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Khandwa: मटन मार्केट हटाने पहुंची नगर निगम की JCB पर ही चढ़ गए लोग, दुकानदारों का विरोध देख वापस लौटी टीम
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, खंडवा Published by: खंडवा ब्यूरो Updated Tue, 18 Feb 2025 07:48 PM IST
खंडवा नगर स्थित बुधवारा बाजार में लगने वाले मटन मार्केट में बुल्डोजर कार्रवाई के दौरान जमकर हंगामा देखने को मिला। दरअसल खंडवा निगम का अमला बरसों पुराने इस मटन मार्केट को जेसीबी मशीनों के जरिये हटाने पहुंचा था। जिसका विरोध स्थानीय दुकानदारों के साथ ही आसपास के लोगों ने भी किया। देखते ही देखते यह विरोध इतना बड़ा कि, यहां अतिक्रमण हटाने पहुंची निगम की जेसीबी पर भी विरोध कर रहे लोग चढ़ गए और हंगामा करने लगे।
हालांकि हंगामा बढ़ते देख निगम का अमला भी, अगले दिन कार्रवाई करने का कहते हुए वहां से वापस चला गया। वहीं स्थानीय दुकानदारों का कहना था कि, वे लोग यहां अपनी चार पीढ़ियों से निगम को किराया देते हुए व्यापार कर रहे हैं। इसलिए यदि इस मार्केट को ढहाया जाता है, तो उन्हें ही यहां पर दुकान आवंटित की जाए। क्योंकि वे ही इसके असली हकदार हैं। जबकि निगम अधिकारियों का कहना था कि, यह मार्केट जर्जर हो चुका है। इसलिए इसे ढहाया जाएगा।
जेसीबी के सामने खड़े हो गए थे दुकानदार
वहीं इस पूरी कार्रवाई को लेकर खंडवा निगम के डिप्टी कमिश्नर सचिन सिटोले ने बताया कि ये नगर निगम का मटन मार्केट है। जिसमें दुकानदारों को चबूतरे आवंटित किए गए थे। लेकिन फिलहाल इसे निगम के भवन विभाग के द्वारा जर्जर घोषित किया गया है। इसलिए इसको तोड़ना जरूरी था और इसके चलते ही यहां निगम का इंजीनियरिंग का अमला और अतिक्रमण दस्ता आया हुआ था। लेकिन यहां स्थानीय दुकानदारों का विरोध सामने आया है। जो की जेसीबी के सामने खड़े हो गए थे। जिसके चलते फिलहाल कार्रवाई रोक दी गई है, लेकिन कल इस पर फिर से कार्रवाई की जाएगी ।
चार पीढ़ी से यहां कर रहे व्यवसाय
इधर विरोध कर रहे निगम के पार्षद इकबाल कुरैशी का कहना था कि इसे तोड़ने से जुड़ा नोटिस निगम से 13 तारीख को निकाला गया और हम लोगों को कल 17 तारीख को मिला। इस पर जब हम निगम आयुक्त से मिलने गए, तब हमें शाम 5:00 बजे का समय दिया गया। तो इसके बाद ही कोई भी कार्रवाई होना चाहिए था। हम लोग यहां डेढ़ सौ सालों से बसे हैं, और व्यवसाय कर रहे हैं। यहां हम लोग चार पीढ़ी से नगर निगम के किराएदार हैं, ना की कोई अतिक्रमण करके बैठे हैं। इसलिए हमारी मांग है कि यहां लागत मूल्य पर दुकान बनाकर, उसका एग्रीमेंट करते हुए, हमें ही ये दुकानें वापस दी जाएं, क्योंकि इसके हकदार हम ही हैं।
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