मध्यप्रदेश के खंडवा जिले की धार्मिक तीर्थनगरी ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में मंगलवार को पुण्यसलिला नर्मदा जी का जन्मोत्सव, श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान करीब एक लाख से भी अधिक भक्तों ने नर्मदा जी में डुबकी लगाई और जन्मोत्सव का पुण्य लाभ लिया। इस आयोजन के लिए सोमवार से ही भक्तों का यहां आना शुरू हो गया था, जिसके बाद मंगलवार को मध्यान्ह में मां के अवतरण के समय सभी घाटों पर नर्मदा जी का अभिषेक पूजन 151 लीटर दूध से विद्वान् पंडितों के द्वारा सम्पन्न कराया गया।
इसके साथ ही भक्तों ने 250 मीटर लंबी पीली चुनरिया भी माताजी को चढ़ाई। वहीं, नर्मदा जी की पैरावनी इंदौर वाली माताजी ने की। इस दौरान ढोल धमाकों से तट गुंजायमान हो गया और सैकड़ों नारियल नर्मदा जी को अर्पण किए गए। वहीं, जय मां नर्मदा संगठन के द्वारा जेपी चौक पर हलुआ प्रसाद एवं भोजन प्रसादी का भंडारा भी चलाया गया। इसके साथ ही अपरान्ह चार बजे नगर में बैंड बाजों, ढोलकों के साथ नाचते कूदते नर्मदा जी की शोभायात्रा निकाली गई। इस दौरान पालकी में नर्मदा जी की प्रतिमा एवं बग्गी पर नर्मदा के स्वरूप में एक बच्ची विराजमान थी।
तीर्थनगरी के सभी घाटों पर हुई कांकड़ा महाआरती
तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में नर्मदा जयंती के अवसर पर सायंकाल के समय सभी घाटों जिनमें कोटितीर्थ, चक्रतीर्थ, नावघाट, गौमुख घाट, ब्रमहपुरी घाट, भैरवघाट, नागरघाट, अभयघाट, ओंकार घाट, आनंद मई घाट, बर्फ़ानी घाट, संगमघाट, नवीनघाट, सिद्धवर कुट घाट, खेड़ीघाट, बिल्लोरा घाट एवं नजर निहाल आश्रम घाट पर कांकड़ा महाआरती का आयोजन हुआ। यहां नर्मदा के दोनों तटो पर कांकडे प्रजवलित किए गए, जिसके बाद नर्मदा जी में सवा लाख दीपदान किए गए, जिससे नर्मदाजी का आंचल झिलमिला उठा। इसके साथ ही रंग बिरंगी आतिशबाजी भी छोड़ी गई। वहीं, रात्रि में भजन संध्या के कार्यक्रम भी हुए।
12 बजे मां के जन्म के समय हुई पूजा अर्चना
इधर, नर्मदा जयंती पर किए जा रहे दीपदान के बाद ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर मंदिर के प्रमुख ट्रस्टी जंग बहादुर राव ने बताया कि आज नर्मदा जयंती के अवसर पर मां नर्मदा जी का प्रकटोत्सव था। यहां 12 बजे मां का जन्म होता है। इसलिए उस समय पूरे विधि-विधान से मां के जन्म की पूजा अर्चना की गई और यहां के पंडितों के द्वारा मां के जन्म का उत्सव मनाया गया। इसके बाद शाम के समय मां के जन्म की खुशी में उनके कोटि तीर्थ घाट पर जो की ऐसा घाट है, जहां पूजा करने से कोटी तीर्थ का पुण्य मिलता है। उस घाट पर सारे विधि-विधान से मां को दीपदान किया गया। चुनरी भी उड़ाई गई और सवा दो क्विंटल प्रसाद का भोग वितरण भी किया गया, जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने बड़े ही उत्साह से भाग लेकर प्रसाद ग्रहण किया और मां की जय-जय कार की।
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