजन किया जाता है, जिसमें शामिल होने खण्डवा, खरगोन, इंदौर सहित आसपास के अन्य नगरों से भी बड़ी संख्या में अकीदतमंद इकठ्ठा होते हैं। इस दौरान देग लूटने वाले एक युवा समीर मिर्जा ने बताया कि पिछले 10 साल से वे देग लूट रहे हैं। इस बीच आज तक यहां कभी कोई दुर्घटना नहीं घटी है और न ही इसमें कोई घायल हुआ है, जो कि पिरानपीर बाबा का चमत्कार ही है।
बनाकर लुटाई जाती हैं दो देग
वहीं, इन देगों को बनवाने वाले दरगाह के सदस्यों ने बताया कि इस परंपरा को करीब 74 साल हो चुके हैं। तब से लगातार यह देग इसी तरह से हर साल लुटाई जाती है, जो की जरदार बीड़ी कंपनी की तरफ से की जाती है। यह देग मान्यता की देग रहती है, जो की जरदार अली के सबसे बड़े लड़के कादर अली के जन्मदिन के उपलक्ष्य में शुरू से ही चलते आ रहा है। यहां बड़ी देग करीब एक क्विंटल 25 किलो की बनती है, जिसमें मेवा और ड्राई फ्रूट्स वगैरह डालते हैं और इसके साथ ही एक छोटी देग भी बनती है, जो की 51 किलो की रहती है। इस तरह से दो अलग-अलग देग बनाकर यहां लुटाई जाती हैं।
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